होलिका दहन की तिथि 13 मार्च है। इस दिन का शुभ मुहूर्त गुरुवार रात 11:26 बजे से लेकर रात 12:30 बजे तक रहेगा, जिसे होलिका दहन के लिए उपयुक्त समय माना गया है। होलिका दहन बुराई की अच्छाई पर जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान घर में सुख और समृद्धि की कामना की जाती है। यह मान्यता है कि होलिका दहन की पूजा से घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। अब, हम जानते हैं कि होलिका दहन की पूजा की सही विधि और नियम क्या होते हैं, जो ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स द्वारा बताए गए हैं।
होलिका दहन की पूजा विधि (Holika Dahan Puja Vidhi 2025)
प्रात:काल उठकर स्नान करें: होलिका दहन के दिन सुबह जल्दी उठकर ताजगी से स्नान करें। यह दिन विशेष होता है, इसलिए शुद्धता बनाए रखना आवश्यक है। स्नान के बाद मन को शांत और पवित्र रखने के लिए व्रत का संकल्प लें।
होलिका दहन की तैयारी करें: व्रत का संकल्प लेने के बाद, होलिका दहन की जगह को अच्छे से साफ करें। जिस स्थान पर होलिका दहन करना है, वहां पर किसी भी प्रकार की गंदगी नहीं होनी चाहिए। स्वच्छता से पूजा में सकारात्मकता आती है।
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सामग्री एकत्रित करें: होलिका दहन के लिए आवश्यक सामग्री जैसे - होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमा, अग्नि के लिए लकड़ी, घी, गेहूं, चने की बालियां, जौ, गोबर के उपले, गुलाल और जल आदि इकट्ठा कर लें।
होलिका और प्रह्लाद की पूजा करें: अब होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमा बनाकर भगवान नरसिंह की पूजा करें। नरसिंह भगवान को विशेष रूप से इस दिन पूजा जाता है क्योंकि यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। उनके सामने फूल और चढ़ावे अर्पित करें और विधिपूर्वक पूजा करें।
होलिका की पूजा और अग्नि प्रज्वलन करें: शुभ मुहूर्त के दौरान होलिका की पूजा करें। इस समय होलिका में अग्नि प्रज्वलित करें और उसे विधिपूर्वक अर्पित करें। अग्नि में आहुति देने से बुराई का नाश होता है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
परिवार के साथ परिक्रमा करें: अब परिवार के साथ होलिका की तीन बार परिक्रमा करें। यह परिक्रमा नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा को घर में लाने का एक महत्वपूर्ण उपाय है।
होलिका की आग में सामग्री अर्पित करें: परिक्रमा के बाद, नरसिंह भगवान से प्रार्थना करते हुए होलिका की आग में गेहूं, चने की बालियां, जौ, गोबर के उपले आदि डालें। इससे विशेष रूप से घर में सुख-समृद्धि आती है।
गुलाल और जल चढ़ाएं: अब होलिका की आग में गुलाल और जल चढ़ाएं। यह कार्य पुण्यकारी माना जाता है और पूरे परिवार के लिए सुख-शांति का प्रतीक होता है।
राख इक्कठी करें: होलिका की आग शांत होने के बाद, उस राख को एकत्रित करें। इसे घर में लाकर विभिन्न स्थानों पर रखें। मान्यता है कि इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मकता का प्रवाह बढ़ने लगता है।
वास्तु दोष का उपाय करें: यदि आपके घर में वास्तु दोष है, तो होलिका की राख को दक्षिण-पूर्व दिशा (आग्नेय कोण) में रखें। यह दिशा घर के वास्तु दोष को समाप्त करने के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
इस समय पर भोजन करें: होलिका दहन की ज्वाला को देखकर ही भोजन करना शुभ माना जाता है। इस समय के बाद भोजन करें, क्योंकि यह समय विशेष रूप से घर के लिए शुभ और मंगलकारी होता है।
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