यौन शोषण से बेटियों को बचाने के लिए उन्हें बचपन से ही सिखाएं ये अहम बातें

यौन शोषण से संबंधित बेटियों को बचपन से ही कुछ सीख दे देना जरूरी है, लेकिन महिलाओं के पास समस्या ये होती है कि आखिर बच्चियों को इसके बारे में कैसे समझाया जाए। तो चलिए इसमें हम आपकी मदद करते हैं।
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समाज में हो रहा नैतिक मूल्यों का पतन लगातार चिंता बढ़ा रहा है। इस बात में कोई संदेह नहीं कि इसके समाधान के लिए पूरे समाज को कदम बढ़ाने की जरूरत है। इसी के साथ बेटियों को सतर्क रहने की सीख देना भी जरूरी है। जागरूकता और सतर्कता ही बच्चियों को यौन शोषण से बचाने की कुंजी है। आइए आर्टेमिस अस्पताल के मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान के प्रमुख मनोचिकित्सक व प्रमुख सलाहकार डॉ. राहुल चंडोक से बच्चियों को यौन शषण के बारे में सीख देने के टिप्स के बारे में जानते हैं।

गुड टच-बैड टच समझाएं

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बच्चियों को गुड टच और बैड टच के बारे में समझाना जरूरी है। इस अंतर को समझकर उनके लिए ऐसे किसी संभावित खतरे से बचना संभव हो सकता है। कई बार कम उम्र में बच्चियां इस अंतर को नहीं समझ पाती हैं और यौन शोषण का शिकार हो जाती हैं। इसका दुखद पहलू यह है कि जब बच्चियों को इस संबंध में पता चलता है, तो उनका आत्मविश्वास भी टूटता है।

खुलकर बात करना सिखाएं

ऐसी किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए जरूरी है कि आप बेटी को खुलकर बात करना सिखाएं। उसे समझाएं कि वह आपको हर छोटी-बड़ी बात बताए। इससे समय रहते किसी अप्रिय स्थिति के बारे में जानना संभव होगा। अगर बेटी के स्वभाव में अचानक कोई बदलाव लगे, तो उस पर ध्यान दें और उससे कारण जानने का प्रयास करें।

बचाव के तरीकों पर भी बात करें

बेटियों से इस बारे में भी बात करें कि उन्हें ऐसी किसी अप्रिय स्थिति से कैसे बचना चाहिए। किसी भी अनजान व्यक्ति के साथ किसी एकांत स्थान पर न जाना, घर में बड़ों की जानकारी के बिना कहीं न जाना और कुछ भी संदेहास्पद लगने पर तत्काल वहां से हट जाना ऐसे ही कदम हैं। इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर बेटियां किसी अप्रिय स्थिति में फंसने से बच सकती हैं।

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सामना करने की हिम्मत दें

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बचाव के साथ-साथ ऐसी किसी अप्रिय स्थिति का सामना करने की हिम्मत देना भी जरूरी है। बच्चियों को शुरुआत से ही आत्मरक्षा के गुण सिखाएं। उन्हें समझाएं कि उनका छोटा होना ही उनकी ताकत है। अपनी चपलता और फुर्ती के दम पर वह किसी के भी शिकंजे से निकलने में सक्षम हैं। इसे अलावा आत्मरक्षा के तहत उन्हें सामने वाले पर सही तरह से हमला करना भी सिखाएं। बच्चियों को पता होना चाहिए कि शरीर के किन हिस्सों पर वार करने से सामने वाला धराशाई हो सकता है।

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शोर मचाने और भागने के बारे में बताएं

इसके अलावा उन्हें शोर मचाने और भागने के बारे में समझाएं। जैसे ही लगे कि किसी अप्रिय स्थिति में फंस गए हैं, तुरंत शोर मचाएं। बच्चों को पैनिक बटन भी दिया जा सकता है। यह हमेशा उनके पास रहना चाहिए। पैनिक बटन दबाते ही उससे बहुत तेज आवाज आती है, जो आसपास हर किसी का ध्यान आकर्षित करती है। अगर बच्चे चिल्लाने की स्थिति में न हों तो पैनिक बटन बहुत काम आ सकता है। साथ ही उन्हें समझाएं कि ऐसी स्थिति में जैसे ही मौका मिले, भागना अच्छा विकल्प होता है।

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Image credit- Herzindagi


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