दशहरा हम हमेशा रावण दहन के कार्यक्रम से मनाते हैं और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक इसे माना जाता है। पर एक सच ये भी है कि रावण स्वयं ब्रह्मा का परपोता था और वो ब्रह्म श्रेष्ठ था जिसकी सिद्धी इतनी बड़ी थी कि उसने काल को भी अपने कब्जे में कर रखा था। रावण कैलाश पर्वत को हिलाने की शक्ति रखता था और उसे शिव का वरदान प्राप्त था।
रावण जिसे परम राक्षस कहा जाता है वो परम ब्राह्मण भी था और उसे कई सिद्धियां प्राप्त थीं जिसके कारण उसे संसार के कई सुख भोगने की क्षमता मिली हुई थी। रावण जिसे हम पौराणिक कथाओं का सबसे बड़ा विलेन मानते हैं उसे इतना सुख मिला था कि उसकी मृत्यु स्वयं श्रीराम के हाथों हुई थी।
रावण को लेकर कई भ्रांतियां भी हैं और ऐसे कई फैक्ट्स हैं जिनके बारे में लोगों को नहीं पता है।
1. यहां रावण दहन के दिन मनाया जाता है शोक-
देश में एक जगह ऐसी भी है जहां रावण के दहन पर शोक मनाया जाता है। यहां बाकायदा रावण की बरसी मनाई जाती है और पूजा की जाती है। ये उस गांव के लोगों के लिए मातम का दिन होता है। ये मध्यप्रदेश के विदिशा के पास नटेरन नामक गांव है जहां की बात हो रही है। ज्योतिषाचार्य विनोद सोनी पोद्दार का कहना है कि ये अपने आप में एक अनोखा गांव है जहां आपको दशहरे के दिन कुछ अलग ही नजारे देखने को मिलेंगे।
नटेरन असल में मंदोदरी का गांव था और इसलिए रावण यहां के दामाद हुए जिसके कारण यहां पर दामाद की मौत का शोक मनाया जाता है। नटेरन गांव में रावण दहन के दिन झांकी सजाई जाती है।
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2. ब्रह्मा के पोते थे रावण-
अधिकतर लोगों को ये तो पता है कि रावण ब्रह्मा के पोते थे, लेकिन ये नहीं पता कि आखिर उनके माता-पिता कौन थे। दरअसल, ब्रह्मा के 10 बेटे माने गए थे जो उन्होंने अपने मन की शक्ति से उत्पन्न किए थे। उन्हीं में से एक थे प्रजापति पुलस्त्य जिनके बेटे विश्रवा के बेटे हैं रावण। इसी तरह रावण ब्रह्मा के सगे परपोते थे और ब्रह्म वंश के माने गए थे।
3. कुबेर के भाई थे रावण-
जब भी रावण के भाई का नाम लिया जाता है तब विभीषण और कुंभकरण का ही नाम याद आता है, लेकिन मैं आपको बता दूं कि धन के देवता कुबेर रावण के भाई थी। विश्रवा की दो पत्नियां थीं जिनमें से एक इडविडा थीं जो सम्राट तृणबिन्दु और एक अप्सरा की पुत्री थी और दूसरी थी राक्षस सुमाली एवं राक्षसी ताड़का की पुत्री कैकसी।
भगवान कुबेर विश्रवा और इडविडा के बड़े बेटे थे जो सारे भाइयों में सबसे बड़े थे।
4. विभीषण-रावण सगे भाई नहीं थे-
'घर का भेदी लंका ढाए' नामक मुहावरा तो आपने सुना ही होगा जो हमेशा विभीषण के लिए कहा जाता है, उन्होंने रावण को मारने का तरीका श्री राम को बताया था वो असल में रावण के असली भाई नहीं थे बल्कि वो कुबेर के भाई थे यानि रावण के सौतेले भाई।
5. रावण ने दिए थे लक्ष्मण को उपदेश-
क्योंकि रावण शिव भक्त और परम ज्ञानी था इसलिए मरते वक्त श्री राम ने लक्ष्मण जी को कहा था कि वो रावण के पास बैठकर जीवन का ज्ञान लें। रावण ने उन्हें राज्य, प्रजा, भक्ति और अन्य चीज़ों से जुड़ा ज्ञान दिया था।
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6. संगीत का परम ज्ञानी था रावण-
न सिर्फ मंत्र और न ही तंत्र बल्कि रावण संगीत विशारथ भी था। माना जाता है कि रावण के जैसा वीणा वादक उस समय कोई नहीं था और उसकी वीणा की मधुर ध्वनि सुनकर सभी मंत्रमुग्ध हो जाते थे।
7. ग्रहों की चाल बदल सकता था रावण-
रावण को कई सिद्धियां प्राप्त थीं और वो इतना शक्तिशाली था कि उसके बेटे मेघनाद के जन्म के समय रावण ने ग्रहों को आज्ञा दी थी कि वो बच्चे के 11वें भाव में रहें जिससे उसे अमर होने का वरदान मिले। सिर्फ शनि ही ऐसा था जिसने ये नहीं माना और 12वें भाव में रहा जिससे रावण का बेटा अमर नहीं हो पाया। इससे रावण को इतना गुस्सा आया कि उसने शनि देव पर प्रहार कर शनि को बंदी बना लिया था।
8. युद्ध कला में विशारथ-
रावण मार्शियल आर्ट्स और युद्ध कला में विशारथ भी था और इस कारण अपने समय का महान योद्धा माना जाता था। अपने समय में कोई भी राजा या योद्धा रावण से युद्ध करने में भयभीत होता था।
9. राम से पहले दो बार हुई थी रावण की हार-
हमेशा ऐसा माना जाता है कि रावण को पहली और आखिरी बार श्रीराम ने ही हराया है, लेकिन यकीन मानिए रामायण के मुताबिक रावण को उससे पहले दो और योद्धाओं ने हराया था। पहले थे वानर राज बाली और दूसरे थे माहिष्मति के राजा कार्तवीर्य अर्जुन (महाभारत वाले अर्जुन नहीं)। कार्तवीर्य अर्जुन के बारे में ये कहा जाता है कि उनकी हज़ार भुजाएं थीं।
रावण की सिद्धियां उसे परम ज्ञानी बनाती हैं, लेकिन सिर्फ एक गलती कर रावण ने अपने जीवन का अंत किया। आज भी लोगों को ये समझना चाहिए कि एक महिला के अपमान का बदला इस महाशक्तिशाली इंसान को अपना सब कुछ खोकर देना पड़ा था और इसलिए महिलाओं की इज्जत सदैव करें।
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