दिल्ली की यह महिला डीसीपी मुरझाए चेहरों पर वापस लाई मुस्कान

दिल्ली की महिला डीसीपी ऐसे लोगों में शुमार हैं, जो दूसरों की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए बड़े कदम उठाने से भी नहीं चूकते। एक परिवार को सपोर्ट करने के लिए दे रही हैं अपनी आधी सैलरी।

 
aslam khan giving half salary main

ऐसे लोग कम ही होते हैं, जो अपनी पर्सनल प्रॉब्लम से ऊपर उठकर दूसरों की मदद के लिए आगे बढ़ते हैं। अपने दिल की आवाज सुनकर लोगों की भलाई करने वाली ऐसी ही शख्सीयतें समाज के लिए मिसाल बनती हैं। नॉर्थ वेस्ट दिल्ली की डीसीपी असलम खान भी ऐसी ही शख्सीयतों में शुमार हैं, जिन्होंने अपने प्रयासों से एक गमजदा परिवार के चेहरे पर फिर से खुशियां लाने की कोशिश की है।

बनीं एक जिंदगी का सहारा

यूं तो जिंदगी का हर लम्हा बहुत कीमती होता है, लेकिन कुछ लोगों की जिंदगी एक लम्हे में ही पूरी तरह से बदल जाती है। कुछ ऐसा ही हुआ ट्रक डाइवर मान सिंह के साथ। एक अखबार के हवाले से कहा गया कि मान सिंह बहुत मेहनतकश इंसान थे और उन्होंने अपने नेफ्यू की शादी के लिए 80,000 रुपये इकट्ठे किए थे। लेकिन एक रात अपने काम से घर लौटते हुए उन्हें महसूस हुआ कि उन्होंने गलत टर्न ले लिया है और वह एक अनजान रास्ते पर चले गए हैं। जब मान सिंह इस सफर पर थे तो वह महीनों बाद अपने बीवी और बच्चों के पास वापस लौट रहे थे। जब मान सिंह रास्ता भटक गए तो वह सही दिशा पूछने के लिए गाड़ी से उतरे। इसी दौरान गाड़ी से उतरने पर उन्हें दो लुटेरों ने लूटने की कोशिश की, लेकिन जब मान सिंह ने उनकी बात मानने से इनकार कर दिया तो उन्होंने उन पर हमला कर दिया और उन्हें तड़पता हुआ छोड़कर वहां से भाग गए। सुनसान जगह पर पूरी तरह अकेले मान सिंह के पास अस्पताल पहुंचने या मदद के लिए किसी को पुकारने का कोई जरिया नहीं था। गहरे जख्मों के कारण मान सिंह की स्थिति बिगड़ती चली गई और उन्होंने उसी हाईवे पर दम तोड़ दिया।

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उम्मीद की किरण बनी नॉर्थ वेस्ट दिल्ली की डीसीपी

जब यह घटना हुई, उस समय उनके बच्चे बलजीत कौर, जसमीत कौर, अस्मित कौर और उनकी मां दर्शन कौर गहरी नींद में सोए हुए थे और उन्हें शायद ही इस बात का इल्म था कि उन पर दुखों का पहाड़ टूटने वाला है। बलजीत ने एक इंटरव्यू में बताया, 'इस घटना के बाद हम अपनी पढ़ाई, यहां तक कि स्कूल की फीस भरने के लिए भी चिंता में पड़ गए थे। हमारे लिए एक वक्त के खाने का इंतजाम करना भी मुश्किल था। इसी तनाव से गुजरते हुए एक दिन हमें दिल्ली से एक कॉल आया। डीसीपी मैम (आईपीएस ऑफिसर असलम खान ) को पता चला कि हम इतनी मुश्किलों से जूझ रहे हैं। उन्होंने हम सभी से बात की और हमें प्रॉमिस किया कि हर महीने वह कुछ पैसे हमारे अकांउट में भेजेंगी। उन्होंने हमसे यह भी कहा कि वह कोशिश करेंगी कि हमें सरकारी मदद मिल सके।'

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करोड़ों महिलाओं के लिए मिसाल हैं डीसीपी असलम

डीसीपी असलम खान उस दिन के बाद से अपनी सैलरी का आधा हिस्सा सिंह परिवार को भेज रही हैं। बलजीत ने बताया, 'अभी तक असलम खान से हमारी मुलाकात नहीं हुई है, लेकिन वह हर दिन हमें कॉल करती हैं। वह मेरी पढ़ाई के लिए पूछती हैं। हमने इस बारे में भी बात की है कि जम्मू में मेरा भाई एक अच्छे स्कूल में पढ़ाई कर सके।' बलजीत असलम खान से इस कदर प्रभावित है कि वह भी उनकी तरह आईपीएस ऑफिसर बनना चाहती है और दिल्ली पुलिस के लिए काम करना चाहती है। वाकई असलम खान उन करोड़ों लोगों के लिए बड़ी इंस्पिरेशन हैं, जो अपनी जिम्मेदारियों के आगे बढ़कर मानवता के लिए काम करते हैं।

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