लद्दाख की सबसे फेमस चीज क्या है? खूबसूरत पहाड़, बर्फ, खाना या फिर कुछ और? मेरे हिसाब से तो लद्दाख की खूबसूरती के साथ-साथ वो सतरंगी फ्लैग बहुत फेमस है जिसे लगभग हर टूरिस्ट अपने साथ लेकर आता है। कार हो या बाइक लद्दाखी फ्लैग्स गाहे-बगाहे आपको दिख ही जाते हैं। इन रंगीन फ्लैग्स में कई तरह के अक्षर लिखे होते हैं। पर क्या आपको पता है कि यह असल में लद्दाखी नहीं बल्कि तिब्बती फ्लैग है।
बौद्ध भिक्षुओं के आस-पास ये झंडे लगे होते हैं। मनाली से लेकर लद्दाख तक आपको अलग-अलग जगहों पर इस तरह के झंडे मिल जाएंगे।
क्या लिखा होता है इन झंडों पर?
दरअसल, इनके ऊपर तिब्बती मंत्र लिखे होते हैं। यहां हर रंग का अलग मतलब होता है। हर रंग एक एलिमेंट को दर्शाता है।
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सफेद रंग का मतलब हवा, लाल का मतलब अग्नि, हरे का मतलब पानी, पीले का मतलब धरती, नीले का मतलब वायु। लोगों को लगता है कि इसमें अलग-अलग 7 रंग हैं, लेकिन इसमें सिर्फ पांच ही रंग होते हैं। अन्य रंग रिपीट होते हैं जो डायरेक्शन नॉर्थ और साउथ का प्रतीक होते हैं।
मंत्रों के अलावा क्या कलाकृति बनी होती है?
गाड़ी में लगाए जाने वाले सुवीनियर के परे, असली तिब्बती प्रेयर फ्लैग के हर झंडे में एक ग्राफिक घोड़ा होता है जिसके साथ तीन रत्न होते हैं। ये रत्न बुद्ध, धर्म और संघ का प्रतीक माने जाते हैं। इस ग्राफिक के ऊपर ही मंत्र लिखे जाते हैं। आपको मार्केट में ट्रेडिशनल डिजाइन और नॉर्मल डिजाइन दोनों ही मिल जाएंगे। (108 बार ही क्यों पढ़े जाते हैं मंत्र)
क्या है तिब्बती फ्लैग में छपे मंत्र का मतलब?
फ्लैग में 'ओम मणी पद्मे हम' लिखा होता है। यह तिब्बती भाषा में अंकित होता है। ओम को सबसे पवित्र अक्षर माना जाता है। मणी का मतलब है रत्न, पद्मे का मतलब है कमल और हम का मतलब है ज्ञान से परिपूर्ण आत्मा। (ऊं का उच्चारण करने के फायदे)
इस मंत्र का कोई एक मतलब नहीं है। यह करुणा, नैतिकता, धैर्य, परिश्रम, त्याग और ज्ञान को दर्शाता है। ऐसी मान्यता है कि अगर आप इस मंत्र का जाप करेंगे तो घमंड, जलन, लालच और गुस्से से दूर रहेंगे।
हवा में ही रखने चाहिए ये झंडे
बौद्ध धर्म में मान्यता है कि इन झंडों को कभी भी शांत नहीं रहना चाहिए। इनमें से पॉजिटिव वाइब्रेशन्स आती हैं और इन्हें हमेशा हवा में ही रहना चाहिए। इसलिए इन्हें पहाड़ों पर लगाया जाता है ताकि ये हिलते रहें।
दो तरह के होते हैं ये फ्लैग्स
आपने शायद एक ही तरह के झंडे देखे होंगे, लेकिन ये वर्टिकल भी होते हैं। जो आमतौर पर गाड़ियों में लगाए जाते हैं उन्हें लंग दार कहा जाता है। ये हॉरिजॉन्टल होते हैं। इसके अलावा, वर्टिकल झंडों को दार चो कहा जाता है।
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कभी जमीन पर नहीं गिरने चाहिए ये झंडे
बौद्ध धर्म का चिन्ह माने जाने वाले इन झंडों को जमीन पर किसी भी हालत में नहीं गिराना चाहिए। इसलिए इन्हें हमेशा अच्छे से बांधा जाता है। दरवाजे के फ्रेम में अगर यह दिखता है, तो इसे बहुत ही शुभ माना जाता है।
इसी के साथ, एक और मान्यता है। अगर झंडों का रंग फेड हो रहा है, तो उसे शुभ माना जाता है। ऐसा समझा जाता है कि प्रार्थनाएं हवा के साथ-साथ प्रभु तक पहुंच रही हैं।
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