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वृंदावन के बांके बिहारी से जुड़ी ये चार बातें नहीं जानते होंगे आप

बांके बिहारी को भला कौन नहीं जानता। वृंदावन में हर रोज हजारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। तो आज हम आपको वृंदावन के बांके बिहारी से जुड़ी कुछ बातें बताएंगे शायद जिसके बारे में आप नहीं जानते होंगे।&nbsp; <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2023-10-23, 18:35 IST

श्री धाम वृंदावन की बात ही निराली है, यहां के कण-कण में बांके बिहारी श्री कृष्ण और राधा रानी का वास है। कृष्ण भगवान के भक्तों के अलावा बहुत से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। उत्तर प्रदेश के मथुरा जिला के आस पास के क्षेत्र को ब्रज धाम या ब्रज भूमि के नाम से जाना जाता है। मथुरा के करीब स्थित वृंदावन में भगवान श्री कृष्ण अपना बाल्यकाल का समय बिताएं हैं और वहां बिहारी जी का मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। भारत के अलावा विदेशों से भी लोग वृंदावन आकर बिहारी जी का दर्शन करते हैं। ऐसे में आज हम आपको बिहारी जी के बारे में कुछ ऐसे तथ्य बताएंगे जिसके बारे में आप शायद नहीं जानते होंगे। इन तथ्यों को जानें और अबकी बार जब दर्शन करने जाएं तो बताए गए फैक्ट पर गौर करें।

बिहारी जी की मंगला आरती साल में केवल एक दिन ही होती है  

क्या आप जानते हैं कि बिहारी जी की मंगला आरती साल में सिर्फ एक दिन ही होती है। हर साल भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन यानी जन्माष्टमी के दिन ही बिहारी जी की मंगला आरती होती है। रोजाना जो आरती होती है वो बांके बिहारी जी की श्रृंगार आरती होती है। इस फैक्ट के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं साथ ही यदि आप बिहारी जी के मंगला आरती देखना चाहते हैं, तो जन्माष्टमी के दिन आप दर्शन का लाभ ले सकते हैं।

बिहारी जी केवल एक दिन ही बांसुरी धारण करते हैं

banke bihari vrindavan

यह तो सभी को पता है कि भगवान श्री कृष्ण को बांसुरी कितनी प्रिय है। लेकिन वो रोजाना बांसुरी (बांसुरी के उपाय) धारण नहीं करते हैं। मंदिर के पंडितों का कहना है कि बांके बिहारी का हाथ बहुत कोमल है इसलिए वो रोजाना बांसुरी धारण नहीं करते हैं। बिहारी जी को केवल शरद पूर्णिमा के दिन ही साल में एक बार बांसुरी धारण करवाया जाता है।

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बिहारी जी के चरण दर्शन साल में केवल एक दिन होता है

रोजाना आप बिहारी जी के चरण कमल का दर्शन नहीं कर सकते हैं। उनके चरण का दर्शन केवल एक ही दिन यानी अक्षय तृतीया के दिन ही होती है। रोजाना बिहारी जी (बिहारी जी के मंदिर में क्यों डाला जाता है बार-बार पर्दा) के चरण कमल राधारानी के लंहगे से ढ़का हुआ होता है।

अर्धनारीश्वर के रूप में होते हैं बिहारी जी  

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बांके बिहारी अर्धनारीश्वर के रूप में हैं, बिहारी जी (जब कृष्ण जी भक्त का कटा सिर लिए बैठे थे) की मूर्ति को ध्यान से देखने पर आप जान पाएंगे कि एक तरफ बिहारी जी हैं और दूसरी तरफ राधारानी हैं। लेकिन बिहारी जी को आप एक टक नहीं देख सकते क्योंकि उनका पट लगातार बंद होते रहता है।

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