Bhojeshwar Mahadev Mandir: विश्व का अद्भुत शिवलिंग क्यों है अधूरा? जानें इस मंदिर के रोचक तथ्य

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 30 किलोमीटर दूर रायसेन जिले के भोजपुर नामक गांव में स्थित भोजेश्वर मंदिर, विश्व के सबसे प्राचीन और विशाल शिव मंदिरों में से एक है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
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भोजेश्वर महादेव मंदिर, भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है, जो मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 30 किलोमीटर दूर भोजपुर नामक एक शांत गांव में स्थित है। यह मंदिर बेतवा नदी के किनारे स्थित है, जो इसकी सुंदरता को और भी बढ़ा देता है। अपनी भव्य वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के कारण, यह मंदिर आज भी पर्यटकों और भक्तों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। अब ऐसे में सवाल है कि आखिर विश्व के इस खास मंदिर में जो शिवलिंग है वह क्यों अधूरा है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

भोजेश्वर मंदिर कहां है?

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भोजेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 30 किलोमीटर दूर भोजपुर नामक गांव में स्थित है। यह मंदिर बेतवा नदी के तट पर विंध्य पर्वतमाला के बीच एक पहाड़ी पर स्थित है।

भोजेश्वर मंदिर में स्थापित शिवलिंग क्यों है अधूरी?

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इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में परमार वंश के राजा भोजदेव द्वारा कराया गया था। राजा भोज को कला, स्थापत्य और विद्या का महान संरक्षक माना जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना पांडवों द्वारा की गई थी। भोजेश्वर मंदिर को "उत्तर भारत का सोमनाथ" भी कहा जाता है। आपको बता दें, यह मंदिर आज भी अधूरा है, जिसके कारण इसे "अधूरे शिव मंदिर" के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि राजा भोज ने एक गंभीर बीमारी से ठीक होने के बाद दुनिया के सबसे बड़े शिवलिंग की स्थापना के उद्देश्य से इस मंदिर का निर्माण शुरू किया था। उन्होंने इस भव्य योजना पर बहुत मेहनत की, लेकिन यह मंदिर आज भी अधूरा है।

भोजेश्वर मंदिर की पौराणिक कथा

भोजेश्वर मंदिर, जिसे भोजपुर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन जिले के भोजपुर गाँव में स्थित एक अधूरा हिंदू मंदिर है। यह भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर में एक ही चट्टान से बना एक विशाल शिवलिंग है, जो भारत में सबसे ऊंचे शिवलिंगों में से एक है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में परमार वंश के राजा भोज ने करवाया था। राजा भोज एक महान शिव भक्त थे और उन्होंने भगवान शिव को समर्पित एक भव्य मंदिर बनाने का संकल्प लिया था। पौराणिक कथा के अनुसार, पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इस मंदिर का निर्माण किया था। मान्यता है कि माता कुंती की पूजा के लिए भीम ने इस मंदिर का निर्माण किया था।

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भोजेश्वर मंदिर का महत्व क्या है?

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भोजेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि भोजपुर मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही भक्त के जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती है।

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Image Credit- HerZindagi

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