टीनएज यानी बच्चे का 13 से 19 साल के बीच का समय एक ऐसा दौर होता है जब बच्चे के अंदर शारीरिक से लेकर मानसिक तक कई सारे बदलाव होते हैं। इस दौरान बच्चे अपने माता-पिता से भी दूरी बनाने लगते हैं और दोस्तों के करीब होते जाते हैं। दरअसल, ऐसा उनके अंदर हार्मोनल बदलाव की वजह से होता है।
किशोरावस्था में बच्चे को लगता है कि उनके माता-पिता उनकी बात नहीं समझ पाएंगे, जितनी अच्छी तरह उनके दोस्त उन्हें समझ सकते हैं। इसलिए बच्चे के टीनएज का समय हर पेरेंट्स के लिए चुनौती भरा होता है। इस समय बच्चे का दूसरों के बहकावे में आने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में बच्चों के साथ आपको भी एक दोस्त जैसा बॉन्ड बनाए रखना जरूरी होता है, ताकि बच्चे क्या कर रहे हैं और क्या नहीं, इस बारे में आपको भी जानकारी हो। इसके लिए आपको छोटी-छोटी बातों का खास करके ध्यना देना होगा। इसी के साथ आइए हम यहां आपको कुछ ऐसी टिप्स बताते हैं, जिनकी मदद से आप अपने टीनएज बच्चे के साथ दोस्त जैसा बॉन्ड बना सकते हैं।
छोटे बच्चों को तो आप कुछ बोलकर बहला सकते हैं, लेकिन वही बच्चे जब टीनएज स्टेज पर आ जाएं तो उन्हें आप इग्नोर नहीं कर सकते हैं। अगर आप उनकी बातों को बिना सुने इग्नोर करते हैं, तो इससे उन्हें गुस्सा आ सकता है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने बच्चे की बातों को हमेशा ध्यान से सुनें। जब वे अपनी भावनाओं, अनुभवों और विचारों को शेयर करें, तो उनकी सारी बातों पर प्रतिक्रिया दें। उन्हें महसूस कराएं कि आप उनकी बातों को महत्व देते हैं।
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अपने बच्चे की भावनाओं और विचारों का सम्मान करें। भले ही उनकी राय आप से मेल न खाती हों, पर मन में बिना कोई धारणा बनाए उनकी बातों को सुनें। साथ ही, कुछ गलत बोलने पर उन्हें जज न करें। इससे उन्हें बुरा लग सकता है और वे आपसे दूरी बना सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप उन्हें प्यार से समझाएं।
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टीनएज बच्चे के हर पसंद-नापसंद में आपको शामिल होना जरूरी है। ऐसे में, उनकी हॉबीज में भी आपको साथ देना चाहिए। हो सकता है कि उनकी हॉबीज खेल-कूद में ज्यादा हो और पढ़ाई में कम, लेकिन उन्हें किसी चीज में अकेला महसूस न होने दें। इससे वे आपके करीब आ सकते हैं। साथ ही, आपको अपना दोस्त भी मान सकते हैं।
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अपने बच्चे के साथ दोस्ती का रिश्ता बनाने के लिए उन्हें स्वतंत्रता दें। अपने फैसले खुद लेने दें। साथ ही, अगर वे कुछ गलतियां करते हैं, तो उन्हें सही और गलत के बारे में भी समझाएं, लेकिन अपने विचार पूरे तरह से उनपर थोपे नहीं।
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