भारत को लेकर कुछ शब्द बोले जाते हैं....अतुल्य भारत! अद्भुत भारत! अनोखा भारत!....यह तीन शब्द ऐसे हैं अगर इनका शब्द समझने की कोशिश की जाए, तो इसका अर्थ होगा कि एक ऐसा देश जहां आपको हर कोने और हर कस्बों में तरह-तरह के अनोखे चीज सुनने और देखने को मिलती हैं। यहां मौजूद की इमारतें, कस्बे, किले यहां तक की मार्केट्स का अपना अलग ही इतिहास है।
पर आज इस लेख में हम आपको भारत के कुछ ऐसे ही प्राचीन मार्केट्स के बारे में बताएंगे, जिन्हें मुगलों या फिर अंग्रेजों को जमाने में बनाया गया था। जी हां, आज भी कई ऐसे मार्केट्स हैं जिनका आज भी अपना अस्तित्व है। हैरान कर देने वाली बात तो ये है कि इन मार्केट्स में आज भी जमकर शॉपिंग की जाती है।
इन जगहों पर कई ऐसी पारंपरिक चीजें मिलती हैं, जिन्हें सिर्फ इंडिया में बनाया जाता है। तो देर किस बात की आइए जानते हैं पुराने जमाने के फेमस मार्केट्स के बारे में-
चांदनी चौक
चांदनी चौक...जी हां, चांदनी चौक...यह उस समय का स्थापित मार्केट है जब मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी राजधानी शाहजहांनाबादकी नींव रखी थी। चांदनी चौक बनाने को लेकर यह तर्क दिया जाता है कि शाहजहां चाहते थे कि राजधानी शाहजहांनाबाद को ऐसा मार्केट दिया जाए, जिसका दीदार करने दूर-दूर से लोग यहां आएं।
यही वजह है कि शाहजहां ने 17वीं सदी में लगभग 1650 के दौरान चांदनी चौक बनाया गया था।इसकी योजना शाहजहां की पसंदीदा बेटी जहांआरा बेगम ने बनाई थी। जैसा कि नाम से पता चलता है, बाजार एक वर्गाकार योजना (चौक) में बनाया गया था, जिसमें एक केंद्रीय पूल था जो चांदनी को प्रतिबिंबित करता था।
चांदनी चौक में उस दौर में 1560 दुकानें थीं और ये बाजार 40 गज से ज्यादा चौड़ा और 1520 गज से ज्यादा बड़ा था। आज तो इसका पूरा नक्शा बदल गया है।
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मीना बाजार
छत्ता चौक या मीना मार्केट लाल किले के पास स्थित है। यह लाहौरी गेट के पीछे स्थित है। पर अगर इसके इतिहास पर बात की जाए, तो यह मार्केट काफी पुराना है। यह मार्केट भी मुगल काल में बना था, जिसे शाहजहांने बनवाया था। उन दिनों इस मार्केट को बाजार-ए-मुसन्नाफ कहा जाता था।
उस दिन सक्कफ का मतलब छत या छत्ता बाजार था क्योंकि इस दौरान मार्केट खुले हुए होते थे। पश्चिम एशिया में ढका हुआ बाजार एक आम बात थी, पर यह मार्केट नया था। इसे शाहजहां ने बनवाया था क्योंकि वह इस बाजार से प्रेरित था।
जौहरी बाजार
यह बाजार भी मुगल काल में स्थापित हुआ था, जहां हीरे-जवाहरात को बेचा जाता था। जी हां, जब इस जगह पर बाजार लगना शुरू हुआ था, तो कुछ जौहरियों ने यहां पर दुकानें लगाई थीं। तभी से इस मार्केट को जौहरी बाजार के नाम से जाना जाने लगा था।
किले और कोतवाली के बीच में यह बाजार बना था। इतिहासकार राज किशोर शर्मा राजे ने अपनी किताब तवारीख-ए-आगरा में इस मार्केट का उल्लेख किया है। आज सेठ गली के नाम से जिस गली को जाना जाता है, उस वक्त वहां सेठ-साहूकार रहा करते थे।
आज यहां आपको ज्वैलरी, फुटवियर, कपड़े और घर के सजावट के लिए ऐसे-ऐसे समान मिलेंगे जिसे आप खरीदे बिना रह ही नहीं सकते। यहां आपको पारंपरिक राजस्थानी की हर वो चीज मिलेगी जो किसी ना किसी इतिहास से जरूर जुड़ी होती है।
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इसके अलावा, भारत में स्थित हर मार्केट का अपना अलग ही इतिहास है, जिनके बारे में जानना बहुत जरूरी है। हालांकि, हम आपके लिए ऐसे ही प्राचीन मार्केट के बारे में बताते रहेंगे। वहीं, आप किसी मार्केट के बारे में जानना चाहते हैं, हमें नीचे कमेंट करके बताएं।
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