लद्दाख में घूमने के लिए कई जगहें हैं लेकिन इनमें से कुछ ऐसी भी जगहें मौजूद हैं जो आज भी टूरिस्ट्स की नजरों से दूर हैं लेकिन अगर आप एक बार इन जगहों को देख लें तो शायद ही आप यह नजारा कभी भूल पाएंगी। इन खूबसूरत जगहों पर उंचेउंचे पहाड़, नीले साफ पानी की झीलें और भी कई खूबसूरत नजारें...टूरिस्ट्स का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इस खूबसूरत जगहों पर आज भी टूरिस्ट्स की अच्छी-खासी भीड़ नहीं है लेकिन प्राकृतिक खूबसूरती के मामले में यह जगहें बेहद ही शानदार हैं।
पूरी दुनिया में घूमने की ढेरों जगहे मौजूद हैं जिनमें से कुछ ऐसी भी जगहें हैं जिन्हें हम तस्वीरों और वीडियो में देखते हैं। जिसमे से एक है लद्दाख जोकि जम्मू-कश्मीर की वादियों में स्थित बेहद ही खूबसूरत पर्यटन स्थल है जिसे फिल्म ‘3 इडियट्स’ के बाद टूरिस्ट्स के बीच लोकप्रियता हासिल हुई। जम्मू-कश्मीर राज्य के पूर्वी भाग स्थित लद्दाख का नजारा अन्य जगहों से बहुत अलग है। यहां शायद ही बारिश कभी होती होगी। यहां आपको पेड़-पौधों के बदले सिर्फ दूर तक बर्फ से ढके पहाड़ नज़र आएंगे। लद्दाख एडवेंचर ट्रिप के लिए सबसे बेहतरीन जगहों में से एक है। यहां आपको बाइकर्स के कई ग्रुप तो कहीं सोलो ट्रेवल करते हुए लोग भी मिल जाएंगे। लद्धाख खूबसूरती और एडवेंचर का बेहतरीन कॉम्बीनेशन है।
तो चलिए आपको दिखाते हैं लद्दाख की वो जगहें जो ज्यादा फेमस नहीं हैं लेकिन खूबसूरती के मामले में कुछ कम नहीं हैं।
अगर आपको एडवेंचर करना पसंद है तो यह घाटी आपके लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यहां तेज बहाव में बहती हुई जांसकर नदी में वाइट रिवर राफ्टिंग का मजा लिया जा सकता है। यह खूबसूरत घाटी बंजर और बर्फीली पहाड़ों के बीच एक अलग दुनिया की तरह दिखती है। यह जगह बहुत ही रंगीन और अलग है जिसमें खोकर आप खुद ही भूल जाएंगे कि आप लद्दाख में हैं या फिर एक अलग ही दुनिया में। यहां एक ट्रेक बहुत ज्यादा फेमस हो चुका है जिसमें ट्रेकर्स बर्फ की मोटी चादर पर चलकर गुजरते हैं। इसे पार करने के बाद ट्रेकर्स आसपास कैम्पिंग का मजा लेते हुए रात गुजारते हैं।
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लेह से करीबन 211 किमी की दूरी पर स्थित तुर्तुक एक बेहद ही खूबसूरत गांव है जो कभी बाल्टिस्तान रियासत का हिस्सा हुआ करता था। यह बेहद ही खूबसूरत गांव है जो 1971 तक पाकिस्तान के हिस्से में था। यह पूरी तरह से एक मुस्लिम गांव है और यहां के लोग लद्दाखी, बालती, और उर्दू बोलते हैं। तुर्तुक भारत में आखिरी चौकी है जिसके बाद पाकिस्तान-नियंत्रित गिलगिट-बाल्टिस्तान शुरू होता है। तुर्तुक को सियाचिन ग्लेशियर का गेटवे भी कहा जाता है। टूरिस्ट्स के लिए तुर्तुक साल 2009 में खोला गया था और इस खूबसूरत गांव में आने वाले टूरिस्ट्स यहां सुंदर घाटियों को देख सब कुछ भूल जाते हैं।
लेह से करीबन 36 किमी की दूरी पर स्थित बासगो एक समय पर समर्द्ध शहर हुआ करता था लेकिन आज यहां सिर्फ मठ और कुछ शाही महलों को देखा जा सकता है। लद्दाख का बासगो शहर एक बेहद ही महत्वपूर्ण सांस्कृतिक शहर है। इस किले के अंदर तीन मंदिर भी है और इस किले से पूरे बासगो को अच्छे से निहारा जा सकता है।
नुब्रा नदी के तट पर स्थित सुमरू सम्स्तान्लिंग मठ या गोम्पा के लिए जानी जाती है जिसका निर्माण वर्ष 1841 में हुआ था। क्यागर और सुमुर गांव के बीच स्थित यह लामा त्सुल्त्रिम नीमा द्वारा स्थापित किया गया था। साल 1962 में तिब्बती आध्यात्मिक गुरु परमपावन दलाई लामा गोम्पा के सात मंदिरों के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किये गए थे। इस जगह की वादियों में अगर आप एक बार ही सही घूम आएंगी तो शायद ही अपका मन फिर कहीं और लगें।
अगर लद्दाख रोड ट्रिप कर रहे हैं और लद्दाख के मौसम के चलते आपकी तबियत खराब हो रही है तो आप चुमथांग में गर्म पानी के कुंड में डुबकी लगा सकती हैं। यह प्राकृतिक कुंड है जोकि इंदु नदी से बनते हैं। अगर आप इस एरिया में ट्रेकिंग कर रही हैं और थक गये हैं तो स्प्रिंग वाटर में कुछ देर पैर डालकर बैठे और अपनी थकान को कहें गुड बाय।
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