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रसोईघर में भूलकर भी न रखें पूजा का मंदिर, बन सकता है घर की अशांति का कारण

आइए जानें घर में कभी भी पूजा का मंदिर रसोईघर में क्यों नहीं रखना चाहिए और किस तरह यह घर में अशांति ला सकता है। 
Editorial
Updated:- 2021-12-02, 17:46 IST

घर का रसोई घर यानी कि किचन, घर के मुख्य स्थानों में से एक होता है और उससे भी ज्यादा ख़ास होता है घर में पूजा का स्थान। लोग सुबह उठने के बाद और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद पूजा घर में प्रवेश करते हैं और पूजा -पाठ करके अपने दिन की शुरुआत करते हैं। यही वजह है कि घर में पूजा के स्थान को सबसे ज्यादा पवित्र माना जाता है और इसे घर की किसी ऐसी जगह पर बनाया जाता है जहां बाहरी लोगों का प्रवेश न हो। कुछ लोग घर में मंदिर या पूजा की जगह बनाते समय सही दिशा का ध्यान रखते हैं, तो कुछ लोग इसका निर्माण किसी ख़ास दिन करवाते हैं।

लेकिन कई बार घर में जगह की कमी होने की वजह से लोग घर के किचन में ही पूजा का स्थान बना लेते हैं। लोगों का मानना है कि पूजा के स्थान के बाद घर में सबसे पवित्र किचन ही होता है इसलिए लोग किचन में ही पूजा का स्थान बना लेते हैं। लेकिन वास्तविकता है कि ज्योतिष और वास्तु के कई कारणों की वजह से आपको घर के किचन में पूजा का स्थान नहीं बनाना चाहिए इससे आपके घर में अशांति आ सकती है। आइए नई दिल्ली के जाने माने पंडित एस्ट्रोलॉजी और वास्तु विशेषज्ञ, प्रशांत मिश्रा जी से जानें कि किचन में पूजा का स्थान क्यों नहीं बनाना चाहिए।

किचन में रखे जाते हैं जूठे बर्तन

kitchen and puja place

आमतौर पर देखा जाता है पर किचन में आप कितनी भी सफाई का ध्यान क्यों न रखें लेकिन कभी न कभी किचन में जूठे बर्तन जरूर इकट्ठे हो जाते हैं। जूठे बर्तन घर में दरिद्रता को दिखाते हैं और घर की अशांति का कारण बनते हैं। इसलिए जब आप घर के किचन में ही मंदिर या पूजा का स्थान बनाते हैं तब आपके लिए ये ज्यादा परेशानी भरा हो सकता है। यदि पूजा के स्थान के पास जूठे बर्तन रखे जाते हैं तो पूजा का फल नहीं प्राप्त होता है और माता लक्ष्मी भी रुष्ट हो जाती हैं। इस वजह से भूलकर भी आपको किचन में मंदिर का स्थान नहीं रखना चाहिए।

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पूजा स्थान होना चाहिए सबसे पवित्र

अक्सर देखा जाता है कि लोग किचन में सुबह बिना नहाए हुए ही प्रवेश कर जाते हैं। जल्दबाजी में महिलाएं खाना बनाने के लिए बिना नहाए ही किचन का काम करती हैं और यदि पूजा घर किचन में ही होता है तो मंदिर या पूजा के स्थान में भी पवित्रता नहीं रह पाती है। रसोई घर में हम कई बार ऐसी चीज़ों का इस्तेमाल भी करते हैं जो आमतौर पर पूजा घर में नहीं होना चाहिए। जैसे किचन में लहसुन प्याज का खाना भी बनाया जाता है जो पूजा के स्थान को भी अपवित्र कर सकता है। शास्त्रों में भी इस बात का जिक्र किया गया है कि पूजा का स्थान किचन से दूर ही होना चाहिए।(किचन का वास्‍तु दोष दूर करने के लिए टिप्स )

वास्तु के हिसाब से क्या है घर में मंदिर की सही दिशा

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घर में पूजा स्थल हमेशा उत्तर-पूर्व ईशान दिशा में बनाना चाहिए क्योंकि ईशान कोण शुभ प्रभावों से युक्त होता है। घर के इसी क्षेत्र में सत्व ऊर्जा का प्रभाव शत-प्रतिशत होता है इसलिए इसे पूजा का स्थान बनाने से शुभ लाभ की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिशा में मंदिर रखने से घर में माता लक्ष्मी का वास होता है। मंदिर के आसपास किचन नहीं होना चाहिए साथ ही मंदिर कभी भी सीढ़ियों के नीचे नहीं बनाना चाहिए। घर के भीतर पूजाघर बनवाते समय हमेशा इस बात का ख्याल रखें कि इसके नीचे या ऊपर या फिर अगल-बगल शौचालय नहीं होना चाहिए , वास्तव में यह नकारात्मक ऊर्जा को लाती है।

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इन सभी कारणों से आपको घर में कभी भी पूजा का स्थान किचन में नहीं रखना चाहिए। वास्तव में ऐसा करना नकारात्मक ऊर्जा को दिखाता है। इसलिए आपको ऐसा करने से बचना चाहिए।

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Image Credit: freepik

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