हिंदू धर्म में हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से माताएं अपनी संतान की सेहत और उनके खुशहाल जीवन के लिए रखती हैं। अहोई अष्टमी का व्रत निर्जला रखने की मान्यता है। इस दिन अहोई माता की पूजा करने के दौरान स्याहु माला धारण करने का महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि स्याहु माला धारण करने से अकाल मृ्त्यु से छुटकारा मिल सकता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति भी होती है।
अब ऐसे में अहोई अष्टमी के दिन स्याहु की माला किस विधि से धारण करें। माला पहनने के नियम क्या हैं और स्यालु माला की कितनी मोती पिरोएं। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
हर साल बढ़ाया जाने वाला मोती संतान की उम्र बढ़ने का प्रतीक होता है। मान्यता है कि इससे संतान को लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन मिलता है। बता दें, अहोई अष्टमी के दिन महिलाएं संतान की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं और स्याहू माला धारण करती हैं। आप अपने हिसाब से मोती पिरो सकते हैं।
ज्योतिषाचार्य के हिसाब से स्याहु माला को आप अहोई अष्टमी की पूजा के बाद धारण कर सकते हैं। आप इसे लाल धागे या फिर मौली में पिरोकर पहन सकते हैं। हर साल माला में एक चांदी का मोती जोड़ा जाता है। ताकि संतान की उम्र में वृद्धि हो। ऐसा करने से संतान को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
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अहोई अष्टमी के दिन माता निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन सबसे पहले अहोई माता की पूजा करें और फिर मिट्टी के घडे़ में पानी भरकर रख दें।अहोई माता की तस्वीर पर स्याहु माला को चढ़ाएं और पूजा करें। इस पूजा में संतान को साथ में बैठाना शुभ माना जाता है। फिर अहोई माता को तिलक करें और उसके बाद स्याहु माला के लॉकेट पर तिलक करें। इसके बाद उस माला को गले में पहन लें। दिनभर निर्जला व्रत रखें और फिर शाम तो तारों को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें। आप स्याहु माला को बाजू में या फिर कंठ में भी धारण कर सकते हैं।
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माला धारण करने से पहले शरीर को शुद्ध करना आवश्यक होता है। इसके लिए स्नान करना और साफ कपड़े पहनना चाहिए। माला को धारण करने से पहले इसकी विधिवत पूजा की जाती है। इसे रोली, चंदन और अक्षत चढ़ाएं। माला को शुभ मुहूर्त में ही धारण करना चाहिए। माला धारण करते समय मन को शांत रखकर भगवान की आराधना करनी चाहिए।
स्याहु माला पहनने से संतान की रक्षा होती है। स्याहु माला धारण करने से व्यक्ति को सुख-शांति और सौभाग्य का वरदान मिलता है और जिन दांपत्ति को संतान नहीं हैं, उन्हें संतान सुख का आशीर्वाद मिलता है।
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Image Credit- HerZindagi
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