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बच्चों को जरूर पढ़नी चाहिए पंचतंत्र की ये 5 कहानियां, मिलेगी अच्‍छी सीख

सभी बच्चों को कहानियां सुनना बहुत पसंद होता है। मूल्यों और जीवन का पाठ पढ़ाने का यह एक अच्छा तरीका भी हैं। कुछ पंचतंत्र कथाएं हैं जो आपके बच्चे जरूर पढ़ना चाहिए क्‍योंकि इससे आपके बच्‍चे को जीवन में कुछ महत्वपूर्ण सबक सिखाने को मिलेगा।
Editorial
Updated:- 2019-04-03, 13:29 IST

सभी बच्चों को कहानियां सुनना बहुत पसंद होता है। मूल्यों और जीवन का पाठ पढ़ाने का यह एक अच्छा तरीका भी हैं। भारत में पंचतंत्र की कहानियां सबसे ज्‍यादा लोकप्रिय हैं। कुछ पंचतंत्र कथाएं हैं जो आपके बच्चे जरूर पढ़नी चाहिए, इससे आपके बच्‍चे को जीवन में कुछ महत्वपूर्ण सबक सिखाने को मिलेगा। पंचतंत्र की इन लोककथाओं के बारे में माना जाता है कि ये एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चली आ रही हैं। ऐसा माना जाता है कि वे मुख्यतः विष्णु शर्मा नामक विद्वान द्वारा तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास लिखे गए थे। ये लघु कथाएं ज्यादातर जानवरों पर आधारित कहानियां हैं और बच्चों के लिए एकदम सही हैं क्योंकि से बुनियादी मूल्यों और कौशल को सिखाती हैं और जीवन के लिए सबक प्रदान करती हैं। वैसे मूल रूप से ये कहानियां संस्कृत में लिखी गई हैं। लेकिन इन दिलचस्प कहानियों को अब कई भाषाओं में अनुवादित किया गया है और अपनी सादगी की वजह से काफी लोकप्रिय हैं। आप भी इन कहानियों को अपने बच्चे को जरूर सुनाएं और उन्‍हें जीवन के कुछ महत्वपूर्ण सबक सिखाएं।

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हाथी और चूहे की कहानी

यह कहानी हाथियों के एक झुंड के बारे में है, जिन्हें एक झील से पानी पीने के लिए चूहों के एक गांव को पार करना पड़ता था। लेकिन हर बार जब वे चलते थे, तो कई चूहे हाथियों के पैरों के नीचे कुचले जाते थे। इसलिए, चूहों ने हाथियों के झुंड के राजा को अपना मार्ग बदलने के लिए कहा। राजा उनकी बात पर सहमत हो गए। एक दिन हाथियों का झुंड शिकारियों द्वारा जाल में फंस गये। उन्होंने भागने की कोशिश की लेकिन व्यर्थ रहे। जब चूहों ने हाथियों के बारे में सुना तो वे घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने जल्दी से रस्सियों को चबाया और हाथियों को आजाद कर दिया। हाथी चूहों के प्रति आभारी हुए और राजा हाथी को एहसास हुआ कि उन्हें चूहों की शक्ति को कम नहीं समझना चाहिए।

कहानी से शिक्षा: दोस्तों को जरूरत के समय में एक-दूसरे के साथ खड़े रहना चाहिए और एक वादा निभाना चाहिए। साथ ही, किसी को उसके आकार के आधार पर नहीं आंका जाना चाहिए।

