what is tirth

तीर्थ और धाम अलग-अलग क्यों कहे जाते हैं? जानें दोनों के बीच का अंतर

तीर्थ और धाम दोनों ही स्थान पवित्र माने जाते हैं और इनका उद्देश्य मानव को मोक्ष या पुण्य की ओर ले जाना होता है पर उनकी पहचान और धार्मिक उद्देश्य में मूलभूत अंतर है।   
Editorial
Updated:- 2025-10-17, 12:41 IST

धार्मिक यात्राओं के संदर्भ में 'तीर्थ' और 'धाम' दो ऐसे शब्द हैं जिनका प्रयोग अक्सर एक-दूसरे के स्थान पर कर दिया जाता है, लेकिन इनका मूल अर्थ और महत्व बिल्कुल अलग है। दोनों ही स्थान पवित्र माने जाते हैं और इनका उद्देश्य मानव को मोक्ष या पुण्य की ओर ले जाना होता है पर उनकी पहचान और धार्मिक उद्देश्य में मूलभूत अंतर है। यह अंतर सिर्फ नामों का नहीं, बल्कि उन स्थानों की प्रकृति और वहां किए जाने वाले प्रमुख कर्मकांडों से जुड़ा है। सनातन धर्म की परंपराओं को समझने के लिए इन दोनों के बीच के बारीक अंतर को जानना बहुत जरूरी है। आइये जानते हैं इस बारे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से विस्तार में।

तीर्थ और धाम अलग-अलग कैसे हैं?

धाम' शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है 'निवास स्थान', 'घर' या 'ठिकाना'। धार्मिक दृष्टि से, धाम वह पवित्र स्थान होता है जहां स्वयं भगवान या देवी-देवताओं ने स्थायी रूप से निवास किया हो या स्वयं प्रकट हुए हों। ये स्थान उस विशेष देवता की शक्ति का मूल केंद्र माने जाते हैं।

difference between tirth and dham

धामों की यात्रा का मुख्य उद्देश्य भगवान के दर्शन करना, उनके अस्तित्व को महसूस करना और उनकी पूजा करके आशीर्वाद प्राप्त करना होता है। भारत में प्रसिद्ध चार धाम बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी और रामेश्वरम भगवान विष्णु के निवास स्थान माने जाते हैं। केदारनाथ को भगवान शिव का धाम है।

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'तीर्थ' शब्द का अर्थ है 'घाट' या 'किनारा' जिसके द्वारा संसार रूपी सागर को पार किया जा सके। तीर्थ वह पवित्र स्थान होते हैं जो आमतौर पर जल से जुड़े होते हैं। ये वे स्थान हैं जहां स्नान, दान और तपस्या करके व्यक्ति अपने पापों से मुक्ति पाता है और शुद्ध होता है।

how tirth is different from dham

तीर्थों की यात्रा का मुख्य उद्देश्य पवित्र जल में स्नान करना, आत्मशुद्धि करना और पितरों का तर्पण करना होता है जिससे व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति और पुण्य की प्राप्ति हो। गंगा नदी के किनारे स्थित हरिद्वार, प्रयागराज और नासिक को प्रमुख तीर्थ माना जाता है।

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सरल शब्दों में धाम वह स्थान है जहां भगवान हैं और तीर्थ वह स्थान है जो हमें भवसागर से पार कराता है। धाम में जाकर हम भगवान से जुड़ते हैं, जबकि तीर्थ में स्नान करके हम खुद को शुद्ध करते हैं ताकि भगवान से जुड़ने के लायक बन सकें।

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image credit: herzindagi 

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FAQ
तीर्थ स्थल पर जाते समय किस नियम का ध्यान रखना चाहिए? 
तीर्थ स्थल पर जाते समय सिर्फ एक नियम अनिवार्य है और वो यह है कि किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से दूर रहना।
भगवान के धाम जाते समय क्या करना चाहिए? 
भगवान के धाम जाते समय निरंतर नाम जाप करना चाहिए।
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