महाकुंभ का समय है और अब इससे जुड़ी कई बातें आपको गाहे-बगाहे पता चलती होंगी। महाकुंभ एक ऐसा जमघट है जो धर्म से जुड़ा है और लोगों की आस्था का प्रतीक भी है। महाकुंभ में नागा साधुओं का स्नान सबसे ज्यादा चर्चित होता है। नागा साधु जो सैन्य विध्याओं में महारत हासिल कर लेते हैं। नागा साधु जिनके जीवन और उनकी तपस्या के बारे में लोग बार-बार जानने की कोशिश करते हैं। नागा साधु हमेशा ही लोगों की चर्चा का विषय रहते हैं। क्या आपको पता है कि महिला नागा साधु भी होती हैं? इनकी तपस्या और इनसे जुड़े नियम अलग होते हैं। इन्हें साधु बनने के लिए बहुत ही कठिन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
आज हम नागा साधुओं के बारे में ही चर्चा करते हैं। उनका जीवन कैसा होता है, उन्हें क्या करना होता है और महिला नागा साधु कैसे बनती हैं।
कौन होते हैं नागा साधु?
सनातन धर्म में अलग-अलग साधु संतों का महत्व है। इन्हीं में से एक होते हैं नागा साधु। नागा साधुओं के बारे में कहा जाता है कि इन्हें 8वीं सदी में शंकराचार्य ने हिंदू धर्म के सैनिकों के रूप में स्थापित किया था। ये सैनिक ही थे जो धर्म की राह पर चलते हैं। इसलिए नागा साधुओं को अलग-अलग युद्ध कला में महारत हासिल होती है। नागा साधुओं को हमेशा भक्ति के मार्ग पर चलना होता है। अगर कोई नागा साधु बनना चाहे, तो उसे एक कठिन प्रक्रिया से होकर गुजरना होता है।
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- उन्हें हमेशा ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। इसकी परीक्षा 6 महीने से लेकर 1 साल तक हो सकती है।
- उसी वक्त में अखाड़ा समिति यह तय करती है कि व्यक्ति साधु बनने लायक है या नहीं।
- साधुओं को 5 गुरुओं से दीक्षा लेनी होती है। इसलिए उन्हें कई प्रयास करने होते हैं।
- नागा साधु कभी किसी भी मौसम में वस्त्र नहीं पहन सकते क्योंकि उनके लिए वस्त्र पहनना भी आडंबर होता है और संसार के सभी आडंबरों से छूटने का प्रयत्न उन्होंने किया होता है।
- वह अपने परिवार को त्याग देते हैं।
- पुरुष नागा साधुओं को शरीर ढकने के लिए भस्म लगाना होता है।
कैसे बनती हैं महिला नागा साधु?
महिला नागा साधु को बनने के लिए भी वैसी ही प्रक्रिया करनी होती है जैसी पुरुष नागा साधुओं के लिए है, लेकिन उन्हें अपना सिर भी मुंडवाना होता है। आपने देखा होगा कि पुरुष नागा साधुओं के बाल लंबे होते हैं, लेकिन महिलाओं को साधु बनने की प्रक्रिया के तहत सिर मुंडवाना होता है। इसके अलावा, उन्हें अपना ही पिंडदान करना होता है। उन्हें शिव की घोर तपस्या करनी होती है और यह तपस्या अग्नि के सामने बैठकर करनी होती है।
महिला नागा साधुओं को भी सांसारिक जीवन त्यागना होता है। वह साधु बनेंगी या नहीं यह अखाड़ा समिति देखती है।
क्या महिला नागा साधुओं को भी रहना होता है निर्वस्त्र?
महिला नागा साधु अगर चाहें, तो निर्वस्त्र रह सकती हैं, लेकिन अगर उन्हें वस्त्र धारण करना है, तो वह पीले रंग का कोई कपड़ा होगा। उन्हें एक ही कपड़ा पहनना होता है जो सिला हुआ ना हो। एक ही पीले रंग का कपड़ा हर मौसम के लिए होता है। भले ही सर्दी बहुत ज्यादा हो, लेकिन वह इससे ज्यादा और कुछ नहीं पहन सकती हैं।
महाकुंभ में शाही स्नान को लेकर महिला साधुओं के लिए है ये नियम
महाकुंभ समिति के नियमों के अनुसार, महिला नागा साधु बिना कपड़ों के स्नान नहीं कर सकती हैं। उन्हें एक कपड़ा पहनना जरूरी है। किसी भी महिला साधु को निर्वस्त्र स्नान करने की मनाही है।
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महिला नागा साधुओं को रोज करना होता है ये काम
महिला नागा साधुओं के लिए तपस्या जरूरी है। उन्हें अग्नि के सामने बैठकर हमेशा तपस्या करनी होती है। वह जंगलों में या अखाड़ों में रहती हैं। महिला नागा साधुओं को सबसे पहले अखाड़ा समिति को अपने जीवन की जानकारी देनी होती है। उसके बाद उन्हें गुरुओं को ढूंढकर अपनी योग्यता के बारे में बताना होता है। महिला नागा साधुओं को भी अपने शरीर में भस्म लगानी होती है। अगर कोई महिला नागा साधु बनती है, तो उसे माता कहा जाता है। उन्हें माथे पर तिलक लगाया जाता है। दशनाम सन्यासिनी अखाड़ा महिला नागा साधुओं का गढ़ माना जाता है। इस अखाड़े में सबसे ज्यादा नागा साधु होती हैं।
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