एक तरफ सुनीता विलियम्स जैसी महिलाओं की हम तारीफ करते नहीं थक रहे हैं और दूसरी तरफ 21वीं सदी में महिलाओं की पूजा स्थल में एंट्री और उनके पुजारी या पादरी बनने को लेकर चर्चा करते हैं, तो समाज का दोगला चेहरा दिखाई देता है। कमाल की बात यह है कि अपने आप को मॉडर्न और कलचरल तौर पर प्रोग्रसिव कहने वाले पश्चिमी देशों का भी यही हाल है। जी हां, अंतरिक्ष में महिलाएं अपने नाम का परचम तो लहरा रही हैं, लेकिन उन्हें पोप या पादरी बनने का अधिकार नहीं है। महिलाएं पोप या पादरी क्यों नहीं बन सकती हैं, यह सवाल इन दिनों चारों तरफ चर्चा का विषय बना हुआ है।
दरअसल, पोप फ्रांसिस की तबीयत खराब है और वह रोम के अस्पताल में भर्ती हैं। ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल उठ रहे हैं कि अगर पोप फ्रांसिस अपने पद से इस्तीफा देते हैं तो उनके बाद नया पोप किसे चुना जाएगा? क्या पोप फ्रांसिस की जगह कोई महिला ले सकती है? नया पोप कैसे चुना जाएगा और इसे लेकर क्या नियम होते हैं? अगर आपके भी मन में ऐसे सवाल हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए है।
क्या महिला बन सकती है पोप?
कैथलिक चर्च की परंपरा और नियमों के अनुसार, महिलाएं पोप नहीं बन सकती हैं। पब्लिक डोमेन में मौजूद जानकारी के मुताबिक, वेटिकन पादरी, जिसे आम भाषा में पुरोहित भी कहते हैं की गद्दी पुरुषों के लिए आरक्षित रखी गई है। यानी कोई भी महिला वेटिकन पादरी या ईसाई धर्मगुरु नहीं बन सकती है। लेकिन, कुछ समय पहले पोप फ्रांसिस ने महिलाओं को पवित्र शास्त्र पढ़ने और वाचक बनने की अनुमति दी है।
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क्यों पोप नहीं बन सकती हैं महिलाएं?
रिपोर्ट्स और पब्लिक डोमेन में मौजूद जानकारी के मुताबिक, पोप बनने से पहले पादरी और फिर बिशप बनना जरूरी होता है। रोमन कैथोलिक चर्च की परंपरा रही है कि सिर्फ पुरुष ही पोप बन सकते हैं। इसी के सात कैथोलिक चर्च के कानून और नियमों के मुताबिक, केवल बपतिस्मा प्राप्त पुरुष ही पोप बन सकते हैं।
अब सवाल उठता है कि पुराने पोप के इस्तीफा देने के बाद कैसे और कौन नए पोप का चुनाव करता है। तो बता दें, पोप का चुनाव करने के पीछे एक लंबी और अहम प्रक्रिया होती है, जिसमें पहले बैठक और फिर वोटिंग होती है। आइए, यहां जानते हैं कि नए पोप के चुनाव की प्रक्रिया क्या होती है?
नए पोप के चुनाव की प्रक्रिया क्या होती है?
नए पोप की चुनाव की प्रक्रिया में सबसे पहले कार्डिनल्स की मीटिंग होती है, जहां अहम बातचीत के बाद फैसले पर पहुंचा जाता है। नए पोप चुनाव की प्रक्रिया में आगे क्या होता है उससे पहले यहां समझ लेते हैं कि कार्डिनल्स कौन होते हैं।
कैथलिक चर्च के सबसे ऊपरी रैंक वाली पादरियों को कार्डिनल्स कहा जाता है। इसे आम भाषा में समझें तो अगर किसी कंपनी के CEO का चुनाव करना है, तो उस कंपनी के बोर्ड मेंबर्स की मीटिंग होती है। कार्डिनल्स को पोप का करीबी सलाहकार भी माना जाता है। यही वह लोग होते हैं, जो दुनियाभर के धार्मिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं। क्योंकि, पोप हर स्थान और कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बन सकते हैं।
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कार्डिनल्स की पहचान के लिए उन्हें अलग वेशभूषा दी जाती है, जिसमें सबसे अहम लाल रंग की टोपी होती है। लाल रंग की इस टोपी को बिरेटा कहा जाता है और इसे बलिदान और निष्ठा का प्रतीक माना जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रोमन कैथलिक चर्च में 200 से ज्यादा कार्डिनल्स हैं।
कार्डिनल्स की मीटिंग के बाद नए पोप के चुनाव के लिए वोटिंग होती है। यह वोटिंग वेटिकन सिटी के सिस्टीन चैपल में आयोजित की जाती है। वोटिंग की प्रक्रिया को पूरी तरह से गुप्त रखा जाता है और इस दौरान कार्डिनल्स को किसी से संपर्क करने की अनुमति नहीं होती है। वोटिंग में जिस भी बिशोप को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं, उसे पोप घोषित किया जाता है।
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Image Credit: Freepik
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