नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। माता चंद्रघंटा का रंग सोने जैसा चमकीला है और इनके 3 नैत्र एवं 10 हाथ हैं। जो जातक चंद्रघंटा देवी की पूजा करता है, उसमें वीरता और निर्भयता आती है।
यदि आपके काम में कोई बाधा आ रही है तो देवी चंद्र घंटा की पूजा करने से वह बाधा खत्म हो जाती है और आपका सभी काम बहुत ही अच्छी तरह से होता है।
देवी चंद्रघंटा पूजा शुभ मुहूर्त (Devi Chandraghanta Puja Shubh Muhurat)
नवरात्रि का तीसरा दिन- 24 मार्च को है और इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर सुबह से लेकर शाम 04:59 तक आप पूजा कर सकती हैं।
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देवी चंद्रघंटा जी की सरल आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम ।
पूर्ण कीजो मेरे काम ।।
चंद्र समान तू शीतल दाती।
चंद्र तेज किरणों में समाती।।
क्रोध को शांत बनाने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली।।
मन की मालक मन भाती हो।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो ।।
सुंदर भाव को लाने वाली ।
हर संकट मे बचाने वाली ।।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय ।।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं ।
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।।
शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगदाता।।
कांची पुर स्थान तुम्हारा।
करनाटिका में मान तुम्हारा।।
नाम तेरा रटू महारानी।
'भक्त' की रक्षा करो भवानी।।
देवी चंद्रघंटा का बीज मंत्र
ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः ।।
इस मंत्र का जाप आपको 108 बार करना चाहिए।
देवी चंद्रघंटा जी की पूजा विधि (Devi Chandraghanta Puja Vidhi)
देवी चंद्रघंटा को दूध या खीर का भोग लगाएं। आप चाहें तो शहद का भोग भी उन्हें लगाया जा सकता है। देवी चंद्रघंटा सिंह की सवारी करती हैं इसलिए जब भी आप देवी की पूजा करें साथ ही सिंह की पूजा करना भी न भूलें। देवी चंद्रघंटा की पूजा में सिंदूर, अक्षत, गंध, धूप, पुष्प आदि को जरूर शामिल करें। जो सिंदूर आप देवी को अर्पित कर रही हैं, उसी सिंदूर से विवाहित महिलाएं अपनी मांग भर सकती हैं।
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किन राशि के जातकों को करनी चाहिए देवी चंद्रघंटा की पूजा
मीन राशि के जातकों को इस वर्ष देवी चंद्रघंटा की पूजा करनी चाहिए। साथ ही दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करना चाहिए।
शुभ रंग
देवी चंद्रघंटा की पूजा के दौरान आपको ग्रे कलर के कपड़े धारण करने चाहिए।
देवी चंद्रघंटा जी के मंदिर
अगर आप नवरात्रि के अवसर पर प्रयागराज जा रही हैं तो यहां पर देवी चंद्रघंटा का एक प्राचीन मंदिर भी है। यह प्रयागराज के बहुत ही व्यस्त इलाके चौक में स्थित है। यह मंदिर विशेष रूप से क्षेमा माई माता का है, जहां देवी चंद्रघंटा भी विराजित हैं। पुराणों में भी इस मंदिर का वर्णन मिलता है।
देवी चंद्रघंटा की पूजा का फल
मां चंद्रघंटा प्रेतबाधा से भी रक्षा करती हैं। अगर आप देवी चंद्रघंटा की विधि विधान से पूजा करती हैं तो आप भय मुक्त होती हं साथ ही आपके व्यवहार में सौम्यता आती है।
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