किसका सच्चा प्यार थी अनारकली, क्या अकबर ने सच में उसे दीवार में चुनाव दिया था? जानिए पूरी कहानी

सलीम और अनारकली की लव स्टोरी के बारे में हर कोई जानता है, लेकिन अनारकली को दीवार में चुनवा दिया गया था। इसको लेकर अभी भी इतिहासकारों में मतभेद बना हुआ है। 
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मुगलकाल की सबसे चर्चित प्रेम कहानियों में से एक अनारकली और शहजादे सलीम (बाद में सम्राट जहांगीर) की लव स्टोरी है। यह केवल लोककथाओं और फिल्मों तक सीमित नहीं है, बल्कि विदेशी यात्रियों के विवरणों में भी इसका जिक्र मिलता है। सलीम के हरम में सैकड़ों महिलाएं थीं, लेकिन अनारकली का नाम एक अनोखी और रहस्यमयी प्रेम कहानी से जुड़ा हुआ है।

लोककथाओं और ब्रिटिश यात्रियों के यात्रा वृत्तांतों के अनुसार, अकबर ने अनारकली को जिंदा दीवार में चुनवा दिया था। लेकिन, सवाल यह उठता है कि क्या अनारकली वास्तव में सलीम की सच्ची प्रेमिका थी? क्या उसका वाकई इतना दुखद अंत हुआ या यह केवल एक किंवदंती है?

सलीम का जन्म

इतिहासकारों के अनुसार, मुगल सम्राट अकबर के जीवन में उनके बेटे सलीम का जन्म बेहद खास था। इससे पहले, अकबर को अपने बच्चों की असमय मृत्यु का गहरा दुख झेलना पड़ा था। उनकी बेटी फातिमा बेगम और जुड़वां बेटे हसन और हुसैन बहुत कम उम्र में चल बसे थे। उत्तराधिकारी की चाह में अकबर ने सूफी संतों की शरण ली और शेख मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर मन्नत मांगी थी। अकबर ने प्रतिज्ञा की थी कि यदि उनके घर बेटा होता है, तो वे पैदल अजमेर दरगाह की जियारत करेंगे। जब उनकी पत्नी मरियम-उज-जमानी गर्भवती हुईं, तो उन्हें उस समय के प्रसिद्ध सूफी संत शेख सलीम चिश्ती की कुटिया फतेहपुर सीकरी में रखा गया।

30 अगस्त 1569 को मरियम-उज-जमानी ने वहीं एक पुत्र को जन्म दिया। संत शेख सलीम चिश्ती के सम्मान में इस बच्चे का नाम सलीम रखा गया। अकबर ने अपने बेटे को प्यार से शेखू बाबा कहकर पुकारा।

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अनारकली कौन थी?

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अनारकली के बारे में ऐतिहासिक रूप से प्रमाणित जानकारी बहुत कम है। कहा जाता है कि वह अकबर के दरबार की एक सुंदर और प्रतिभाशाली नर्तकी थी। कुछ इतिहासकारों के अनुसार, अनारकली का असली नाम नादिरा बेगम था। उसे अनारकली नाम इसलिए मिला, क्योंकि उसकी त्वचा अनार के फूल की तरह चमकदार थी।

क्या अकबर ने सच में दीवार में अनारकली को चुनवा दिया था?

अनारकली का नाम इतिहास में हमेशा से रहस्यमयी रहा है। तारीख-ए-सलीमशाही और अकबरनामा जैसी ऐतिहासिक किताबों में अनारकली का कोई जिक्र नहीं मिलता। लेकिन, ब्रिटिश यात्री विलियम फिंच (1608-1611) और एडवर्ड टैरी (1617-1619) ने अपने यात्रा वृत्तांतों में अनारकली को अकबर की पत्नी और सलीम की सौतेली मां बताया है। टैरी के अनुसार, अकबर अनारकली को बेहद प्यार करते थे, लेकिन सलीम और अनारकली के बीच अवैध संबंधों की अफवाहें फैलने के कारण बाप-बेटे के रिश्ते बिगड़ गए। फिंच और टैरी दोनों ने लिखा कि अकबर ने अनारकली को इस रिश्ते की सजा के तौर पर दीवार में जिंदा चुनवा दिया था। फिंच ने अपने विवरण में लाहौर-काबुल मार्ग पर अनारकली और अकबर के बेटे सुल्तान दानियल की कब्रों का भी जिक्र किया।

हालांकि, इस घटना का कोई ठोस ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिलता। कई इतिहासकारों का मानना है कि यह कहानी लोककथाओं और किंवदंतियों का हिस्सा है।

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फिल्मों और लोककथाओं में अनारकली

फिल्म निर्देशक के. आसिफ ने अपनी ऐतिहासिक फिल्म मुगल-ए-आजम में अनारकली को सलीम (जहांगीर) की प्रेमिका के रूप में दिखाया, जिसे सम्राट अकबर ने अस्वीकार कर दिया। फिल्म में दिखाया गया कि अकबर ने अनारकली को सजा के तौर पर दीवार में जिंदा चुनवा देने का आदेश दिया, क्योंकि वह सलीम के प्यार को अपनी सत्ता के लिए खतरा मानते थे। हालांकि, दर्शकों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए फिल्म में अनारकली को एक गुप्त सुरंग के जरिए बचा लिया जाता है।

अनारकली की कब्र

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पाकिस्तान के लाहौर में एक मकबरा मौजूद है, जिसे अनारकली की कब्र माना जाता है। इस मकबरे पर फारसी भाषा में एक शिलालेख मौजूद है, जिसमें लिखा है कि अगर मैं अपने प्रेमी का चेहरा एक बार और देख सकती, तो मैं खुशी-खुशी मर जाती।यह शिलालेख जहांगीर के नाम से जोड़ा जाता है, जिससे यह अनुमान लगाया जाता है कि वह अनारकली से सच्चा प्रेम करता था। हालांकि, इतिहासकार इस मकबरे को लेकर अभी भी एकमत नहीं हैं।

अनारकली और सलीम की प्रेम कहानी आज भी रहस्य बनी हुई है। कुछ इतिहासकार इसे एक काल्पनिक कथा मानते हैं। वहीं, विदेशी यात्रियों के दस्तावेजों में इस कहानी के कुछ प्रमाण मिलते हैं। अनारकली का मकबरा आज भी लाहौर में मौजूद है, लेकिन उसकी सच्चाई को लेकर मतभेद जारी हैं।

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