वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अक्षय तृतीया के नाम से जानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजन का विधान है। पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति अक्षय तृतीया का व्रत करता है और इस दिन पूजा-पाठ और दान करता है, उसके सारे पुण्य अक्षय हो जाते हैं। अक्षय का शाब्दिक अर्थ होता है कभी क्षय न होने वाला यानी जो सर्वदा अक्षय रहने वाला। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किए शुभ कार्य हमेशा के लिए अक्षय हो जाते हैं, मतलब वह कभी नष्ट नहीं होता। इसीलिए इस दिन दान-पुण्य, पूजन-अर्चन का विशेष महत्व है।
इस दिन किसी भी शुभ कार्य को शुरू किया जा सकता है, क्योंकि अक्षय तृतीया ही एक ऐसा दिन होता है, जिसमें किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए किसी भी तरह का मुहूर्त को देखने की जरूरत नहीं होती। यही वजह है कि अधिकांश लोग अक्षय तृतीया के दिन अपने गृह प्रवेश, तिलक, विवाह, यज्ञोपवीत, मुंडन संस्कार या फिर अपने किसी संस्थान का शुभारंभ करते हैं।
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मगर इस बार कोरोना वायरस संक्रमण के कारण पूरे देश में लॉकडाउन है। ऐसे में इस त्योहार को आप पूजा पाठ और दान करके मना सकते हैं है। पीएम मोदी जी ने भी 'मन की बात' में कहा है, 'आज की दिन जो भी किया जाता है वह हमेशा के लिए अक्ष्य हो जाता है। साथियों 'क्षय' का मतलब होता है विनाश लेकिन जो कभी नष्ट नहीं हो , जो कभी समाप्त नहीं हो वो 'अक्षय' हैं। आप सभी अपने घरों में यह पर्व मनाएं। इस साल यह पर्व विशेष है। आज के कठिन समय में यह एक ऐसा दिन है जो हमें याद दिलाता है कि हमारी आत्मा, हमारी भावना अक्षय है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि कि चाहे कितनी भी कठिनाइयां, आपदाएं और बीमारियां आएं इनसे लड़ने और जूझने की मानवीय भावनाएं अक्षय हैं।'
Greetings on #AkshayaTritiya. #MannKiBaat pic.twitter.com/5i6UU3IJSY
— PMO India (@PMOIndia) April 26, 2020
दान करने की बता कही
मोदी जी ने इस पावन पर्व पर दान करने का महत्व भी बताया। उन्होंने कहा, ' यह त्योहार आप को पावर ऑफ गिविंग को समझने का अवसर दे रहा है। जो हम दिल से देते हैं वास्तव में महत्व उसी का होता है। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि हम दे क्या रहे हैं। इस संकट के समय हमारा छोटा सा प्रयास हमारे आस-पास के बहुत से लोगों के लिए बहुत बड़ा सम्बल बन सकता है। '
संकल्प लेने की कही बात
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अक्षय तृतीया के दिन पूजा-अर्चना कैसे करें:
- अक्षय तृतीया के दिन अगर आप व्रत करने वाली हैं तो देर से सोकर ना उठें बल्कि ब्रह्म मुहूर्त में सोकर उठें।
- सुबह सबसे पहले घर की सफाई करें और नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें।
- पूजन के लिए घर में किसी पवित्र स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। षोडशोपचार विधि से भगवान विष्णु का पूजन करें। मंत्र जाप करें और भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं। भगवान विष्णु को फूलों की माला अर्पित करें। प्रसाद में जौ या गेहूँ का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल अर्पण करें।
- अगर हो सके तो विष्णु सहस्रनाम का जप करें। अंत में तुलसी जल चढ़ाकर भक्तिपूर्वक आरती करें। इसके पश्चात उपवास रहें।
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