आज हर कोई सोशल डिस्टैंसिंग का पालन कर रहा है। माता-पिता को अपने बच्चों के साथ काफी समय बिताने का मौका मिल रहा है। बच्चों को घर में बंद रहने की बजाए बाहर घूमना एवं खेलना पसंद है। रातों रात जीवनशैली में हुए इस परिवर्तन ने माता-पिता को हैरान कर दिया है कि वो अपने ऊर्जा से भरे बच्चे को घर में कैसे बिजी रखें। आप अपने बच्चे के साथ घर में रहते हुए समय का सदुपयोग करें, उसके कुछ टिप्स निम्नलिखित हैं और इन टिप्स के बारे में हरजिंदगी को आर एंड डी, हिमालय ड्रग कंपनी की आयुर्वेद विशेषज्ञ, डॉक्टर प्रतिभा बाबशेट ने बताया है।
अगर आपको नाचना, गाना या चित्र बनाना पसंद है, तो इस समय अपने बच्चे को इन एक्टिविटी या फिर उनके शौक पूरा करने में संलग्न करें। फिजिकल एक्टिविटी में संलग्न होना माता-पिता के लिए भी फायदेमंद है क्योंकि इससे एक तरफ वो चुस्त रहते हैं, तो दूसरी तरफ बच्चे व्यस्त रहते हैं। अगर आप अपने शिशुओं को घुमाने के लिए बाहर ले जाते रहे हैं, तो फिर आप अब अपनी बालकनी या फिर छत का उपयोग इस उद्देश्य के लिए कर सकते हैं। धूप शरीर को रोशनी देकर विटामिन डी के उत्पादन में मदद करती है।
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इस अतिरिक्त समय का उपयोग पिता यह सीखने के लिए कर सकते हैं कि शिशुओं को नहलाकर उनकी नैपी किस प्रकार बदली जाए। वो माताओं की मदद कर सकते हैं और शिशु को सहालने के लिए रात की शिफ्ट में काम कर सकते हैं। इस तरह वो कुछ क्वालिटी समय भी बिता सकते हैं।
क्वारंटाइन के दौरान नई चीजें सीखने के लिए लोग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। अपने स्क्रीन टाइम का उपयोग ऐसे वीडियो देखने के लिए करें, जो आपके बच्चे के लिए स्वादिष्ट व पोषण युक्त आहार बनाने में मदद करें। अपने बच्चे को उनकी फेवरेट सब्जी/फल चुनने दें और रोचक तरीके से वो उनके लिए बनाएं। इस तरह वो विभिन्न सब्जियों एवं फलों के बारे में जानेंगे।
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क्योंकि आप बाहर नहीं जा सकते, इसलिए आप अपने शिशु के लिए बेडरूम या लिविंग रूम में छोटा सा प्ले एरिया बना सकते हैं। वो यहां पर सरक सकते हैं और खेल सकते हैं तथा आप उन पर निगरानी रखते हुए काम भी कर सकते हैं।
अगर आपका शिशु प्ले स्कूल नहीं जा पा रहा, तो आप उनसे संवाद करके उनकी सोशल व मोटर स्किल्स को घर पर विकसित कर सकते हैं। भावनात्मक संबंध के लिए संवाद बहुत जरूरी है। इसलिए उनके गेस्चर्स, आवाज व एक्शन पर प्रतिक्रिया दें। उनके साथ खेलने से उनकी गतिविधियों में सुधार होगा, संवाद से उनका सेंसरी कौशल विकसित होगा। उनके क्रियाओं पर प्रतिक्रिया दें व गोद लेकर या गले लगाकर उन्हें पुरस्कृत करें।
शिशुओं को अपने निकट संबंधियों के साथ संवाद करते रहना चाहिए। परिवार एवं दोस्तों के साथ वीडियो कॉल करें, ताकि उन्हें शिशु के साथ संवाद करने का मौका मिले। लेकिन ध्यान रखें के अपने शिशु को बहुत ज्यादा समय तक स्क्रीन के सामने न रखें।
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आपका शिशु आपसे क्या कहना चाहता है, यह सदैव समझने की कोशिश करें और उसी के अनुरूप उसका उत्तर दें। इससे चिंता को दूर करने में मदद मिलेगी। डॉक्टर के पास जाना हो, तो जब तक बहुत जरूरी न हो, तब तक डॉक्टर से फोन से ही बात करें। अगर आपके शिशु को वैक्सीनेशन दिया जाना है, तो डॉक्टर से बात करके जान लें कि क्या उन्होंने शिशु के चेकअप के लिए समय निर्धारित किया है। इस तरह की और जानकारी पाने के लिए हरजिंदगी से जुड़े रहें।
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