हिंदू धर्म में सभी व्रत एवं त्योहारों का विशेष महत्त्व है। ऐसे ही व्रत में से एक है हर महीने की त्रयोदशी तिथि को पड़ने वाला प्रदोष व्रत। इस व्रत को बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
एक महीने में दो प्रदोष व्रत होते हैं पहला शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि और दूसरा कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को। इस प्रकार पूरे साल में 24 प्रदोष व्रत होते हैं जिनका अलग ही महत्त्व है। जब प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ता है इसे सोम प्रदोष कहा जाता है और जब यह मंगलवार के दिन पड़ता है तब इसे भौम प्रदोष कहा जाता है। आइए नई दिल्ली के जाने माने पंडित, एस्ट्रोलॉजी, कर्मकांड,पितृदोष और वास्तु विशेषज्ञ प्रशांत मिश्रा जी से जानें जून के महीने में कब पड़ रहा है भौम प्रदोष व्रत और इसका क्या महत्त्व है।
जून महीने के भौम प्रदोष व्रत की तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 22 जून, दिन मंगलवार को है। इसलिए जून महीने का दूसरा और आखिरी प्रदोष व्रत, 22 जून को रखा जाएगा। मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। मंगलवार के दिन पड़ने की वजह से इस व्रत का अलग महत्त्व होता है। मंगलवार का दिन भगवान हनुमान को समर्पित होता है, जिन्हें भगवान् शिव का ही अवतार माना जाता है इसलिए इस दिन भगवान शिव के साथ हनुमान जी की भी पूजा की जाती है।
इसे जरूर पढ़ें:Tuesday Special: धन हानि से बचना है, तो मंगलवार के दिन भूलकर भी न खरीदें ये चीज़ें
भौम प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
- यह तिथि 22 जून को प्रातः 10 बजकर 22 मिनट से प्रारंभ होकर 23 जून को प्रातः 6 बजकर 59 मिनट तक रहेगी।
- भौम प्रदोष काल 22 जून को शाम 07 बजकर 22 मिनट से रात्रि 09 बजकर 23 मिनट तक रहेगा।
- इस समय में प्रदोष व्रत की पूजा करना अत्यंत फलदायी होगा।
- भौम प्रदोष व्रत के दिन सिद्धि और साध्य योग बन रहा है। इस योग में शुभ काम करना अच्छा होता है।
- इस दिन भगवान शिव की विधि- विधान से पूजा करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
भौम प्रदोष व्रत पूजा विधि
- भौम प्रदोष व्रत वाले दिन प्रदोष काल में स्नान-ध्यान करके भगवान शिव को बेल पत्र, पुष्पों, धतूरे के फल, आदि अर्पित करें।
- भगवान् शिव की संग माता पार्वती समेत पूजा करने से पूजा का दोगुना फल मिलता है।
- इसलिए शिव चालीसा का पाठ करें, माता पार्वती को सिन्दूर लगाएं व शिव जी को चन्दन से सुसज्जित करें।
- दीप प्रज्ज्वलित करके प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें और दूसरों को सुनाएं।
- कथा के बाद शिव जी की आरती करें और भोग अर्पित करें।
- शिव जी की आराधना करें एवं भोग लगाएं। उसी भोग को प्रसाद स्वरुप ग्रहण करें और सभी को खिलाएं।
- यदि आप व्रत रखती हैं तो पूरे दिन फलाहर का सेवन करें और प्रदोष काल के पूजन के बाद अन्न का भोग ग्रहण करें।
- व्रत के दौरान नामक का सेवन न करें।
- महिलाएं मां पार्वती को लाल चुनरी और सुहाग का सामान चढ़ाएं।
- मां पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करना शुभ माना जाता है।
- पूरे दिन व्रत-नियमों का पालन करें। भौम प्रदोष के दौरान हनुमान जी की भी विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें।
भौम प्रदोष व्रत का महत्त्व
भौम प्रदोष व्रत के दिन शिव पार्वती और हनुमान जी की पूजा करने से घर में सुख- समृद्धि बनी रहती है। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाऐं सरशा भाव से पूजन करें निश्चित ही संतान सुख की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत के दिन पूजा करने से आपके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। पुत्र प्राप्ति की कामना ,धन प्राप्ति की इच्छा ,किसी रुके हुए कार्य को पूरा करने की चाह और नौकरी में सफलता प्राप्त करने की इच्छा रखने वालों के लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी होता है। इस व्रत में शिव जी का पूजन, प्रदोष काल में यानी कि संध्या काल और रात्रि से पूर्व के समय में करने से हर इच्छा पूर्ण होती है।
अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Recommended Video
Image Credit: shutterstock,pinterest and freepik
HerZindagi Video
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों