एक-जगह से दूसरी जगह जाने की जब बात आती है, तो हम आमतौर पर ट्रेन से जाने का ट्राई करते हैं। अगर उस समय पर कोई ट्रेन मौजूद नहीं होती है, तब हम बस या बाकी कोई साधन देखते हैं। आमतौर पर जब हम ट्रेन की टिकट बुक करते हैं, तो ट्रेन आने के तय समय से 1-2 घंटे पहले वहां पहुंचकर वहां इंतजार करते हैं। आपने देखा होगा कि रेलवे स्टेशन पर हमें अक्सर किताबों, खाने-पीने की चीजें और अन्य जरूरी चीजों की दुकानें देखने को मिल जाती है, जहां से हम आमतौर पर खरीदारी भी करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि वहां पर मेडिकल स्टोर नहीं होते हैं। हालांकि इस बारे में शायद ही कभी ध्यान दिया होगा, पर जब इस बारे में पता चलता है, तो मन में सवाल आता है कि आखिर ऐसा क्यों, जिस स्टेशन को लाखों लोगों की सुविधा के लिए बनाया जाता है वहां पर मेडिकल स्टोर आखिर क्यों। इस लेख में आज हम आपको बताने जा रहे है कि रेलवे स्टेशन पर दवाओं की दुकानें क्यों नहीं होती है।
रेलवे स्टेशन पर लाखों लोग आते-जाते हैं और ऐसे में दवाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है। दवाओं की बिक्री के लिए कड़े नियम होते हैं जैसे कि लाइसेंस, सही स्टोरेज और फार्मासिस्ट। अब ऐसे में भीड़भाड़ वाले स्टेशन पर इन नियमों का पालन करना और नकली या मिलावटी दवाओं की बिक्री पर रोक लगा पाना मुश्किल हो जाता है। इसलिए रेलवे प्रशासन इस जोखिम से बचने के लिए मेडिकल स्टोर खोलने का टेंडर और इसे खोलने की परमिशन नहीं दी जाती है।
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अगर आपने गौर किया होगा तो स्टेशन पर हर चीज बाहर मार्केट के रेट से महंगा मिलता है। आमतौर पर लोग अपने सफर के दौरान जरूरी दवाएं साथ लेकर चलते हैं। केवल आपातकालीन स्थिति में ही उन्हें दवाओं की जरूरत पड़ती है। ऐसे में मेडिकल स्टोर के लिए 24x7 चलाना और उसे आर्थिक रूप से प्रॉफिटेबल बनाना मुश्किल हो सकता है।
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रेलवे स्टेशन पर मेडिकल स्टोर की जगह अक्सर फर्स्ट-एड पोस्ट या छोटी क्लिनिक होती हैं, जहां किसी प्रकार की आपातकालीन स्थिति पर मदद ले सकते हैं। यहां पर मौजूद ट्रेंड कर्मचारी प्राथमिक उपचार और आपातकालीन चिकित्सा सहायता प्रदान कर सकते हैं।
रेलवे स्टेशन का मुख्य ध्यान ट्रेनों को सुरक्षित समय पर परिचालन करना उद्देश्य होता है। अब ऐसे में मेडिकल स्टोर खोलने और प्रबंधित करने में अतिरिक्त प्रशासनिक और परिचालन जिम्मेदारियां आती हैं, जैसे कि किरायेदारी, नियमन और सुरक्षा जांच जो एक बड़ा काम है।
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