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significance of syau mala in ahoi ashtami

Ahoi Ashtami 2023: अहोई अष्टमी के दिन क्यों पहनी जाती है स्याहु माला, जानें महत्व

Significance of Wearing Syau Mala in Ahoi Ashtami: हिन्दू धर्म में हर एक व्रत और त्यौहार का विशेष महत्व है और इसमें पूजन का भी अलग तरीका होता है। मान्यता है कि आपको पूजा हमेशा विधि-विधान से ही करनी चाहिए जिससे घर की समृद्धि बनी रहे।   
Editorial
Updated:- 2023-11-03, 17:14 IST

हर साल कार्तिक महीने की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से महिलाएं अपने बच्चों की सेहत के साथ उनकी दीर्घायु की कामना में रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि पूरे दिन निर्जला व्रत रखने से माता अहोई का आशीर्वाद मिलता है और घर में समृद्धि के साथ बच्चों की सेहत भी अच्छी बनी रहती है। 

इस साल यह पर्व 5 नवंबर को है। सभी व्रत और त्योहारों की ही तरह अहोई अष्टमी पूजा की कुछ मान्यताएं हैं जिनका पालन जरूरी समझा जाता है और इन प्रथाओं को नियम से करने से व्रत और पूजा का पूर्ण फल मिलता है।

इन्हीं में से एक है अहोई माता की पूजा में स्याहु माला का इस्तेमाल करना। इस दिन स्याहु माला धारण करना बहुत जरूरी माना जाता है और इससे व्रती महिलाओं की पूजा पूर्ण समझी जाती है। 

इस व्रत को निःसंतान माताओं के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है और यदि वो इस व्रत को श्रद्धा से करती हैं तो उनके जीवन में संतान सुख आने की संभावना बढ़ जाती है। आइए ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया से जानें स्याहु माला पहनने का महत्व और इसके फायदों के बारे में। 

कैसे होती है अहोई माता की पूजा 

how to perform ahoi puja

अहोई अष्टमी के दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत करती हैं और संध्या काल में पूरे विधि-विधान से अहोई माता की पूजा का विधान है। इस पूजा में माताएं अपने बच्चों की दीर्घायु की कामना करती हैं।

इस व्रत के दौरान तारों की छांव में अर्घ्य देने का विधान है। इस दिन विशेष रूप से घर में अहोई माता का चित्र बनाया जाता है या फिर उनका कैलेंडर लगाकर पूजन किया जाता है। वहीं अहोई माता की पूजा में चांदी की अहोई बनाई जाती है, जिसे स्याहु कहा जाता है।

कलावा में स्याहु लॉकेट डाला जाता है और इसे माला का रूप दिया जाता है। मान्यतानुसार यह माला इस दिन से लेकर कम से कम दिवाली के पर्व तक माताएं धारण करती हैं। 

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अहोई अष्टमी के दिन क्यों पहनी जाती है स्याहु माला 

what is syau mala

ज्योतिष में मान्यता है कि स्याहु माला को संतान की लंबी आयु की कामना के साथ सहारण किया होता है और इससे माता अहोई का आशीर्वाद मिलता है। इस माला को नियम से धारण करने वाली माताओं की संतान की सेहत अच्छी बनी रहती है और उनके जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान आसानी से मिलता है।

इस माला को अहोई अष्टमी से लेकर कम से काम दिवाली तक धारण करना जरूरी माना जाता है। इस माला में हर साल एक चांदी का मोती बढ़ा दिया जाता है और इस मोती को बच्चों की उम्र का संकेत माना जाता है और इससे उन्हें दीर्घायु का वरदान मिलता है। 

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कैसे बनाई जाती है स्याहु माला और पूजन की विधि 

  • अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता की विधिवत पूजा करें और एक मिट्टी के पात्र में जल भरकर रखें। 
  • विधि-विधान से स्याहु माता का लॉकेट तैयार करें और उसके बाद अपने बच्चों को उस स्थान पर बैठाकर स्याहु माला तैयार करें। 
  • बच्चों को तिलक लगाएं और मिट्टी के बर्तन में रखे जल को उनके ऊपर छिड़कें। 
  • स्याहु माला बनाने के लिए सबसे पहले चांदी के स्याहु लॉकेट को एक लाल रंग के धागे या कलावे में पिरो लें और उसमें चांदी की मोतियां डालें। 

अहोई अष्टमी पर स्याहु माला पहनने का महत्व 

  • अहोई अष्टमी पर स्याहु माला पहनने से संतान को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। मान्यता है कि स्याहु लॉकेट चांदी का बना होता है और अहोई अष्टमी के दिन इसमें रोली का टीका लगाकर पूजन किया जाता है।
  • इसे कलावा या मौली में पिरोया जाता है और यह धागा रक्षा सूत्र की तरह काम करता है, इसलिए इसे धारण करने से संतान की किसी भी परेशानी से रक्षा होती है और उसका समाधान मिलता है। स्याहु माला को अहोई माता की पूजा के बाद माताएं धारण कर लेती हैं। इसका चांदी का लॉकेट चन्द्रमा को मजबूत करता है और शांति का प्रतीक माना जाता है। 
  • पूजा के बाद माताएं इसे अपने गले में पहनती हैं। इस माला को अष्टमी के दिन धारण करने के बाद दिवाली तक लगातार पहने रखा जाता है। दिवाली के दिन आप इसे उतार कर सुरक्षित स्थान पर रख सकती हैं।
  • दीवाली के बाद आप इस माले को घर के मंदिर या तिजोरी में सुरक्षित रख सकती हैं। स्याहु को संतान का प्रतीक माना जाता है और इसे चांदी के रूप में पूजना माता अहोई का आशीर्वाद लेने का एक तरीका माना जाता है। 

यदि आप भी अहोई माता का पूजन करती हैं तो आपको इसमें धारण की जाने वाली स्याहु माला का महत्व जरूर जान लेना चाहिए। 

 

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