सेहत और नींद का आपस में गहरा नाता है। यह तो हम सभी जानते हैं कि अगर पर्याप्त मात्रा में नींद ना ली जाए तो इससे आपकी हेल्थ को नुकसान होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि जरूरत से ज्यादा सोना भी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। कहा भी जाता है कि किसी भी चीज की अति क्षति का ही कारण बनती है। फिर चाहे वह आपकी नींद ही क्यों ना हो। ओवरस्लीपिंग के चलते आपको सिरदर्द से लेकर वजन बढ़ना, पीठ में दर्द, डिप्रेशन, हार्ट डिजीज व थकान आदि समस्याएं हो सकती हैं।
याद रखें कि एक अच्छी नींद लेने और ओवरस्लीपिंग में फर्क होता है। आपको कितनी नींद की जरूरत होती है, यह आपकी उम्र व हेल्थ कंडीशन पर निर्भर करता है। जहां एक नवजात शिशु को 14-17 घंट की नींद की आवश्यकता होती है, वहीं एक एडल्ट व्यक्ति को सात से दस घंटे की नींद लेनी चाहिए। लेकिन अगर आप इससे ज्यादा देर तक सोती है तो यह आपके लिए एक खतरे की घंटी है। तो चलिए आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बता रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप ओवरस्लीपिंग की आदत से छुटकारा पा सकती हैं-
इसे भी पढ़ें:अगर चाहती हैं कि रात में आए गहरी नींद तो आजमाएं ये 10 उपाय
सेट करें अलार्म
अगर आप चाहती हैं कि आप ओवरस्लीपिंग ना करें तो इसके लिए घड़ी में अलार्म सेट करें। शुरूआत में हो सकता है कि आप अलार्म बंद करके सो जाएं। इसलिए आप अलार्म को अपने बेड के पास ना रखें, बल्कि थोड़ा दूर रखें ताकि आपको उसे बंद करने के लिए बिस्तर छोड़ना पड़े और फिर आप उठ पाएंगी। इसके अलावा आप फोन में दस-दस मिनट के गैप में अलार्म सेट करें। इससे भी आप आलस्य के कारण बिस्तर में लेटी नहीं रहेंगी।
सेट करें रूटीन
कुछ महिलाओं के सोने व उठने का समय सुनिश्चित नहीं होता, जिसके कारण उन्हें ओवर-स्लीपिंग व अन्य कई स्लीप समस्याएं शुरू होती हैं। इस सभी समस्याओं से छुटकारा पाने का सबसे आसान तरीका है कि आप अपना स्लीप रूटीन मेंटेंन करें। जैसे आप तय समय पर बिस्तर में चली जाएं और नियत समय पर ही उठें। इसके अलावा स्लीप हाईजीन पर भी फोकस करें। कोशिश करें कि आप क्वाटिंटी स्लीप की जगह क्वालिटी स्लीप लें।
ना करें नैपिंग
एक अच्छी व सही स्लीप के लिए जरूरी है कि आप दिन के समय सोने से बचें। दिन में सोने से पूरे दिन थकान बनी रहती है। साथ ही आपको रात के समय भी नींद न आने की समस्या हो सकती है। जिससे आप अगली सुबह देर तक सोती रहेंगी। इसलिए आवेरस्लीपिंग से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप नैपिंग की आदत को छोड़ दें।
ना सोएं वीकेंड पर
अगर आपको ओवरस्लीपिंग की समस्या है तो आपको वीकेंड पर या फिर छुट्टी के दिन दोपहर में या अतिरिक्त सोने से बचना चाहिए। दरअसल, हर दिन एक ही समय पर जागने और रात को एक ही समय पर सोने से आपके शरीर में स्लीप व उठने का साइकल तय होता है। कुछ समय में आपका शरीर इसका आदि हो जाता है और लंबे समय में आपको इसका बहुत फायदा होता है। स्लीप शेड्यूल बनाना और उसी पर टिके रहने से ओवरलेपिंग को रोकने में मदद मिलती है।
इसे भी पढ़ें:World Sleep Day: हेल्दी रहने की सबसे अच्छी दवा है भरपूर नींद, जानिए कैसे
बनाएं स्लीप डायरी
ओवरस्लीपिंग को रोकने के लिए स्लीप डायरी मेंटेंन करना आपके लिए लाभदायक हो सकता है। दरअसल, इससे आपको पता चलता है कि आप हर दिन कितनी देर सोती हैं या फिर ऐसी कौन सी चीजें है, जो आपकी स्लीप को डिस्टर्ब करती हैं। इस तरह जब आप खुद अपनी नींद का आत्मनिरीक्षण करेंगी तो यकीनन आप अपनी स्लीप संबंधी परेशानियों को भी दूर कर पाएंगी।
वैसे तो इन टिप्स को अपनाकर ओवरस्लीपिंग की आदत से निजात पाने में काफी हद तक आपको मदद मिलेगी। लेकिन अगर आप किसी हेल्थ समस्या के कारण ओवरस्लीपिंग करती हैं तो आपको डॉक्टरी परामर्श की जरूरत लेना चाहिए।
