आजकल बच्चों की पढ़ाई-लिखाई को लेकर पेरेंट्स की फिक्र बहुत ज्यादा बढ़ गई है। टीवी, स्मार्टफोन्स, वीडियोगेम्स और फिल्मों में बच्चों का इतना मन लगता है कि वे पढ़ाई पर फोकस ही नहीं कर पाते। चाहें बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया जाए या फिर घर में मम्मी-पापा खुद पढ़ाएं, बच्चे पेरेंट्स के प्रयासों के बावजूद अपनी स्टडीज में बहुत ध्यान नहीं दे पाते। इसका नतीजा ये होता है कि पेरेंट्स का टेंशन बढ़ जाता है और कई बार गुस्से में आकर मां बच्चों को डांटना और मारना भी शुरू कर देती हैं। अगर आप भी अपने बच्चे की पढ़ाई को लेकर परेशान होती हैं तो चिंता ना करें, आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे वास्तु टिप्स के बारे में, जिनके जरिए आप अपने बच्चों का फोकस बढ़ा सकती हैं और उन्हें पढ़ने के लिए स्वाभाविक तरीके से प्रेरित कर सकती हैं-
वैसे तो बच्चों को वाइब्रेंट कलर्स बहुत अपील करते हैं, लेकिन आप उनके कमरे में लाइट ग्रीन और ब्लू कलर का इस्तेमाल जरूर करें, क्योंकि ये रंग कंसेंट्रेशन बढ़ाते हैं। हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि बहुत ज्यादा चटख रंग जैसे कि ब्राइट येलो कलर ना यूज करें, क्योंकि इससे वास्तु दोष पैदा होता है। इस बात का भी ध्यान रखें कि बहुत ज्यादा ब्लैक, रेड नहीं होना चाहिए और ना ही कमरे में ढेर सारे रंग हों। अगरस्पोर्ट्स में है, तो थोड़ा रेड करें
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अगर आपका बच्चा 10 साल की उम्र का है तो उसे पढ़ने के लिए इंस्पायर करने के लिए आप इंस्पिरेशनल पर्सनेलिटीजकी तस्वीरें लगा सकती हैं। मसलन आप कमरे में जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, महात्मा गांधी, डॉ अब्दुल कलाम आजाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल आदि की तस्वीरें लगा सकती हैं। इन तस्वीरों को देखकर बच्चा बार-बार उनके बारे में सोचने के लिए प्रेरित होता है और खुद को उनके जैसा बनाने की दिशा में कदम बढ़ाता है।
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बच्चा जब अपने अचीवमेंट्स और कामयाबी से जुड़े प्रतीकों को देखता है तो उसके अंदर हिम्मत और हौसला दोनों जग जाते हैं। इनसे प्रेरित होकर वह आगे भी कामयाबी हासिलकरने के लिए इंस्पायर होता है। इसके लिए बच्चों को स्वाभाविक तरीके से प्रेरित करने के लिए ईस्ट वॉल पर बच्चों के अचीवमेंट वाली तस्वीरें, मेडल और सर्टिफिकेट्स की तस्वीरें लगाएं।
स्टफ्ड टॉयज देखकर कोई भी इंसान इमोशनल हो जाता है। अगर बच्चों को स्टफ्ड टॉयज नजर आएंगे तो वे उन्हें भावनात्मक रूप से कमजोर बना सकते हैं। बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए स्टफ्ड टॉयज स्टडी रूम में और उनकी स्टडी टेबल के पास ना रखें।
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अगर बच्चा क्रिकेटर बनना चाहता है तो आप कमरे में सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली या एम एस धोनी आदि की तस्वीरें लगाकर बच्चे को क्रिकेट में आगे बढ़ने के लिए इंस्पायर कर सकती हैं। अगर बच्चे को एस्ट्रोनॉट बनाना चाहती हैं तो कल्पना चावला की तस्वीर कमरे में लगा सकती हैं।
इस बात का ध्यान रखें कि बच्चों का स्टडी टेबल दरवाजे के सामने ना हो। इससे बच्चों की एकाग्रता भंग होती है। साथ ही बच्चों के कमरे में शीशे का होना भी अच्छा नहीं है, क्योंकि इससे साइकोलॉजिकल प्रॉबल्म पैदा होती है। वास्तु के हिसाब से बच्चों के कमरे में टीवी भी नहीं होना चाहिए। अगर बच्चे के रूम में अटैच्ड बाथरूम है, तो उसे हमेशा बंद करें, क्योंकि बाथरूम से नेगेटिव एनर्जी आती है।
इस बात का भी ध्यान रखें कि कमरे में टूटी-फूटी और धार वाली चीजें ना हों। एक अहम बात ये है कि बच्चों के कमरे में लगी घड़ी कभी बंद नहीं होनी चाहिए और कभी उसमें गलत समय ना दिखाई दे, क्योंकि इसका बच्चे की मानसिकता पर असर पड़ता है।
अगर आपका बच्चा कम्यूनिकेशन में अच्छा है, तो ग्रीन कलर का इस्तेमाल करें क्योंकि बुद्ध कम्यूनिकेशन का प्लेनेट है। इससे बच्चे की कम्यूनिकेशन स्किल्स और बेहतर हो जाएंगी। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि दीवारें कंट्रास्ट कलर वाली ना हों।
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