किशोर उम्र जीवन में सबसे ज्यादा बदलाव की उम्र होती है। उस दौरान कई तरह के शारीरिक बदलाव होते हैं, जो मानसिक बदलाव का भी कारण बनते हैं। दूसरी ओर, इसी उम्र में शिक्षा ऐसे पड़ाव पर होती है, जिससे उनके पूरे जीवन का निर्धारण होता है। अगर सही समय पर सही दिशा न मिले, तो भविष्य में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए ऐसे बच्चों की परवरिश के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। आइए इस बारे में आर्टेमिस अस्पताल के मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान के प्रमुख सलाहकार एवं प्रमुख मनोचिकित्सक डॉ. राहुल चंडोक से विस्तार से जानते हैं।
किशोर उम्र में बच्चे अक्सर अपने दोस्तों से प्रभावित होते हैं। ऐसे में संभव है कि उनके खर्च का पैटर्न अचानक बदलने लगे। इस पर नजर रखें। बच्चे को पैसों का महत्व समझाएं। उसे जरूरत और फिजूलखर्ची के बीच का अंतर पता होना चाहिए। अगर बच्चा खर्च को मैनेज करना और बजट के हिसाब से चलना सीख जाए, तो यह उसके जीवन में बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। हर बात में पैसे का जिक्र करना सही नहीं है, लेकिन आपको यह भी समझना होगा कि कब उसे पैसे के महत्व के बारे में बताना है।
नैतिक मूल्यों के साथ बढ़ने वाला बच्चा अपने और समाज के लिए किसी एसेट से कम नहीं होता। नैतिक मूल्यों को विकसित करने के लिए किशोर उम्र सबसे सही समय है। बच्चे को नियमित तौर पर समय दें और अलग-अलग उदाहरणों के माध्यम से उसे नैतिक मूल्यों का महत्व समझाएं। नैतिक मूल्यों की पहचान लड़के और लड़की दोनों को होनी चाहिए।
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किशोर उम्र में बच्चे अक्सर दुविधा में होते हैं। फिल्मों, वेब सीरीज आदि के माध्यम से अक्सर उनके सामने कई ऐसे पात्र आते हैं, जिनके बारे में सही-गलत का निर्णय करना उनके लिए मुश्किल होता है। ऐसी स्थिति में आपको उनका मार्गदर्शक बनना चाहिए। आपको सही और गलत के बीच स्पष्ट चुनाव करना चाहिए और बच्चे के विचारों को भी इस मामले में स्पष्ट बनाना चाहिए। क्या गलत है और क्या सही है, इस बारे में बच्चे के मन में कोई संदेह नहीं होना चाहिए। उसे बताएं कि अच्छे होने का क्या महत्व है।
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स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। इसलिए बच्चे को स्वास्थ्य के प्रति सतर्क बनाना सबसे जरूरी है। शुरुआत से ही उसकी दिनचर्या को अनुशासित रखें। साथ ही उसे यह स्पष्ट रूप से बताएं कि क्या खाना उसके स्वास्थ्य के लिए सही है और क्या गलत है। फास्ट फूड और कोल्ड ड्रिंक के इस जमाने में बच्चे को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना और भी जरूरी हो गया है। इसके लिए आपको भी अपने खानपान में स्वास्थ्यवर्धक चीजों को प्राथमिकता देनी होगी। बच्चे को डांटकर नहीं, बल्कि उसके मन को समझते हुए तर्क के साथ बातें समझाएं और उसे स्वयं निष्कर्ष तक पहुंचने दें। सिखाने का यह तरीका बहुत कारगर होता है।
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