महिलाओं पर आधारित फिल्मों को लेकर अक्सर कॉन्ट्रोवर्सी हो जाती है। कई बार फिल्मों में महिलाओं का बोल्ड और आजाद रूप देखकर पुरुष प्रधान समाज के लोग उस फिल्म को सोसाइटी के लिए बुरा बताने लगते हैं। ऐसी फिल्मों का जमकर विरोध किया जाता है, कई बार इन फिल्मों के खिलाफ नारेबाजी और हिंसक प्रदर्शन भी हो जाते हैं।
इन फिल्मों में महिलाओं से जुड़े कई ऐसे सेंसिटिव मुद्दे उठाए जाते हैं, जिन्हें खुद सेंसर बोर्ड भी मंजूरी नहीं देता है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको ऐसी ही बॉलीवुड फिल्मों के बारे में बताएंगे जिनके रिलीज होने के बाद उन पर काफी कॉन्ट्रोवर्सीज हुई हैं। साथ ही बताएंगे कि उन फिल्मों के पीछे की कॉन्ट्रोवर्सी का कारण क्या रहा।
बैंडिट क्वीन -
फूलन देवी के जीवन पर बनी फिल्म "बैंडिट क्वीन" बॉलीवुड की सबसे कॉन्ट्रोवर्शियल फिल्मों में से एक है। जिसे 1994 में मशहूर डायरेक्टर शेखर कपूर के द्वारा बनाया गया था। यह एक सत्य घटना पर आधारित फिल्म है, जिसमें "फूलन देवी" नाम की महिला के जीवन के संघर्षों को दिखाया गया है।
सालों पहले डाकू और बाद में सांसद रहीं "फूलन देवी" का जीवन हमेशा विवादों में रहा। एक समय ऐसा भी था जब फूलन देवी देश के खतरनाक डाकुओं में गिनी जाती थीं।
फिल्म में फूलन देवी का रोल "सीमा विश्वास" ने निभाया था। इस मूवी में दिखाया गया है कि किस तरह कुछ लोग मिलकर "फूलन देवी" का रेप करते हैं, जिसके बाद फूलन देवी "बैंडिट क्वीन" बनकर अपने दुश्मनों से बदला लेती है।
फिल्म में बोल्ड सीन और रफ भाषा होने के कारण इसपर जमकर कॉन्ट्रोवर्सी हुई, जिसके चलते फिल्म को काफी समय के लिए बैन कर दिया गया।
वॉटर -
2006 में आई फिल्म "वाटर" को लेकर भी लोगों में बहुत कॉन्ट्रोवर्सी हुई। फिल्म की डायरेक्टर "दीपा मेहता" बोल्ड फिल्मों के लिए जानी जाती हैं, इस फिल्म की कहानी अनुराग कश्यप ने लिखी थी। जिसका कॉन्सेप्ट समाज में निष्कासित की गई महिलाओं पर हुए अत्याचारों को दिखाया गया है।
फिल्म की रिलीज के बाद ही इसपर बहुत बवाल हुआ, इस फिल्म के खिलाफ प्रोटेस्ट हुए जिसमें भारी तोड़फोड़ हुई। जिसके चलते फिल्म की लोकेशन को वाराणसी से हटाकर श्री लंका में शिफ्ट किया गया था।
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फायर -
कुछ साल पहले ही भारत में लोगों ने कानूनी तौर पर समलैंगिकता को अपनाया है, इसके बावजूद आज भी इस मामले से जुड़े कई बवाल होते रहते हैं। 1996 में आई फिल्म "फायर" में समलैंगिक प्रेम कहानी को दर्शाया गया है। 2 हिंदू महिलाओं के बीच प्रेम प्रसंग दिखाने के कारण इस फिल्म को कई हिंदू संगठनों के विरोध का सामना करना पड़ा।
मामला इतना बढ़ गया कि फिल्म में काम कर रही एक्ट्रेस "शबाना आज़मी, नंदिता दास और दीपा मेहता" को हत्या की धमकियां मिलने लगीं। जिसके बाद फिल्म में बोल्ड कंटेंट होने के कारण इस फिल्म को सेंसर बोर्ड द्वारा भी बैन कर दिया गया।
अनफ्रीडम मॉर्डन डे-
2015 में आई फिल्म "अनफ्रीडम मॉर्डन डे" को लेकर भी लोगों में बहुत विवाद हुआ है। इस फिल्म में भी दो लड़कियों के बीच के प्रेम को दिखाया गया था। फिल्म के सीन इतने ज्यादा बोल्ड थे कि सेंसर बोर्ड ने भी फिल्म पर बैन लगा दिया। "राज अमित कुमार" की डायरेक्टेड इस फिल्म को जनता के प्रोटेस्ट का सामना भी करना पड़ा।
लिपस्टिक अंडर माई बुर्क़ा -
2017 में आई फिल्म "लिपस्टिक अंडर माई बुर्क़ा" का भी जमकर विरोध हुआ। "अलंकृता श्रीवास्तव" द्वारा डायरेक्ट की गई फिल्म की दमदार कास्ट के कारण भी यह फिल्म हाइलाइट में रही। फिल्म में आपको कोंकणा सेन शर्मा, रतना पाठक शाह, अहाना कुमार और प्लाबिता बोरठाकुर मेन लीड में देखने को मिलती हैं।
फिल्म में महिलाओं के बोल्ड अवतार को देखकर जनता का फिल्म के खिलाफ विरोध शुरू हो गया। कई मुस्लिम नेताओं ने महिलाओं के बोल्ड अवतार के कारण फिल्ममेकर्स के खिलाफ जमकर प्रोटेस्ट किया। उनका कहना था कि यह फिल्म मुस्लिम महिलाओं को बुर्का न पहनने के लिए भड़का रही है।
फिल्म में सेक्शुअल एक्ट को ज्यादा मात्रा में रखा गया था, जिस कारण सेंसर बोर्ड ने कार्यवाही के बाद इस फिल्म को "ए सर्टिफिकेट" के साथ रिलीज करने की इजाजत दी। हालांकि दुनिया के कई अन्य देशों में इस फिल्म को बहुत सराहा गया।
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