भारत में ढेरों तीज-त्यौहार मनाए जाते हैं, जिनमें दिवाली को सबसे बड़ा पर्व माना गया है। हालांकि, बिहार और उत्तर प्रदेश में छठ को भी महापर्व कहा गया है। दरअसल, यह त्यौहार 4 दिन तक मनाया जाता है। सूर्यदेव को समर्पित इस पर्व को खूब धूमधाम से मनाया जाता है और इस पर्व के लिए अलग-अलग तरह की विधियां अपनाई जाती हैं।
इस वर्ष छठ महापर्व 28 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। भोपाल के पंडित एवं ज्योतिषाचार्य विनोद सोनी जी से हमने इस महापर्व पर किस दिन कौन सा कार्य किस शुभ मुहूर्त में होगा, हमें बताया है।
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छठ महापर्व पूजा शुभ मुहूर्त 2022 (Chhath Puja Shubh Muhurat 2022)
- 30 अक्टूबर को सूर्यास्त के समय ( सूर्यास्त के बाद भूलकर ना करें ये काम) डूबते सूर्य को शाम 5 बजकर 37 मिनट पर अर्घ्य दिया जाएगा। वहीं 31 अक्टूबर को सूर्योदय के समय आपको उगते हुए सूर्य को सुबह 6 बजकर 31 मिनट पर अर्घ्य देना है।
- नहाय खाय की विधि से छठ पूजा का प्रारंभ होता है और इस बार यह विधि 28 अक्टूबर 2022, शुक्रवार के दिन निभाई जाएगी।
- खरना की रस्म दूसरे दिन होती है और इसी दिन से छठ का व्रत भी प्रारंभ होता है। इस बार 29 अक्टूबर शनिवार के दिन यह रस्म निभाई जाएगी।
- 30 अक्टूबर को छठ महापर्व मनाया जाएगा और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
- 31 के दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसी दिन छठ का पर्व समाप्त हो जाता है।
छठ पूजा- पहला दिन
नहाय-खाय की रस्म के साथ छठ की पूजा शुरू होती है और इस दिन आपको छठ महापर्व के लिए खुद को और अपने घर को तैयार करना होता है। इस दिन सिर से नहाया जाता है और घर की साफ-सफाई भी की जाती है। यदि आपके घर में प्याज और लहसुन इस्तेमाल होता है, तो इस दिन से 4 दिन के लिए घर में साधारण खाना ही बनाया जाता है।
नहाय-खाय की रस्म के साथ ही आपको अपने खानपान पर विशेष ध्यान देना होता है। घर में मसूर की दाल नहीं पकती है। इस दिन अरवा चावल खाए जाते हैं। आप पकौड़े भी इस दिन खा सकते हैं।
छठ पूजा- दूसरा दिन
दूसरे दिन खरना होता है। सूर्योदय के साथ ही इस दिन से व्रत शुरू हो जाता है। यह व्रत 36 घंटे का होता है। इसमें न तो कुछ खा सकते हैं न पी सकते हैं। लेकिन सूर्यास्त के बाद गुड़ की खीर और पूड़ी आदि खाई जा सकती है। इस दिन सूर्य देव की पूजा भी की जाती है।
छठ पूजा- तीसरा दिन
तीसरे दिन छठ महापर्व होता है और सुबह से ही घरों में तरह-तरह के पकवान बनते हैं। इनमें मीठे पकवान ही होते हैं, जो प्रसाद में भी चढ़ाए जाते हैं। नमकीन पकवान इस पर्व में नहीं बनाए जाते हैं। इसके साथ ही सूर्य अस्त होने पर अर्घ्य दिया जाता है और डलिया में प्रसाद चढ़ाया जाता है।
छठ पूजा- चौथा दिन
इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और उसके बाद आप व्रत खोल सकते हैं और छठ वाले दिन चढ़े प्रसाद का सेवन कर सकते हैं। इसी के साथ छठ महापर्व भी समाप्त हो जाता है।
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