सेहत और नींद का आपस में गहरा नाता है। यह तो हम सभी जानते हैं कि अगर पर्याप्त मात्रा में नींद ना ली जाए तो इससे आपकी हेल्थ को नुकसान होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि जरूरत से ज्यादा सोना भी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। कहा भी जाता है कि किसी भी चीज की अति क्षति का ही कारण बनती है। फिर चाहे वह आपकी नींद ही क्यों ना हो। ओवरस्लीपिंग के चलते आपको सिरदर्द से लेकर वजन बढ़ना, पीठ में दर्द, डिप्रेशन, हार्ट डिजीज व थकान आदि समस्याएं हो सकती हैं।
याद रखें कि एक अच्छी नींद लेने और ओवरस्लीपिंग में फर्क होता है। आपको कितनी नींद की जरूरत होती है, यह आपकी उम्र व हेल्थ कंडीशन पर निर्भर करता है। जहां एक नवजात शिशु को 14-17 घंट की नींद की आवश्यकता होती है, वहीं एक एडल्ट व्यक्ति को सात से दस घंटे की नींद लेनी चाहिए। लेकिन अगर आप इससे ज्यादा देर तक सोती है तो यह आपके लिए एक खतरे की घंटी है। तो चलिए आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बता रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप ओवरस्लीपिंग की आदत से छुटकारा पा सकती हैं-
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सेट करें अलार्म
अगर आप चाहती हैं कि आप ओवरस्लीपिंग ना करें तो इसके लिए घड़ी में अलार्म सेट करें। शुरूआत में हो सकता है कि आप अलार्म बंद करके सो जाएं। इसलिए आप अलार्म को अपने बेड के पास ना रखें, बल्कि थोड़ा दूर रखें ताकि आपको उसे बंद करने के लिए बिस्तर छोड़ना पड़े और फिर आप उठ पाएंगी। इसके अलावा आप फोन में दस-दस मिनट के गैप में अलार्म सेट करें। इससे भी आप आलस्य के कारण बिस्तर में लेटी नहीं रहेंगी।
सेट करें रूटीन
कुछ महिलाओं के सोने व उठने का समय सुनिश्चित नहीं होता, जिसके कारण उन्हें ओवर-स्लीपिंग व अन्य कई स्लीप समस्याएं शुरू होती हैं। इस सभी समस्याओं से छुटकारा पाने का सबसे आसान तरीका है कि आप अपना स्लीप रूटीन मेंटेंन करें। जैसे आप तय समय पर बिस्तर में चली जाएं और नियत समय पर ही उठें। इसके अलावा स्लीप हाईजीन पर भी फोकस करें। कोशिश करें कि आप क्वाटिंटी स्लीप की जगह क्वालिटी स्लीप लें।
ना करें नैपिंग
एक अच्छी व सही स्लीप के लिए जरूरी है कि आप दिन के समय सोने से बचें। दिन में सोने से पूरे दिन थकान बनी रहती है। साथ ही आपको रात के समय भी नींद न आने की समस्या हो सकती है। जिससे आप अगली सुबह देर तक सोती रहेंगी। इसलिए आवेरस्लीपिंग से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप नैपिंग की आदत को छोड़ दें।
ना सोएं वीकेंड पर
अगर आपको ओवरस्लीपिंग की समस्या है तो आपको वीकेंड पर या फिर छुट्टी के दिन दोपहर में या अतिरिक्त सोने से बचना चाहिए। दरअसल, हर दिन एक ही समय पर जागने और रात को एक ही समय पर सोने से आपके शरीर में स्लीप व उठने का साइकल तय होता है। कुछ समय में आपका शरीर इसका आदि हो जाता है और लंबे समय में आपको इसका बहुत फायदा होता है। स्लीप शेड्यूल बनाना और उसी पर टिके रहने से ओवरलेपिंग को रोकने में मदद मिलती है।
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बनाएं स्लीप डायरी
ओवरस्लीपिंग को रोकने के लिए स्लीप डायरी मेंटेंन करना आपके लिए लाभदायक हो सकता है। दरअसल, इससे आपको पता चलता है कि आप हर दिन कितनी देर सोती हैं या फिर ऐसी कौन सी चीजें है, जो आपकी स्लीप को डिस्टर्ब करती हैं। इस तरह जब आप खुद अपनी नींद का आत्मनिरीक्षण करेंगी तो यकीनन आप अपनी स्लीप संबंधी परेशानियों को भी दूर कर पाएंगी।
वैसे तो इन टिप्स को अपनाकर ओवरस्लीपिंग की आदत से निजात पाने में काफी हद तक आपको मदद मिलेगी। लेकिन अगर आप किसी हेल्थ समस्या के कारण ओवरस्लीपिंग करती हैं तो आपको डॉक्टरी परामर्श की जरूरत लेना चाहिए।
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