How to Become Socially Intelligent: रिश्तेदारों या जान-पहचान वालों के बीच बैठकर कई बार हमें कुछ ऐसी बातें सुनने को मिलती हैं, जो सीधे दिल पर लग जाती हैं। अभी तक शादी क्यों नहीं की?, हाय राम! इतना वजन कैसे बढ़ गया है?, तुम्हारी सैलरी कितनी है? आदि ऐसे सवाल अक्सर हमें असहज कर देते हैं और हम कई बार यह समझ नहीं पाते हैं कि इनका जवाब कैसे दें। अगर आप भी ऐसी स्थितियों से बचना चाहती हैं या इन बातों का आप पर कोई असर न हो, इसके लिए जवाब देना चाहती हैं, तो आपको अपने अंदर सोशल इंटेलिजेंस बढ़ाने की जरूरत है। दरअसल, यह वो खूबी है जो आपको लोगों को बेहतर तरीके से समझने, उनसे प्रभावी ढंग से बातचीत करने और सामाजिक परिस्थितियों को चतुराई से संभालने में मदद करती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि कुछ आसान टिप्स अपनाकर आप अपनी सोशल इंटेलिजेंस को बढ़ा सकती हैं, जिससे रिश्तेदारों की तीखी बातें आपको चुभेंगी भी नहीं और आप हर सामाजिक माहौल में खुद को ज्यादा कॉन्फिडेंट और सहज भी महसूस करेंगी। आइए, आश्मीन मुंजाल के बताए उन 5 टिप्स के बारे में जान लेते हैं।
सोशल इंटेलिजेंस कैसे बढ़ाएं?
दूसरों की बॉडी लैंग्वेज और टोन को समझें
सोशल इंटेलिजेंस का पहला कदम है दूसरों के अकहे संकेतों को समझना। सिर्फ शब्दों पर ध्यान न दें, बल्कि सामने वाले की बॉडी लैंग्वेज, चेहरे के हाव-भाव और बोलने की टोन पर भी गौर करें। अगर कोई आपसे बात करते समय अपनी बाहें बांध रहा है या उसकी आवाज में चिड़चिड़ापन है, तो हो सकता है वह बातचीत में सहज न हो। ऐसे में आप अपने बात करने का तरीका बदल सकते हैं या विषय बदल सकते हैं। अगर कोई रिश्तेदार कटाक्ष कर रहा है, तो उनकी टोन से आप समझ जाएंगे कि उनका इरादा आपको नीचा दिखाना है या सिर्फ मजाक करना। यह समझ आपको शांत रहने और सही प्रतिक्रिया देने में मदद करेगी।
सक्रिय होकर सुनें
अक्सर हम दूसरों की बात सुनने से ज्यादा अपनी बात कहने पर ध्यान देते हैं। सोशल इंटेलिजेंस के लिए सक्रिय होकर सुनना बहुत जरूरी है। इसका मतलब है कि आप सिर्फ सुनें ही नहीं, बल्कि सामने वाले की बात को समझें भी, उस पर ध्यान देते हुए उनपर उचित प्रतिक्रिया देना भी जरूरी है। जब कोई बोल रहा हो, तो अपनी राय बनाने से पहले उसकी पूरी बात खत्म होने दें। बीच में न टोकें। आंख से आंख मिलाकर बात करें और सिर हिलाकर या छोटे-छोटे शब्द बोलकर यह दिखाएं कि आप सुन रहे हैं। जब कोई रिश्तेदार आपको कोई सलाह दे रहा हो या शिकायत कर रहा हो, तो उसे ध्यान से सुनें। भले ही आप उनकी बात से सहमत न हों, लेकिन उन्हें यह महसूस कराएं कि आपने उनकी बात सुनी है। यह उन्हें शांत करने में मदद कर सकता है।
अपनी भावनाओं को ऐसे करें मैनेज
सामाजिक रूप से बुद्धिमान व्यक्ति अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना जानते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि आपको अपनी भावनाओं को दबाना है, बल्कि यह समझना है कि कब और कैसे उन्हें व्यक्त करना है। जब कोई आपको गुस्सा दिलाए या असहज करे, तो तुरंत प्रतिक्रिया देने के बजाय एक पल रुकें। गहरी सांस लें और सोचें कि आप क्या कहना या करना चाहते हैं। गुस्से में कही बात अक्सर पछतावे का कारण बनती है। जब कोई तीखी बात कहे, तो गुस्सा होने या पलटवार करने के बजाय, खुद को शांत रखें। आप चाहें तो एक मुस्कान दे सकते हैं, विषय बदल सकते हैं, या फिर चिंता के लिए उन्हें धन्यवाद भी कह सकती हैं।
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अपने अंदर सहानुभूति विकसित करें
सहानुभूति का अर्थ है दूसरों की भावनाओं और दृष्टिकोण को समझना। यह सिर्फ उनकी जगह खुद को रखकर सोचने से कहीं बढ़कर है। लोगों के व्यवहार के पीछे के कारणों को समझने की कोशिश करें। हर कोई अपने जीवन की परिस्थितियों से जूझ रहा होता है। अगर कोई व्यक्ति चिड़चिड़ा है, तो हो सकता है वह किसी व्यक्तिगत समस्या से परेशान हो। अगर कोई रिश्तेदार लगातार आपसे शादी या नौकरी के बारे में पूछ रहा है, तो हो सकता है वे आपकी परवाह करते हों या उन्हें समाज के दबाव का डर हो। उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें, इससे आपको उनकी बातों को व्यक्तिगत रूप से लेने में मदद मिलेगी।
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सामाजिक परिस्थितियों के अनुकूल ढलें
सोशल इंटेलिजेंस वाले लोग विभिन्न सामाजिक सेटिंग्स में खुद को ढालना जानते हैं। वे समझते हैं कि हर माहौल में एक ही तरह से बात करना या व्यवहार करना सही नहीं होता हो। एक पार्टी में आप जिस तरह से बात करेंगी, वह ऑफिस मीटिंग से अलग होगा। आप अपनी भाषा, बॉडी लैंग्वेज और यहां तक कि हास्य के स्तर को भी माहौल के हिसाब से एडजस्ट कर सकती हैं। पारिवारिक समारोहों में कुछ अनचाहे सवाल आ सकते हैं। बजाय इसके कि आप उनसे बचें या नाराज हों, आप पहले से कुछ डिप्लोमैटिक जवाब तैयार रख सकती हैं या बात को मजाक में उड़ा सकती हैं। यह आपको सहज रहने में मदद करेगा।
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