क्या आपने सारा अली खान की नई फिल्म का टीजर देखा? ये वो टीजर है जिसमें सारा अली खान एक रेडियो का संचालन करती हुई दिख रही हैं। टीजर कुछ दिन पहले ही आया है और ये फिल्म अमेजन प्राइम पर आने वाली है। टीजर देखकर ही समझ आ गया था कि ये फिल्म होने वाली है स्वतंत्रता संग्राम पर जहां सारा अंग्रेजों से छिपते हुए देश की आजादी के संग्राम में अपना योगदान दे रही हैं।
टीजर बहुत ही अच्छा था और सारा अली खान का लुक भी काफी यूनिक दिख रहा था, लेकिन क्या आपने ये सोचा है कि असल में सारा अली खान जिस स्वतंत्रता सेनानी की भूमिका निभा रही हैं वो हैं कौन?
सारा उषा मेहता के किरदार में नजर आएंगी जिन्होंने अंग्रेजों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए अपना रेडियो स्टेशन चलाया था। आज हम उन्हीं के बारे में बात करने जा रहे हैं कि आखिर उषा मेहता कौन थीं?
फिल्म का टीजर दिखाता है अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष
सारा अली खान की फिल्म के टीजर में डायलॉग आता है 'अंग्रेजों को लग रहा है कि उन्होंने क्विट इंडिया का सिर कुचल दिया है, लेकिन आजाद आवाजें कैद नहीं होतीं। ये है हिंदुस्तान की आवाज, हिंदुस्तान में कहीं से, कहीं पे हिंदुस्तान में।' ये फिल्म का डायलॉग है जो बताता है कि फिल्म में रेडियो की अहम भूमिका होने वाली है।
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स्वतंत्रता सैनानी उषा मेहता
उषा मेहता 1942 के क्विट इंडिया मूवमेंट की एक स्वतंत्रता सेनानी थीं। उषा ने अंग्रेजी हुकूमत से छुपकर एक खुफिया रेडियो सर्विस शुरू की थी। उषा को ही भारत की पहली रेडियो वुमेन कहा जाता है।
गुजरात में जन्मी उषा बहुत ही छोटी उम्र में महात्मा गांधी और उनके विचारों से बहुत ज्यादा प्रभावित मानी जाती थीं। जिस रेडियो को उषा ने शुरू किया था उसका पहला प्रसारण भी उन्हीं की आवाज में हुआ था। दरअसल, सारा अली खान के डायलॉग का एक खास मतलब है। 'हिंदुस्तान में कहीं से' इसलिए बोला गया था क्योंकि ये रेडियो रोजाना अपनी जगह बदलता था ताकि इसका पता अंग्रेजी सरकार ना लगा सके।
कुछ पुरानी रिपोर्ट्स की मानें तो डॉक्टर राम मनोहर लोहिया जैसे कई बड़े नेताओं का इस रेडियो को सपोर्ट भी था।
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27 अगस्त 1942 को पहला प्रसारण
उषा के रेडियो का पहला प्रसारण ही 27 अगस्त 1942 को हुआ था। उषा को रेडियो सर्विस का अनाउंसर बनाया जाना पहले ही तय कर लिया गया था। पहला प्रसारण बहुत धीमी आवाज में हुआ। धीरे-धीरे ये रेडियो प्रसारण लोगों के बीच प्रसिद्ध होने लगा और उषा को बहुत ज्यादा सपोर्ट मिलने लगा।
अंग्रेजी सरकार ने की थी उषा को खरीदने की कोशिश
उषा को अंग्रेजी सरकार द्वारा खरीदने की कोशिश भी की गई थी। दरअसल, उषा अपने रेडियो पर महात्मा गांधी सहित कई बड़े नेताओं की स्पीच और संदेश भेजा करती थीं। तीन महीने तक उन्होंने इसे अच्छे से चलाया, लेकिन फिर उन्हें और उनके साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया था।
इस बीच उन्हें टॉर्चर भी किया गया और उन्हें खरीदने की कोशिश भी की गई। उषा से कहा गया था कि यदि वो स्वतंत्रता आंदोलन को छोड़ देती हैं तो उन्हें पढ़ने के लिए विदेश भेजा जाएगा। पर उषा ने उनकी बात नहीं मानी और उन्हें 4 साल की सजा सुनाई गई।
1946 में उन्हें रिहा किया गया और वो उस वक्त मुंबई (तब बंबई) में रिहा होने वाली पहली राजनीतिक कैदी बनीं।
उषा ने अपनी जिंदगी भारत के नाम कर दी और 80 साल की उम्र में 11 अगस्त 2000 को उन्होंने अपनी अंतिम विदाई दी। क्या आपको उषा मेहता के बारे में पता था? अपने जवाब हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।