गोल, आयताकार नहीं बल्कि मंदिरों के ऊपर त्रिभुजाकार में क्यों लगे होते हैं झंडे?

मंदिर के ऊपर हमेशा एक झंडा लहराता रहता है। लेकिन क्या आपने सोचा कि मंदिर की ऊंचाई पर लगा झंडा आखिर त्रिभुजाकार ही क्यों होता है। चलिए जानते हैं इसका जवाब-
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Why Are Temples Flag In Triangle Shape: देश-दुनिया में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां की कहानियां और मान्यता मशहूर हैं। साथ ही मंदिर के बनावट और कला का भी खास स्थान है। अब ऐसे में जब भी समय मिलता है तो अधिकतर लोग इन मंदिरों के दर्शन के लिए जाना पसंद करते हैं। इतना ही बल्कि किसी खास मौके पर भी हम सभी अपने घर के आस-पास स्थित मंदिर चले जाते हैं। अगर आपने गौर किया होगा, तो ज्यादातर मंदिरों की टोपी पर एक झंडा लगा होता है और इसका आकार त्रिभुजाकार में होता है। अब ऐसे में सवाल आता है कि आखिर इसी आकार में क्यों बनाए जाते हैं मंदिरों में लगने वाले झंडे। इस सवाल का जवाब आचार्य उदित नारायण त्रिपाठी से जानते हैं कि ऐसा क्यों है।

मंदिर के ऊपर लगे हुए झंडे का आकार कैसा होता है?

Why are temples built in triangle shape

मंदिरों के ऊपर त्रिभुजाकार झंडे लगाने की परंपरा भारतीय संस्कृति और वास्तुकला की एक महत्वपूर्ण विशेषता है, जो धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से गहरी भावना और अर्थ रखती है। यह सवाल बहुत दिलचस्प है कि मंदिरों के ऊपर झंडे हमेशा त्रिभुजाकार क्यों होते हैं, जबकि आमतौर पर हम झंडे आयताकार में बने होते हैं। इसके बारे में जब हमने एक्सपर्ट से पूछा तो उन्होंने बताया कि इस आकार के पीछे न केवल वास्तुशास्त्र, बल्कि हिंदू धर्म की आस्था और प्रतीकों में भी छिपा हुआ है।

त्रिभुजाकार झंडे के पीछे की वजह

आध्यात्मिक प्रतीक

त्रिभुज आकार को शक्ति और दिव्यता का प्रतीक माना जाता है। यह तंत्र-मंत्र और योग विद्या में भी महत्वपूर्ण है, जहां त्रिभुज को एक आध्यात्मिक रूप में देखा जाता है। इसे ऊर्जा और आस्था के रूप में देखा जाता है, जो ईश्वर से जुड़ा होता है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार

Why are temples dome-shaped

वास्तुशास्त्र के अनुसार, त्रिभुज का आकार सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। यह मंदिर के शिखर पर स्थापित होने से मंदिर के अंदर की ऊर्जा को संतुलित और संरक्षित रखने में मदद करता है।

शक्ति और विजय का प्रतीक

त्रिभुज को शक्ति और विजय का प्रतीक माना जाता है। यह झंडा मंदिर के ऊपर उस स्थान को प्रदर्शित करता है जो दिव्य शक्तियों और देवताओं के लिए समर्पित होता है। यह प्रतीकात्मक रूप से ईश्वर की शक्ति और आशीर्वाद का संचार करता है।

धार्मिक महत्व के अनुसार

मंदिरों के ऊपर यह झंडा अक्सर उन देवताओं या देवी-देवताओं के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करता है, जिनकी पूजा वहां की जाती है। त्रिभुजाकार झंडा विशेष रूप से यह संकेत करता है कि यह स्थान परमात्मा से जुड़ा हुआ है और उस स्थान पर पुण्य और शुभता का वास है।

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Image credit-Freepik

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