
1 जुलाई 2024 से, भारत में भारतीय दंड संहिता (IPC) को भारतीय न्याय संहिता (BNS) के साथ बदल दिया जाएगा। यह बदलाव 1860 में लागू किए गए ब्रिटिश कानून के स्थान पर एक नया, आधुनिक और समावेशी कानूनी ढांचा लाएगा। अब पुलिस और न्यायपालिका भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत ही कार्यवाही करेंगे। पहले की 511 धाराओं के स्थान पर अब केवल 358 धाराएं ही लागू होंगी।
1 जुलाई 2024 से, भारत में तीन नए आपराधिक कानून लागू होंगे, जो देश की कानूनी प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव लाएंगे। अंग्रेजी के बजाय भारतीय भाषाओं का प्रयोग। कानून की भाषा और परिभाषा को भारतीय संदर्भ और भाषाओं में तैयार किया गया है ताकि इसे आम जनता के लिए अधिक सुलभ और समझने योग्य बनाया जा सके अब एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया, हेडलाइन और सेक्शन के नए तरीके होंगे जो डिजिटल और फॉरेंसिक जांच को समर्थन करेंगे।

एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया को डिजिटल किया जाएगा, जिससे इसे दर्ज करने में कम समय लगेगा और पारदर्शिता बढ़ेगी। नए कानून के तहत फॉरेंसिक जांच के तौर-तरीकों को आधुनिक तकनीकों से लैस किया गया है, जिससे अपराधों की जांच अधिक वैज्ञानिक और सटीक हो सके। नए कानून में जनता की भागीदारी और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। अपराधों के लिए सजा के प्रावधानों में संशोधन किया गया है ताकि सजा की प्रक्रिया अधिक निष्पक्ष और न्यायपूर्ण हो सके। न्यायिक प्रक्रियाओं में डिजिटल प्लेटफॉर्म और तकनीकी संसाधनों का उपयोग बढ़ाया जाएगा, जिससे मामलों की सुनवाई और निपटारा तेजी से हो सके। ये कानून हैं:
कुछ अपराधों के लिए मौत की सजा को वैकल्पिक दंड के रूप में रखा जाएगा, न कि अनिवार्य दंड के रूप में। सोशल मीडिया पर अपराध, मॉब लिंचिंग, और स्वास्थ्य सेवा में लापरवाही जैसे नए अपराधों को परिभाषित किया जाएगा। कुछ अपराधों के लिए सजा में वृद्धि की जाएगी, जैसे कि बलात्कार और हत्या।
डिजिटल साक्ष्य, जैसे कि सोशल मीडिया पोस्ट और इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों को अधिक स्वीकार्य बनाया जाएगा। बच्चों के खिलाफ अपराधों में साक्ष्य देने के लिए बच्चों की गवाही को अधिक महत्व दिया जाएगा। विशेषज्ञ गवाहों की गवाही को अधिक मजबूत आधार पर स्वीकार किया जाएगा।

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जांच प्रक्रिया को अधिक कुशल और पारदर्शी बनाने के लिए प्रावधान किए जाएंगे। गिरफ्तारी के लिए नए दिशा निर्देश होंगे, ताकि मनमानी गिरफ्तारी को रोका जा सके। जमानत के प्रावधानों को अधिक न्यायसंगत बनाने के लिए बदलाव किए जाएंगे।
भारतीय न्याय संहिता का मुख्य उद्देश्य न्यायिक प्रणाली को अधिक आधुनिक, पारदर्शी और सुलभ बनाना है। नए कानून के तहत नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा और उनकी भागीदारी को सुनिश्चित किया गया है। फॉरेंसिक और डिजिटल तकनीकों का इस्तेमाल अपराधों की जांच में अधिक प्रभावी बनाने के लिए किया गया है। अपराधों की जांच और सजा में तेजी आ सकती है। पीड़ितों को न्याय मिलने की संभावना बढ़ सकती है। कानून प्रवर्तन अधिकारियों के लिए अधिक जवाबदेही हो सकती है।
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भगोड़े अपराधियों के गैर-मौजूदगी के मामलों में अब 90 दिनों के अंदर केस दर्ज करने का प्रावधान होगा।
इन बदलावों का लक्ष्य 3 साल के अंदर पीड़ितों को न्याय दिलाना है।
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