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Ahoi Ashtami Syau Mala 2025: संतान की सुरक्षा के लिए मां क्यों पहनती हैं स्याहु माता की माला, जानें इसके पीछे का धार्मिक महत्व

Ahoi Ashtami par Syau Mala Kyu Pahante Hai: अहोई अष्टमी पर माताएं अपने बच्चों के लिए व्रत रखती हैं। इसके बाद रात के समय तारों को अर्ध्य देखकर इस व्रत को पूरा करती हैं। इससे बच्चों की दीर्घायु होती है। साथ ही उनके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इसमें एक चीज अहम होती है स्याहु माता की माला। इसके बारे में आर्टिकल में जानते हैं।
Editorial
Updated:- 2025-10-13, 13:48 IST

अहोई अष्टमी का व्रत संतान के लिए रखा जाता है। इस दिन माताएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती है और रात के समय तारों को अर्ध्य देकर इसे पूरा करती हैं। कई सारी माताएं ऐसी भी होती हैं, जो इस दिन स्याहु माता की माला को जरूर पहनती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह एक संतान के जीवन में हर तरह की परेशानी को दूर करती है। इसके बारे में अहोई अष्टमी की व्रत कथा में सारी चीजें विस्तार से बताई गई हैं। साथ ही स्याहु माता की माला का महत्व भी बताया है। आइए आर्टिकल में आपको भी बताते हैं कि संतान सुरक्षा के लिए मां स्याहु माता की माला को क्यों पहनती हैं?

कौन हैं स्याहु माता?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, स्याहु माता बच्चों की रक्षा करने वाली देवी मानी जाती हैं। अहोई अष्टमी के दिन इसलिए इनकी पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जब बच्चे छोटे होते हैं, तो उन पर नजर, नकारात्मक ऊर्जा या बुरी शक्तियों का प्रभाव जल्दी पड़ता है। ऐसे में स्याहु माता उन सभी दुष्प्रभावों से बच्चों की रक्षा करती हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि बनाए रखती हैं। अहोई अष्टमी के दिन माताएं इसलिए इनकी माला बनाकर धारण करती हैं, ताकि बच्चों के जीवन की सुरक्षा कर सके।

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अहोई अष्टमी पर स्याहु माता की माला का क्या है महत्व?

अहोई अष्टमी पर स्याहु माता का सबसे ज्यादा महत्व होता है। इनकी पूजा के बिना यह व्रत अधूरा माना जाता है। इसलिए इनकी माला बनाकर पहनना सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है। इसके लिए आपको स्याहु माता की माला को काले, नीले या भूरे रंग के मोतियों से तैयार करवानी है। इसके बाद इसे ग्रहण करना है। इसमें एक सुरक्षा कवच भी बनाया जाता है, जिसमें माता बनाई जाती हैं, जो आपको आपके आसपास के सुनहार के पास मिल जाएगा। इसे धारण करें और फिर पूजा करें। इससे नकारात्मक ऊर्जा बच्चें के पास नहीं आती है। साथ ही यह माला उन्हें सभी संकटों से बचाती है।

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कब और कैसे धारण करें स्याहु माता की माला?

  • स्याहु माता की माला को आमतौर पर अहोई अष्टमी पर शुभ मुहूर्त देखकर धारण करते हैं। आप इसे पूजा के समय भी पहन सकती हैं।
  • इसके लिए पहले इसे मंदिर में स्याहु माता के सामने चढ़ाना है, फिर पूजा के बाद मां इसे अपने गले या कलाई में पहनेंगी।
  • कहा जाता है कि इस माला को पहनते समय स्याहु माता रक्षणं करोतु मंत्र का जप करना शुभ होता है।

धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि स्याहु माता की आराधना से न सिर्फ संतान की रक्षा होती है, बल्कि घर में शांति और सकारात्मकता भी बनी रहती है। यह माला मां और बच्चे के बीच एक बंधन का प्रतीक होती है, जो हर मुश्किल वक्त में सुरक्षा की ढाल बनकर कार्य करती है। स्याहु माता की माला केवल एक आभूषण नहीं, बल्कि विश्वास और मातृत्व के भाव का प्रतीक है।

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Image Credit-Freepik

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