अक्सर घरों में पेरेंट्स इतने व्यस्त होते हैं कि उनका ध्यान बेटियों पर थोड़ा कम जाता है। इस चक्कर में कई बार बेटी की परेशानियां भी नजर नहीं आती है। करियर या किसी और कारण से बेटियों के जीवन में दिक्कतें चल रही होती हैं, जिसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल होता है।
हर बच्चा अलग होता है और उसकी समस्याएं भी अलग हो सकती हैं। इसलिए अपनी बेटी की समस्याओं को समझने के लिए धैर्य और समझदारी से काम लें। अगर आपको लगता है कि आपकी बेटी को किसी पेशेवर की मदद की जरूरत है, तो बिना किसी देरी के एक मनोचिकित्सक से संपर्क कर सकते हैं, कयोंकि घर में उसका खोया-खोया सा रहना मां के लिए बहुत चिंता का विषय होता है।
कई बार छोटी-छोटी बातें भी बेटी के मन पर गहरा असर डाल सकती हैं। आइए जानते हैं कि बेटी के खोए-खोए रहने के क्या कारण हो सकते हैं और आप अपनी बेटी की काउंसलिंग कैसे कर सकती हैं।
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बेटिपरीक्षाओं का तनाव, अच्छे नंबर लाने का दबाव, दोस्तों के साथ तुलना आदि। दोस्तों के दबाव में आना, सोशल मीडिया का अत्यधिक इस्तेमाल, बॉडी इमेज इश्यूज आदि कई सारी समस्याएं जीवन में चल रही होती हैं। शारीरिक और मानसिक बदलावों से जुड़ी उलझनें भी कई बार लोगों को परेशान करती हैं। किसी से प्यार हो जाना और उससे जुड़ी समस्याएं भी जीवन में चल रही होती हैं। डिप्रेशन, एंग्जाइटी, या कोई अन्य मानसिक व स्वास्थ्य समस्याएं आदि के कारण भी आपकी बीटिया परेशान रह सकती हैं।
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खुला माहौल बनाएं- अपनी बेटी को ऐसा महसूस कराएं कि वह आपसे कुछ भी बिना डरे शेयर कर सकती है।
बातों को ध्यान से सुनें- बिना किसी रुकावट के अपनी बेटी की बात सुनें। उसे महसूस कराएं कि आप उसकी भावनाओं को समझती हैं। अपनी बेटी को समझने के लिए धैर्य रखें। जल्दबाजी में कोई फैसला न लें।
सवाल पूछें- धीरे-धीरे सवाल पूछकर अपनी बेटी की समस्याओं को समझने की कोशिश करें।
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उदाहरण देकर समझाएं- अपनी जिंदगी के अनुभवों को साझा करके अपनी बेटी को समझाएं कि हर समस्या का समाधान होता है।
सकारात्मक बातें करें- अपनी बेटी की तारीफ करें और उसकी उपलब्धियों को मनाएं।
साथ समय बिताएं- अपनी बेटी के साथ समय बिताएं, उसकी पसंद की गतिविधियां करें।
पेशेवर की मदद लें- अगर समस्या गंभीर है तो किसी मनोचिकित्सक की मदद लें। सुनिश्चित करें कि आपकी बेटी स्वस्थ आहार ले रही है और पर्याप्त नींद ले रही है।
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