बंदर और मगरमच्छ की कहानी

नदी के किनारे एक बड़ा-सा जामुन का पेड़ था। उस पेड़ पर एक बंदर रहता था। नीचे नदी में एक मगरमच्‍छ अपनी बीवी के साथ रहता था। धीरे-धीरे मगरमच्‍छ और बंदर में दोस्‍ती हो गई। बंदर मगरमच्‍छ को पेड़ से तोड़कर जामुन‍ खिलाता था। एक बार मगरमच्‍छ अपनी बीवी के लिए जामुन ले गया। जामुन खाने के बाद मगरमच्‍छ की बीवी ने सोचा कि जब जामुन इतने मीठे हैं तो इन जामुनों को रोज खाने वाले बंदर का कलेजा कितना मीठा होगा। उसने मगरमच्‍छ से कहा कि मैं बंदर का कलेजा खाना चाहती हूं। मगरमच्‍छ ने बंदर को अपने घर चलने के लिए कहा। बंदर झट से मगर की पीठ पर बैठ गया। बातों-बातों में मगर ने बंदर को बताया कि उसकी पत्‍नी ने बंदर का कलेजा खाने के लिए उसे बुलाया है। इस पर बंदर ने कहा कि दोस्‍त ऐसी बात तो तुझे पहले ही बताना थी। हम बंदर अपना कलेजा पेड़ पर ही रखते हैं। अगर तुम्‍हें मेरा कलेजा खाना है तो मुझे वापस ले जाना होगा। मैं पेड़ से अपना कलेजा लेकर फिर तुम्‍हारी पीठ पर सवार हो जाऊंगा। हम वापस तुम्‍हारे घर चलेंगे। मगर ने बंदर की बात मान ली और वह पलटकर वापस नदी के किनारे पहुंचे। बंदर ने मगर से कहा कि वो अपना कलेजा लेकर वापस आ रहा है। बंदर पेड़ पर चढ़ गया। पेड़ पर चढ़ने के बाद बंदर ने मगर से कहा कि आज से तेरी मेरी दोस्‍ती खत्‍म। बंदर अपना कलेजा पेड़ पर रखेंगे तो जिंदा कैसे रहेंगे।

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कहानी से शिक्षा: हम पर विश्वास करे उसके साथ कभी भी किसी भी प्रकार से छल या धोखा नही देना चाहिए और जो लोग अपने से विचार न करके दुसरो के कहने पर चलते है उनकी बुद्धि अक्सर भ्रष्ट हो जाती है इसलिए मित्रता में कभी भी धोखा या विश्वासघात तो कतई नही करना चाहिए।

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मुर्ख बातूनी कछुवा की कहानी

किसी तालाब के किनारे एक कछुवा रहता था और उसी तालाब में दो हंस भी रहते थे, जिस कारण हंस और कछुवे में दोस्ती हो गयी थी। हंस दूर-दूर तक उड़कर जाते और मुनियों ज्ञानियों की बाते सुनते और सारा ज्ञान कछुवे को भी देते, लेकिन कछुवा बहुत ही बोलता था। वह एक मिनट के लिए चुप नहीं रह पाता था। एक दिन हंसो ने सुना की यहां अब सुखा पड़ने वाला है तो यह बात तुरंत कछुवे को भी बताई और कछुवा उनसे अपनी जान बचाने को बोला। हंस उसकी जान बचाने के लिए तैयार हो गए। फिर हंस एक लकड़ी की टहनी लेकर आया और बोला दोनों किनारों से हम अपने चोच से पकड़ते है, तुम बीच में अपने दांतों से लकड़ी को पकड़ लेना इस प्रकार उड़कर दुसरे दूर तालाब में चले जायेगे। लेकिन एक बात का ध्यान रखना बीच में कही नहीं बोलना है। कछुवे ने हामी भर दी और हंस कछुवे को लेकर उड़ने लगे। रास्ते में गांव में यह नजारा बच्चो ने देखा तो चिल्लाने लगे की वो देखो कछुवा उड़ रहा है। कछुवा बच्चो की आवाज सुनकर चुप ना रह सका और बोलने के लिए अपना मुंह खोल दिया और जमीन पर गिर पड़ा और उसकी मौत हो गयी।

