Mokshada Ekadashi Vrat Katha 2024: कैसे मिला था गोकुल के राजा और पांडवों को मोक्ष? जानें ये रोचक कथा

मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने से सिर्फ मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती बल्कि व्यक्ति के सारे पाप कट जाते हैं और उसकी कई पीढ़ियों को भगवान विष्णु के वैकुण्ठ धाम की प्राप्ति होती है।
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मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने से सिर्फ मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती बल्कि व्यक्ति के सारे पाप कट जाते हैं और उसकी कई पीढ़ियों को भगवान विष्णु के वैकुण्ठ धाम की प्राप्ति होती है। मोक्षदा एकादशी के दिन श्री हरि नारायण की पूजा के बाद व्रत कथा को सुनना और पढ़ना भी लाभदायक माना गया है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा के बारे में विस्तार से।

मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा

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पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापारयुग की शुरुआत में गोकुल में वैखानस नाम के राजा राज करते थे। राजा बहुत धर्म पुण्य करते थे और भगवान की भक्ति में लीन रहते थे। एक बार राजा को यह स्वप्न आया कि उनके पिता और अन्य पूर्वज नरक में यातनाएं सह रहे हैं। यह देख राजा की नींद खुल गई और उन्होंने अपने कुल पुरोहित को महल में बुलवाया।

कुल पुरोहित ने बताया कि पूर्वजों और राजा के पिता के द्वारा कुछ ऐसे पाप हुए थे जिनके बारे में स्वयं उन्हें भी नहीं पता था। इसी कारण से वह उन पापों के चलते नरक में यातनाएं झेल रहे हैं। पुरोहित ने राजा को इसका उपाय बताते हुए कहा कि वह आने वाली मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन व्रत रखें और भगवान विष्णु की पूजा करें।

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राजा ने ऐसा ही किया और भगवान विष्णु ने राजा की सच्ची भक्ति को देखते हुए उन्हें दर्शन दिए। राजा ने भगवान विष्णु से अपने पिता और अन्य पूर्वजों को मोक्ष प्रदान करने का वरदान मांगा और भगवान विष्णु की कृपा से राजा के पिता और पूर्वजों को नरक की यातनाओं से मुक्ति मिल गई एवं मोक्ष के रूप में भगवान विष्णु के धाम की प्राप्ति भी हुई।

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इसके अलावा, एक व्रत कथा यह भी है कि जब महाभारत काल में पांडवों को मृत्यु के बाद स्वर्ग जाने की कामना हुई तब एक मात्र युधिष्ठिर ही स्वर्ग पहुंच पाए। अन्य चार पांडव पृथ्वी पर मृत्यु के बाद भटकते रहे। तब युधिष्ठिर ने अपने भाइयों को मोक्ष दिलाने के लिए स्वर्ग से ही मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा था और उन्हें मुक्ति दिलाई थी।

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image credit: herzindagi

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