रत्ना पाठक शाह के इस किरदार से लें इंस्पिरेशन, अपनी सेक्शुअलिटी और इच्छाओं का करें सम्मान

रत्ना पाठक शाह के 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का' फिल्म में निभाए किरदार से महिलाएं ले सकती हैं इंस्पिरेशन। यह किरदार महिलाओं की सेक्शुअलिटी और महिलाओं की इच्छा का करता है सम्मान।

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हिंदी सिनेमा की पॉपुलर 'मौसीजी' दीना पाठक की बेटी और अपने समय की पॉपुलर एक्ट्रेस रही रत्ना पाठक शाह बॉलीवुड की सबसे दमदार एक्ट्रेसेस में शुमार रही हैं। रत्ना पाठक का जन्म 18 मार्च 1957 को मुंबई में हुआ था। रत्ना पाठक शाह ने हिंदी और अंग्रेजी में कई नाटक किए हैं, लेकिन 'साराभाई वर्सेस साराभाई' में अपने सास के किरदार और टीवी शो 'इधर उधर' से घर-घर में पॉपुलर हो हुईं। इसके अलावा रत्ना ने बॉलीवुड में भी कई लीक से हटकर किरदार निभाए, जिनमें 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का' का 'ऊषा' के किरदार का विशेष रूप से जिक्र किया जा सकता है।

लिपस्टिक अंडर माई बुर्का में निभाया यादगार किरदार

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इस फिल्म में रत्ना ने एक बुजुर्ग महिला का किरदार निभाया है, जो सोसाइटी के प्रेशर के कारण आम लोगों के सामने बिल्कुल वैसे ही पेश आती है, जैसे कि बुजुर्गों से उम्मीद की जाती है, लेकिन निजी जिंदगी में इस किरदार की भी यंग लड़कियों की तरह इच्छाएं हैं, सपने हैं और प्यार पाने की चाह है। बॉलीवुड के लोकप्रिय एक्टर नसीरुद्दीन शाह की पत्नी रत्ना पाठक शाह आज धूमधाम से अपना बर्थडे सेलिब्रेट कर रही हैं। उनके बर्थडे पर हम चर्चा करेंगे कि कैसे महिलाएं रत्ना पाठक शाह के 'ऊषा' नामक किरदार से जिंदगी अपनी तरह जीने और अपनी सेक्शुअलिटी को सेलिब्रेट करने का जज्बा अपने भीतर पैदा कर सकती हैं-

ratna pathak shah with husband nasiruddin shah

यौन इच्छाओं का होना नहीं है अपराध

भारतीय समाज में महिलाएं विशेष रूप से यह दबाव महसूस करती हैं कि वे समाज की बनी बनाई परिपाटी पर चलें, वैसे ही बिहेव करें, जैसे की उनसे उम्मीद की जाती है। लेकिन जरूरी नहीं कि हर महिला परंपरागत तरीके से रहने में यकीन रखती हो, उसकी शख्सीयत अलग तरह की हो सकती है, उसकी आकांक्षाएं और इच्छाएं आम महिलाओं से अलग हो सकती हैं। जरूरी नहीं कि उम्र ढलने के साथ उसकी फिजिकल इंटिमेसी की चाह में कमी आ जाए, जरूरी नहीं कि घर-परिवार की जरूरत से ज्यादा डिमांडिंग सिचुएशन में कंफर्टेबल रहे, जरूरी नहीं कि वह खुद को घर तक सीमित रखने में सहज रहे। हालांकि पिछले एक दशक में महिलाओं की स्थिति काफी बेहतर हुई है। प्रोग्रेसिव एटीट्यूड विकसित होने से महिलाओं को सहज तरीके से जिंदगी बिताने के लिए स्पेस बढ़ा है, लेकिन यह बदलाव ज्यादातर मेट्रो सिटीज जैसे कि दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु जैसे शहरों में देखने को मिलता है। छोटे शहरों में अभी भी देखने को मिल जाता है कि महिलाओं के अपनी तरह से रहने पर, अपनी पसंद के लड़के से शादी कर लेने पर, अपनी पसंद की नौकरी कर लेने पर, अपनी तरह के लाइफस्टाइल पर उनकी अलग तरह से लेबलिंग कर दी जाती है, उनके साथ व्यवहार में बदलाव आ जाता है और उन्हें संस्कारी और सुशील की श्रेणी में नहीं रखा जाता।

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सेक्शुअलिटी का करें सम्मान

जब छोटी-छोटी चीजों को लेकर महिलाओं पर सवाल खड़े किए जाते हैं और घर-परिवार के लोगों से उन्हें सपोर्ट नहीं मिलता तो उनके लिए फाइट काफी मुश्किल होती है। अगर रत्ना पाठक शाह के ऊषा के किरदार पर गौर फरमाएं तो वह समाज के तय पैमानों के हिसाब से जरूर रहती है, लेकिन उसकी अधूरी इच्छाएं उसे निजी जिंदगी में अलग लाइफ जीने के लिए प्रेरित करती हैं। पुरुष से प्रेम की चाह, फिजिकल इंटिमेसी की चाह बहुत स्वाभाविक है और जरूरी नहीं कि एक उम्र के बाद यह इच्छा खत्म हो जाए। कुछ महिलाओं में 40-50 साल की उम्र में भी फिजिकल इंटिमेसी की चाह होती है और ऐसे में अगर वह अपनी इच्छाओं को दबाती है, तो उसकी जिंदगी पूरी तरह से घुटन से भर जाती है, इसीलिए अपनी इच्छाओं को मारना सही नहीं है।

जिंदगी का लीजिए मजा

ऊषा का किरदार 50 की उम्र में भी स्विमिंग सीखने की चाह रखता है। यह इस बात की तरफ संकेत करता है कि कैसे दबी हुई इच्छाएं मन में लगातार हिलोरे मारती रहती हैं, जिन्हें महिलाओं को इग्नोर नहीं करना चाहिए। स्विमिंग सीखते हुए ऊषा को एक यंग लड़के से बिल्कुल वैसे ही प्यार हो जाता है, जैसे कि यंग एज में किसी भी महिला को होता है। यह किरदार महिलाओं की सेक्शुअलिटी का सम्मान करता है। महिलाओं में यौन इच्छाओं का होना कोई अपराध या पाप नहीं है, यह बिल्कुल वैसा ही है, जैसे शरीर की अन्य जरूरतें। इसे लेकर महिलाओं को मन में किसी तरह का कॉम्प्लेक्स नहीं होना चाहिए। अगर घर-परिवार की तरफ से इसे लेकर किसी तरह का दबाव बनाया जाता है, तो जरूरी नहीं है कि आप हमेशा उनकी हर बात पर हां कह दें। महिलाओं को अपनी जिंदगी अपनी तरह से जीने का पूरा हक है और यह अधिकार देश का संविधान भी आपको देता है। इसीलिए अपनी लाइफ को एंजॉय करिए, जिंदगी का पूरा मजा उठाइए और हर दिन का जश्न उसी तरह मनाइए, जैसे कि ऊषा का किरदार इस फिल्म में सेलिब्रेट करता है।

Image Courtesy: Instagram (@ratna.pathak.shah.fan_account)

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