कहानी से शिक्षा: हमे कुछ भी बोलने से पहले वहां की परिस्थिति को समझ लेना चाहिए, क्‍योंकि बिना किसी कारण के बार-बार बोलना भी कभी-कभी बहुत महंगा पड़ता है। इसलिए अक्सर कहा भी जाता है हमें उतना ही बोलना चाहिए जहां जितनी ही जरूरत हो।

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शेर और खरगोश की कहानी

किसी घने जंगल में एक बहुत ही शेर रहता था। अपने पेट की भूख शांत करने के लिए रोज अनेक जानवरों को मार डालता था। ऐसे में अब सभी जानवर चिंतित हो गये। सबने निर्णय लिया की इस विषय पर शेर से बात किया जाय। अंत में तय हुआ की बारी-बारी से एक-एक दिन एक-एक जानवर शेर के पास भोजन बनने जायेगा। इस तरह सबके मृत्यु का क्रम चलता रहा तो एक दिन एक खरगोश की बारी आई तो वह शेर के हाथो मरना नहीं चाहता था और यही बाते सोचते हुए खरगोश जा रहा था की रास्ते में उसे एक कुआ दिखाई दिया जिसमें पानी भी था तो खरगोश को एक युक्ति आई और वह शेर के पास पंहुचा और बोला “महाराज रास्ते में आपसे भी अधिक शक्तिशाली शेर मिला और बोला मैं तुम्हें मारकर खाऊंगा, लेकिन मैं किसी तरह जान बचाकर आपके पास आया हुं”। यह बात सुनते ही शेर भड़क उठा और बोला मेरे से अधिक बलशाली शेर कहा से आ गया। मुझे उसके पास ले चलो। खरगोश शेर को कुए के पास ले गया और बोला महाराज देखो इसी गुफा में वो शेर है फिर जैसे ही शेर कुंए में झाका तो उसकी परछाई दिखी तो वह भड़क उठा और जोर से दहाड़ा और उसकी वही आवाज कुए से वापस लड़कर बाहर निकली। इतने में अपने बल के घमंड में चूर बिना सोचे समझे कुए में कूद गया और मर गया।

कहानी से शिक्षा: बल की अपेक्षा बुद्धि हमेशा शक्तिशाली होती है इसलिए हमारे ऊपर चाहे कितनी भी बड़ी विपत्ति क्‍यों ना आ जाये हमे हमेशा बुद्धि से ही काम लेना चाहिए और जो लोग बुद्धि से काम लेते है वही लोग अपनी रक्षा कर पाते है।

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दुष्ट बंदर और चिड़िया का घोसला की कहानी

किसी घने जंगल में एक विशाल पेड़ था जिसकी ऊंची टहनियों पर एक चिड़िया का परिवार घोसला बनाकर रहता था उस चिड़िया का परिवार मजे से जीवन गुजार रहे थे, फिर कुछ दिनों के बाद वर्षा ऋतू आ गई। चिड़िया अपने बच्चो के साथ घोसले में छिप गयी, इतने में उस पेड़ पर बहुत सारे बंदर भी बारिश से बचने के लिए आ गए। बंदरो की ऐसी स्थिति देखकर चिड़िया को दया आ गयी और बंदरो से बोली “आप लोग बारिश से बचने के लिए अपना घर क्‍यों नहीं बनाते"। चिड़िया की यह बात सुनकर भीगे बंदरो को बड़ा गुस्सा आया और उन्‍होंने चिड़िया का घोसला गिरा दिया। जिससे चिड़िया के अंडे और बच्चे जमीन पर गिरकर मर गये।

कहानी से शिक्षा: इस कहानी से हमे यही शिक्षा मिलता है की दुष्ट प्रवित्ति के लोगो को सलाह देना अपने ऊपर विपत्ति मोल लेना है, इससे अच्छा है की दुष्ट लोगो से जितना दूर रहा जाय उतना ही अच्छा है। 

 

Photo courtesy- (Self Study Point, Clipart Library, Pinterest, Katha Kids, Curious Caterpillars & Dailymotion)

 


 

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