
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जहां एक-तरफ दूर-दराज में बैठे लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने का काम करता है, तो वहीं तमाम तरह की समस्याओं को पैदा करता है। इस परेशानी में सबसे बड़ी दिक्कत साइबर बुलिंग, लोगों के पर्सनल डाटा, वीडियो और फोटो को चुरा कर उसका गलत इस्तेमाल करना इत्यादि शामिल है। ऑनलाइन हैरेसमेंट से बचने के लिए लोग सामने वाले पर्सन की आईडी ब्लॉक कर देते हैं ताकि उससे छुटकारा मिल सकें। लेकिन कई बार परेशान करने वाला शख्स अलग-अलग आईडी का प्रयोग परेशान करने के लिए करता है। ऑनलाइन हैरेसमेंट के खिलाफ बने हुए लॉ के बारे में पता न होने के कारण अक्सर लोग गलत कदम उठा लेते हैं। चलिए जानते हैं साइबर बुलिंग व ऑनलाइन हैरेसमेंट के खिलाफ भारत में क्या कानून हैं।

सोशल मीडिया का इस्तेमाल जितना तेजी से आज के दौर में बढ़ रहा है उतनी ही तेजी से लोग ऑनलाइन हैरेसमेंट का शिकार हो रहे हैं। इसके बावजूद सोशल मीडिया पर होने वाले उत्पीड़न के खिलाफ बने नियम या लॉ के बारे में नहीं पता है। साइबर बुलिंग डिजिटल तकनीकों के इस्तेमाल से की जाने वाली बदमाशी है। यह सोशल मीडिया, मैसेजिंग प्लेटफॉर्म, गेमिंग प्लेटफार्म और मोबाइल फोन पर हो सकता है। यह बार-बार किया जाने वाला व्यवहार है, जिसका उद्देश्य लोगों को डराना, गुस्सा दिलाना या शर्मिंदा करना है। इसके साथ ही ऑनलाइन हैरेसमेंट में लोगों को परेशान, अब्यूज करना, ब्लैकमेल करना इत्यादि शामिल है। इसके अंतर्गत सोशल मीडिया पर किसी के बारे में झूठ फैलाना या उसकी शर्मनाक तस्वीरें या वीडियो पोस्ट करना, मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से चोट पहुंचाना, अपमानजनक या धमकी भरे संदेश, चित्र या वीडियो भेजा और किसी का नाम इस्तेमाल कर उसकी ओर से या फर्जी खातों के माध्यम से दूसरों को अपमानजनक संदेश भेजना।
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सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 को साल 2008 में संशोधित किया गया था। इसके अंतर्गत साइबर अपराध से संबंधित प्रावधान शामिल हैं, जिनमें साइबर धमकी और ऑनलाइन उत्पीड़न शामिल हैं।
आईटी अधिनियम की धारा 67 अश्लील सामग्री को ऑनलाइन प्रकाशित या प्रसारित करने से संबंधित है, और धारा 67 A यौन रूप से स्पष्ट सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करने से संबंधित है। इन धाराओं का उल्लंघन करने पर कारावास और जुर्माना हो सकता है।

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में कई प्रावधान हैं जिनका इस्तेमाल साइबर बुलिंग और ऑनलाइन उत्पीड़न के मामलों में किया जा सकता है। आईपीसी की धारा 509 के अंतर्गत किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से किए गए शब्दों, इशारों या हरकतों से संबंधित है और इसे ऑनलाइन उत्पीड़न के मामलों में लागू किया जा सकता है। ऑनलाइन संचार की विषय-वस्तु और संदर्भ के आधार पर, भारतीय दंड संहिता के तहत मानहानि, धमकी या आपराधिक धमकी से संबंधित अपराध भी लागू हो सकते हैं।
नाबालिगों से जुड़े ऑनलाइन उत्पीड़न के मामलों में, बच्चों को यौन शोषण और उत्पीड़न से बचाने के लिए यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 लागू किया जा सकता है।
साइबर बुलिंग और ऑनलाइन उत्पीड़न के लिए सज़ा में कारावास और जुर्माना शामिल हो सकता है, और यह लागू किए गए विशेष प्रावधानों और प्रत्येक मामले की परिस्थितियों के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। साइबर अपराध और ऑनलाइन उत्पीड़न से संबंधित कानूनी ढांचा बदलते डिजिटल परिदृश्य के जवाब में लगातार विकसित हो रहा है।
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