बैंडिट क्वीन के बारे में शायद आपने सुना होगा। एक महिला, एक डकैत, एक रेप सर्वाइवर, एक नेता और एक विक्टिम। यहां उस महिला के बारे में बात हो रही है जिसकी जिंदगी और मौत ने पूरे हिंदुस्तान को हिलाकर रख दिया था। फूलन देवी पर बनी फिल्म 'द बैंडिट क्वीन' भी बहुत चर्चित रही है। कुछ लोगों के हिसाब से फूलन देवी एक निर्मम हत्यारी थी और कुछ के हिसाब से वह एक दबंग महिला और रोल मॉडल थी। इस फिल्म में सीमा बिस्वास का किरदार इतना मार्मिक था कि इसे देखने वाले कई लोग रो दिए थे। फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को हुआ था।
फूलन देवी को 38 साल की उम्र में ही मौत के घाट उतार दिया गया था।
बचपन में फूलन देवी को झेलना पड़ा था एब्यूज
फूलन देवी का जन्म एक गरीब मल्लाह परिवार में हुआ था। उनके परिवार के पास बस एक छोटा सा जमीन का टुकड़ा था। उनके दादा का देहांत होने के बाद फूलन को लगने लगा कि उनके चाचा उनके पिता पर जबरन हक जता रहे हैं क्योंकि उनका कोई बेटा नहीं है। फूलन ने 11 साल की उम्र पर धरना दिया और इसके एवज में उन्हें बुरी तरह से पीटा गया और उनके परिवार वालों ने ही उनका ध्यान नहीं दिया।
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11 साल की उम्र में ही उनकी शादी पुत्तीलाल मल्लाह से कर दी गई थी। उनका पति उनसे उम्र में तीन गुना बड़ा था और उसके कारण उन्हें चाइल्ड एब्यूज भी झेलना पड़ा था।
फूलन देवी की शादी जिस इंसान से हुई थी वह क्रूर था और उनके साथ रेप करने के साथ-साथ उन्हें बहुत मारा-पीटा करता था। लंबे समय तक फूलन ने ये सब सहा और फिर वह भाग गईं।
बीहड़ों से डकैती तक, कुछ ऐसी रही फूलन देवी की जिंदगी
फूलन जब उत्तर प्रदेश के अपने पैतृक गांव 'गोरहा का पुरवा' वापस आईं तब पति को छोड़कर आने के कारण उन्हें तंग किया जाने लगा। फूलन देवी की जिंदगी में कुछ भी अच्छा नहीं था। घर वालों ने भी ना जाने उन्हें क्या-क्या कहा। उनके साथ हाथापाई भी हुई। उसके बाद फूलन देवी अकेले बीहड़ों में घूमने लगीं। ऐसा करते हुए एक दिन डकैतों के एक झुंड से उनकी मुलाकात हुई। इसके बारे में जानकारी नहीं है कि फूलन किस तरह से डकैतों के हाथों में गईं। डकैत बाबू गुज्जर उनका सरदार था जिसने फूलन को अपने साथ रख लिया। फूलन उसके साथ जाना नहीं चाहती थी, लेकिन बाबू गुज्जर ने जबरदस्ती उन्हें उठा लिया।
कुछ दिनों तक बाबू गुज्जर ने फूलन का रेप किया और उन्हें बंदी बनाकर रखा। इसके बाद झुंड के ही एक सदस्य विक्रम मल्लाह ने बाबू गुज्जर को मार दिया और फूलन के साथ रहने लगा। फूलन और विक्रम दोनों एक दूसरे को पसंद करते थे, लेकिन अभी फूलन की जिंदगी में मुसीबतें आनी बाकी थीं।
जेल से दो भाई श्रीराम और लाला राम छूटकर आए। ये दोनों ऊंची जाति के राजपूत भाई थे और बाबू गुज्जर की मौत से गुस्सा थे। दोनों ने मल्लाहों के गांव पर हमला बोल दिया और इसी लड़ाई में विक्रम मल्लाह को गोली लग गई। अब फूलन देवी फिर से बंदी बना ली गई।
तीन हफ्तों तक फूलन के साथ रेप हुआ, उन्हें मारा-पीटा गया और उनकी बेइज्जती की गई। उन्हें बेहमई गांव ले जाया गया था और आखिर में उन्हें पूरे गांव के सामने बिना कपड़ों के चलवाया गया।
किसी तरह से फूलन देवी वहां से भागने में सफल रहीं और वापस डकैतों से जा मिलीं।
फूलन देवी की डकैती और उनके गुनाह
विक्रम सिंह की गैंग के एक सदस्य मान सिंह की मदद से फूलन ने दोबारा मल्लाहों की गैंग बनाई और ऊंची जाति के लोगों के खिलाफ मोर्चा खोल लिया। उन्होंने कई जगह डाका डाला और आखिर में 14 फरवरी 1981 को उसी जगह पर 20 लोगों को मार डाला जहां उन्हें बिना कपड़ों के चलवाया गया था।
इसके दो साल बाद फूलन देवी ने सरेंडर कर दिया और उन पर डकैती, मौत, किडनैपिंग सहित कई जुर्मों को लेकर केस चले। 11 सालों तक वो अंडरट्रायल रहीं।
फूलन देवी पर बनी फिल्म और उससे जुड़ी कॉन्ट्रोवर्सी
शेखर कपूर ने 1983 में फिल्म बनाई 'द बैंडिट क्वीन'। इस फिल्म में कुछ दृश्य ऐसे थे जिनसे फूलन देवी को आपत्ति थी। हालांकि, फिल्म के प्रोड्यूसर्स ने उन्हें लगभग 37 लाख रुपये देकर फिल्म रिलीज होने के लिए मना लिया था।
उससे पहले फूलन देवी ने धमकी दी थी कि अगर फिल्म रिलीज हुई, तो वो थिएटर के सामने ही आत्मदाह कर लेंगी।
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डकैत से नेता बन फूलन देवी ने शुरू की नई जिंदगी
साल 1994 में फूलन देवी की रिहाई हुई और उसके बाद उन्हें एक सभा में बुलाया गया जो अल्कोहल छुड़वाने के लिए थी। वहां से ही उनकी नई पारी शुरू हुई। 11वें लोक सभा चुनावों में फूलन देवी ने हिस्सा लिया और समाजवादी पार्टी से जुड़ गईं।
फूलन देवी ने 1996-1998 तक बतौर एमपी काम किया और उसके बाद उनकी सीट छीन ली गई। हालांकि, 1999 में दोबारा उन्हें इलेक्ट कर लिया गया।
फूलन देवी ने 2001 तक बतौर एमपी अपना काम किया, लेकिन 25 जुलाई 2001 को उनके घर के सामने ही उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया।
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Image credit: Zikre dill/ Bandit queen movie/ wikipedia
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