Joshimath: पिछले कुछ दिनों में जोशीमठ का नाम एकदम से खबरों में छा गया है। जिसके पीछे का कारण है जोशीमठ में आई भयंकर दरार। अब हालिया अपडेट ये है कि प्रशासन ने आपदा से निपटने की तैयारियां शुरू कर दी हैं जिसके तहत सबसे पहला कदम उठाते हुए बुलडोजर चलाने की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है।
प्रशासन की तरफ से आपदा प्रभावित इलाकों में मौजूद जर्जर मकान और होटल तोड़े जाएंगे। ये फैसला तकनीकी समिति की जांच के बाद लिया है जिसमें इस बाद का खतरा साफ बताया गया है कि अगर जर्जर हो चुके निर्माणों को तोड़ा नहीं गया तो भारी जानमाल की आशंका है। इस रिपोर्ट के बाद प्रशासन ने हरकत में आते हुए 678 घरों और 2 होटलों को चिन्हित किया है।
बहराल बता दें कि जोशीमठ न सिर्फ सामाजिक महत्व रखता है बल्कि इसका धार्मिक महत्व भी कई अधिक है। धार्मिक दृष्टि के अनुसार देखा जाए तो जोशीमठ के बिना बद्रीनाथ समेत ऐसे कई धार्मिक स्थल हैं जिनके दर्शन करना संभव ही नहीं। ऐसे में आइये जानते हैं कि कैसे जोशीमठ इतना महत्व रखता है और क्या है इसका इतिहास।
जोशीमठ का धार्मिक महत्व (Significance Of Joshimath)
- जोशीमठ चमोली जिले में स्थित है। इस जोशीमठ में ही धार्मिकता का केंद्र और चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम है। हर साल यहां भक्तों का तांता लगा रहता है और लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
- जोशीमठ उन 4 मुख्य मठों में से भी एक है जिसकी स्थापना खुद आदि शंकराचार्य ने की थी। जोशीमठ का असली नाम ज्योर्तिमठ है। मान्यता है कि आदि शंकराचार्य ने यहां घोर तप किया था।
- जोशीमठ में मात्र बद्रीनाथ धाम ही नहीं बल्कि कई अन्य प्रसिद्द मंदिर भी हैं जिनमें प्रमुख है नरसिंह भगवान का मंदिर (मंदिर की परिक्रमा लगाने का महत्व)। इस मंदिर में 1200 साल पुराने कल्पवृक्ष के होने की बात भी कही जाती है।

- इसके अलावा, जो भी भक्त बद्रीनाथ धाम में दर्शनों के लिए जाते हैं उन्हें जोशीमठ में ही ठहराया जाता है। यानि कि यह कहा जा सकता है कि बद्रीनाथ धाम का आधार है जोशीमठ।
- सिर्फ हिन्दू अनुयायियों के लिए ही नहीं बल्कि सिख समुदाय के लिए भी यह स्थान महत्वपूर्ण है क्योंकि सिखों के पावन तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब जाने के दौरान भी जोशीमठ मुख्य पड़ाव के रूप में जाना जाता है।

- जोशीमठ का वर्णन कई हिन्दू धर्म ग्रंथों, स्कंद पुराण के केदारखंड, विष्णु (भगवान विष्णु को क्यों कहा जाता है नारायण) पुराण और शिव पुराण में भी भी मिलता है। जोशीमठ से 10 किलोमीटर की दूरी पर तपोवन भी है जहां से निकलने वाले गर्म पानी को अमृत के समान माना जाता है।
तो ये था जोशीमठ का धार्मिक महत्व। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Image Credit: Wikipedia, Twitter
- जोशीमठ चमोली जिले में स्थित है। इस जोशीमठ में ही धार्मिकता का केंद्र और चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम है। हर साल यहां भक्तों का तांता लगा रहता है और लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
- जोशीमठ उन 4 मुख्य मठों में से भी एक है जिसकी स्थापना खुद आदि शंकराचार्य ने की थी। जोशीमठ का असली नाम ज्योर्तिमठ है। मान्यता है कि आदि शंकराचार्य ने यहां घोर तप किया था।
- जोशीमठ में मात्र बद्रीनाथ धाम ही नहीं बल्कि कई अन्य प्रसिद्द मंदिर भी हैं जिनमें प्रमुख है नरसिंह भगवान का मंदिर (मंदिर की परिक्रमा लगाने का महत्व)। इस मंदिर में 1200 साल पुराने कल्पवृक्ष के होने की बात भी कही जाती है।

- इसके अलावा, जो भी भक्त बद्रीनाथ धाम में दर्शनों के लिए जाते हैं उन्हें जोशीमठ में ही ठहराया जाता है। यानि कि यह कहा जा सकता है कि बद्रीनाथ धाम का आधार है जोशीमठ।
- सिर्फ हिन्दू अनुयायियों के लिए ही नहीं बल्कि सिख समुदाय के लिए भी यह स्थान महत्वपूर्ण है क्योंकि सिखों के पावन तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब जाने के दौरान भी जोशीमठ मुख्य पड़ाव के रूप में जाना जाता है।

- जोशीमठ का वर्णन कई हिन्दू धर्म ग्रंथों, स्कंद पुराण के केदारखंड, विष्णु (भगवान विष्णु को क्यों कहा जाता है नारायण) पुराण और शिव पुराण में भी भी मिलता है। जोशीमठ से 10 किलोमीटर की दूरी पर तपोवन भी है जहां से निकलने वाले गर्म पानी को अमृत के समान माना जाता है।
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