दुनिया की महिलाओं की तरक्की जानने के लिए वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम ने एक दशक पहले ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स की शुरुआत की थी। इसकी नवंबर 2017 की रिपोर्ट में चार अहम बिंदुओं इकनॉमिक पार्टिसिपेशन एंड ऑपरच्युनिटी, एजुकेशनल अटेनमेंट, हेल्थ एंड सर्वाइवल और पॉलिटिकल रिप्रजेंटेशन पर विश्लेषण किया गया। 144 देशों में महिलाओं की स्थिति के आधार पर यह इंडेक्स तैयार किया गया और इसमें जेंडर गैप 32 फीसदी पाया गया। आइए जानें ऐसे 10 देशों के बारे में जहां महिला विरोधी कानून हैं और जहां की शासन व्यवस्था में महिलाओं की भागेदारी न के बराबर है और जहां महिलाओं की तरक्की सबसे ज्यादा मुश्किल नजर आती है। इसमें पहले नंबर पर वह देश है जहां महिला विरोधी कानून सबसे ज्यादा हैं।
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यहां महिलाओं को वोट देने का अधिकार 1974 में मिला और यहां महिलाओं को मुश्किल से ही मंत्रिपद मिलता है।
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इस देश में महिलाओं को पैतृक संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलता और यहां के अब तक के इतिहास में कोई महिला प्रमुख भी नहीं रही है।
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इस देश की संसद में महिला सांसदों की संख्या न के बराबर है। यहां मंत्रिपद पर भी महिलाओं की मौजूदगी नजर नहीं आती।
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साल 2015 में महिलाओं को वोट और म्यूसिलिपल इलेक्शन्स में लड़ने का अधिकार मिला और अब यहां महिलाओं के अधिकारों में इजाफा करते हुए उन्हें गाड़ी चलाने की इजाजत भी दे दी गई है।
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इस देश में महिलाओं को जमीन और उसके स्वामित्व से जुड़े आंशिक अधिकार ही हासिल हैं।
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इस देश में महिलाओं को वित्तीय सेवाओं तक सीमित पहुंच है।
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इस देश में महिलाएं पुरुषों की तुलना में कम पढ़ी-लिखी हैं।
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इस देश के कामगारों में ज्यादातर पुरुष हैं और राजनीतिक सत्ता में महिलाओं की मौजूदगी बिल्कुल नजर नहीं आती।
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इस देश में महिलाओं की भेदभाव से सुरक्षा देने वाले कानून नहीं हैं और ना ही यहां महिलाओं को पुरुषों के बराबर सैलरी मिलती है।
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इस देश की संसद में कोई महिला सदस्य नहीं है और इस देश की सत्ता को कभी किसी महिला प्रमुख ने नहीं संभाला। यहां कभी भी महिलाओं के समान वेतन के लिए कानून पारित नहीं हुआ। हालांकि वित्तीय सेवाओं तक महिलाओं की आंशिक पहुंच है।
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