HerZindagi ने दो साल पहले महिलाओं का कॉन्फिडेंस बढ़ाने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए कदम बढ़ाए थे और इस राह पर आगे चलते हुए हमने दो साल पूरे कर लिए। इस दौरान हमने महिलाओं को हेल्थ, लाइफस्टाइल, होम, फूड और फैशन जैसी तमाम चीजों पर उनके लिए उपयोगी जानकारियां दीं और उनके जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश की। HerZindagi के दो साल पूरे होने की खुशी में दिल्ली के फाइव स्टार होटल क्राउन प्लाजा में पूरे जोश के साथ सेलिब्रेशन किया गया। इस दौरान ईवेंट में इन्फ्लुएंसर और विनोद दुआ की पत्नी चिन्ना दुआ, Miam Patisserie की फाउंडर बानी नंदा, वीलिंग हैप्पिनेस की फाउंडर देविका मलिक और भारतीय वायुसेना में रहीं विंग कमांडर अनुपमा जोशी ने हिस्सा लिया। इस ईवेंट में रैंप वॉक और Herzindagi क्वीन चुने जाने के साथ-साथ और भी कई दिलचस्प एक्टिविटीज हुईं, जिसमें महिलाओं ने पूरे उत्साह के साथ हिस्सा लिया। आइए जानते हैं इस ईवेंट के एक्साइटिंग मोमेंट्स के बारे में-
HerZindagi फैशन शो में हिस्सा लेने के लिए महिलाएं काफी ज्यादा एक्साइटेड थीं। बहुत सी महिलाओं ने बताया कि वे रैंप पर वॉक करने के लिए कई दिन से प्रैक्टिस भी कर रही थीं और रैंप वॉक से पहले काफी नर्वस थीं। रेडियो सिटी की आरजे दिव्या ने इस सेशन का आगाज दिलचस्प तरीके से किया। इस दौरान महिलाओं ने पूरे जोश में अपनी ड्रेसेस शोकेस कीं।
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कुछ महिलाओं ने सलवार सूट, तो कुछ ने साड़ी, वहीं कुछ और ने वेस्टर्न ड्रेसेस में अपना जलवा दिखाया। फैशन शो के दूसरे राउंड में 5 फाइनलिस्ट चुनी गईं और इस दौरान जजेज ने इन फाइनलिस्ट से कुछ अहम सवाल पूछे। इन सभी फाइनलिस्ट ने पूरे कॉन्फिडेंस के साथ सवालों के जवाब दिए। इनमें कुछ महिलाएं ऐसी थीं, जो पहली बार स्टेज पर खड़ी थीं, लेकिन इनका विश्वास देखने लायक था।
इन प्रतिभागियों में सवाल का सबसे अच्छा जवाब देकर Herzindagi Queen बनीं Joanne, उनके साथ सेकेंड रन अप और फर्स्ट रनर अप को VivelByITC, clovia_fashions और TinklingToes की तरफ से आकर्षक गिफ्ट हैंपर्स और वाउचर दिए गए। गेम्स के एक और राउंड में महिलाओं की आंखों पर पट्टी बांधकर उन्हें खुशबू को पहचानने को कहा गया। इसके विजेताओं ने भी जीते एक्साइटिंग प्राइजेज।
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HerZindagi के मंच पर मौजूद वुमन सेलेब्स ने टीम को दो साल पूरे करने के मौके पर बधाई दी, साथ ही उन्होंने यहां एक महिला के तौर पर अपने संघर्षों के बारे में भी बात की। HerZindagi की कंटेंट हेड मेघा ममगेन ने जब डॉ. चिन्ना दुआ से सवाल पूछा कि महिलाओं की इंडिविजुअल आइडेंटिटी कितनी अहम है तो चिन्ना दुआ ने बताया, 'विनोद दुआ की पत्नी और मल्लिका दुआ की मां होने पर मुझे गर्व है, लेकिन मेरा मानना है कि व्यक्तिगत पहचान सिर्फ महिलाओं के लिए ही नहीं पुरुषों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। मेरे घर में मुझे बहुत अच्छा माहौल मिला, सास-ससुर से प्यार मिला। काम में भी मुझे बहुत संघर्ष देखने को नहीं मिला, लेकिन समाज में महिला विरोधी चीजें हैं, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। जब बेटी ने मेरा उत्साह बढ़ाया तो मैंने इंस्टाग्राम पर साड़ियों के बारे में पोस्ट लिखने की शुरूआत की और इसके बाद मुझे इंस्टाग्राम पर काफी अच्छा रेसपॉन्स मिला।
1993 में जब भारतीय वायुसेना में महिलाओं को काम करने की इजाजत मिली तो विंग कमांडर अनुपमा जोशी भारतीय वायुसेना में काम करने वाली चुनिंदा महिलाओं में से एक थीं। अनुपमा जोशी ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि जब उन्होंने महिलाओं की सेना में भर्ती के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश की तो बहुत सी महिलाएं पीछे हट गईं, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने अपनी तरफ से प्रयास जारी रखे। अनुपमा ने HerZindagi के पैनल डिस्कशन में बताया, 'जब हम सेना में भर्ती हुए थे, तब बहुत से मेल ऑफिसर्स ने इस बात का स्वागत किया था, लेकिन बहुत से पुरुषों में इस बात को लेकर संकोच भी था। सेना में काम करना अपने आप में नया अनुभव था। नई जिम्मेदारियां देने को लेकर सीनियर्स में भी हिचकिचाहट थी, लेकिन मैंने अपनी हर ड्यूटी को शिद्दत से निभाया।'
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पद्मश्री विजेता दीपा मलिक और कारगिल युद्ध लड़ चुके कर्नल बिक्रम सिंह की बेटी देविका मलिक ने चर्चा के दौरान अपने लाइफ एक्सपीरिएंसेस पर खुलकर चर्चा की। देविका ने बताया कि किस तरह से वह पैदा होने के साथ ही वह पीलिया की शिकार हो गईं और इसके बाद हुए एक एक्सिडेंट के कारण उनका मस्तिष्क का एक हिस्सा बुरी तरह प्रभावित हुआ, जिसके कारण उनका आधा शरीर पैरालाइज हो गया। देविका जब स्कूल में पढ़ती थीं, तब उनके साथ पढ़ने वाले उनके धीरे-धीरे काम करने, चलते-चलते गिर जाने का अक्सर उनका मजाक बनाते थे, लेकिन इस दौरान अपने पिता से मिली सीख हमेशा उनके काम आई। उन्होंने बताया, 'अगर कोई तुम्हारे चलने या काम करने पर सवाल उठाए तो चुप रह जाने या परेशान होने के बजाय उन्हें अपनी मेडिकल कंडिशन के बार में बताओ और खुद को खुलकर एक्सप्रेस करो। मम्मी-पापा के कॉन्फिडेंस की बदौलत ही मैंने गेम्स और पब्लिक स्पीकिंग आदि में नियमित रूप से हिस्सा लिया, जिससे मेरा हौसला बढ़ा। आज Wheeling Happiness के जरिए मैं जरूरतमंद महिलाओं की जिंदगी को बेहतर बनाने का प्रयास कर रही हूं।'
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Our panel discussion is in progress. Watch live here : http://bit.ly/2n07fNT
Miam Patisserie की फाउंडर बानी नंदा ने अपने एक्सपीरियंस शेयर करते हुए बताया, 'मैं हमेशा से ही मजबूत इरादों वाली रही और मैंने अपनी शर्तों पर ही अपनी लाइफ जी। मुझे इस बात की खुशी है कि मेरे पेरेंट्स ने मुझे हमेशा सपोर्ट किया। मेरे पति मुझे बिजनेस में सपोर्ट करते हैं। घर पर मेरी सास मेरा पूरा खयाल रखती हैं। मुझे घर पर संघर्ष जैसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा, लेकिन प्रोफेशनल लाइफ में अपने लिए मुकाम बनाने में मुझे वक्त लगा, क्योंकि हॉस्पिटेलिटी और खासतौर पर कुकरी में पुरुषों का दबदबा रहा है और जब मैंने शुरुआत की, तब महिलाओं को सीरियस तरीके से नहीं लिया जाता था।'
महिलाओं की जिंदगी का एक बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा है ब्रेस्टफीडिंग। लेकिन ब्रेस्टफीडिंग को लेकर महिलाओं के मन में कई तरह के मिथक हैं। कुछ महिलाएं सोचती हैं कि ब्रेस्टफीड कराने से उनका फिगर खराब हो जाएगा, जबकि इसके उलट इससे महिलाएं कई तरह की गंभीर बीमारियों से खुद का बचाव कर सकती हैं। इनमें ब्रेस्ट कैंसर, टाइप 2 डायबिटीज, ओवेरियन कैंसर, ओस्टियोपोरोसिस और पोस्ट पार्टम डिप्रेशन जैसी प्रॉब्लम्स शामिल हैं। मेघा ममगेन के साथ एक खास सेशन में Lamaze Certified Child Birth Educator And Lactation Consultant ख्याति चौधरी से बातचीत की और ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ अहम बिंदुओं पर चर्चा की। ख्याति ने बताया, 'हमारे देश में अभी भी ब्रेस्टफीडिंग अभी भी एक टैबू माना जाता है। इसी वजह से नन्हे शिशुओं को ब्रेस्टफीड कराने में महिलाओं को काफी ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अक्सर सार्वजनिक जगहों पर महिलाओं को ब्रेस्टफीड कराने से मना कर दिया जाता है, जिस पर ख्याति चौधरी का कहना था कि नन्हे शिशु के लिए आहार लेना उसका अधिकार है और अपने शिशु को ब्रेस्टफीड कराने से कानूनन किसी महिला को मना नहीं किया जा सकता। इस बारे में लोगों को जागरूक होने की जरूरत है क्योंकि ब्रेस्टफीड कराने में देरी होने से महिलाओं और उनके शिशु दोनों के लिए हेल्थ प्रॉब्लम्स बढ़ जाती हैं और यह उनकी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। ब्रेस्टफीडिंग से महिलाओं को पोस्ट पार्टम डिप्रेशन से बाहर आने में मदद मिलती है और यह मां और बच्चे के बीच की बॉन्डिंग को और मजबूत बनाता है। हमारे समाज को इस बारे में अपनी सोच को प्रोग्रेसिव बनाने की जरूरत है।'
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