सदियों से चेक बैंकिंग लेन-देन का एक अहम हिस्सा रहा है, जो पैसे भेजने का एक सुरक्षित और सुविधाजनक तरीका प्रदान करता है। हालांकि, डिजिटलीकरण के दौर में भी चेक अपनी विश्वसनीयता और कानूनी मान्यता के कारण इस्तेमाल किया जा रहा है। चेक एक लिखित दस्तावेज है, जिसे बैंक अकाउंट होल्डर जारी करता है, जिसमें वह अपने बैंक को एक निश्चित राशि किसी संस्था या व्यक्ति को भुगतान करने का निर्देश देता है। यह एक तरह का Negotiable Instrument होता है, जिसका मतलब है कि इसे तय नियमों के अनुसार किसी और के नाम भी हस्तांतरित किया जा सकता है। चेक जारी करने वाले को ड्रॉअर कहते हैं, भुगतान करने वाले बैंक को ड्रॉयी और जिसे चेक दिया जाता है, उसे Payee कहा जाता है।
बैंक अलग-अलग जरूरतों के हिसाब से विभिन्न तरह के चेक जारी करते हैं, जिनका इस्तेमाल अलग-अलग परिस्थितियों में किया जाता है। इन चेक के प्रकारों को समझकर आप सही टाइम पर सही चेक का इस्तेमाल कर सकते हैं। आज हम इस आर्टिकल में आपको 9 प्रकार के बैंक चेक के बारे में बताने वाले हैं। साथ ही, उनकी विशेषताएं, फायदे और उपयोगिता के बारे में भी चर्चा करेंगे।
1. बियरर चेक (Bearer Cheque)
बियरर चेक वह चेक होता है, जिसे बैंक उस व्यक्ति को भुगतान कर सकता है, जो इसे लेकर आया है यानी जिस भी इंसान के पास यह चेक होगा, वह बैंक से पैसे निकाल सकता है। इस चेक को किसी और को देने पर, वह भी इसे बैंक में जमा करके पेमेंट ले सकता है। बैंक को पेमेंट करने के लिए चेक जारी करने वाले व्यक्ति यानी ड्रॉअर की किसी दूसरे की अनुमति की जरूरत नहीं होती है।
अगर किसी चेक पर या 'or bearer’ लिखा होता है, तो वह बियरर चेक कहलाता है। इसका मतलब है कि जिसे भी यह चेक मिलेगा, वह इसका इस्तेमाल करके बैंक से पैसा निकला सकता है।
2. ऑर्डर चेक(Order Cheque)
ऑर्डर चेक वह चेक होता है, जिसमें ‘or bearer’ शब्द काट दिया जाता है। इस तरह के चेक का पेमेंट केवल उसी व्यक्ति को किया जाता है, जिसका नाम चेक पर लिखा होता है। बैंक, पेमेंट करने से पहले, चेक पर लिखे इंसान की पहचान की पुष्टि करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सही इंसान को ही पैसे दिए जा रहे हैं।
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3. क्रॉस्ड चेक(Crossed Cheque)
अगर किसी चेक पर दो समानांतर रेखाएं बनी होती हैं, और ऊपर बाईं ओर ‘a/c payee’ लिखा होता है, तो इसे क्रॉस्ड चेक कहा जाता है। इसका मतलब है कि चेक का भुगतान केवल उसी व्यक्ति के बैंक खाते से किया जाएगा, जिसका नाम चेक पर लिखा है। इस तरह के चेक को नकद में नहीं भुनाया जा सकता है, बल्कि सीधे बैंक खाते में जमा करना होता है।
4. ओपन चेक(Open cheque)
ओपन चेक वह चेक होता है, जिस पर कोई क्रॉसिंग नहीं होती है। इसका मतलब है कि इस चेक को किसी भी बैंक में भुनाया जा सकता है और जो भी इसे लेकर जाएगा उसे बैंक भुगतान कर देगी। इसके अलावा, यह चेक दूसरे इंसान को भी सौंपा जा सकता है। ओपन चेक को वैध बनाने के लिए जारीकर्ता को चेक के आगे और पीछे दोनों तरफ सिग्नेचर करने होते हैं। हालांकि, यह चेक सिक्योर नहीं होता है, क्योंकि किसी गलत हाथ में चले जाने पर नुकसान हो सकता है।
5. पोस्ट-डेटेड चेक(Post-Dated Cheque)
पोस्ट-डेटेड चेक वह चेक होता है, जिस पर फ्यूचर की कोई तारीख लिखी होती है। अगर चेक धारक इसे तुरंत बैंक में जमा कर भी दें, तो बैंक तब तक पेमेंट नहीं करेगा जब तक चेक में लिखी तारीख नहीं आ जाती है। यह चेक केवल लिखी गई डेट के बाद ही वैध माना जाता है। आमतौर पर इस चेक का इस्तेमाल लोन की किस्त या किसी निर्धारित तारीख पर किए जाने वाले भुगतान के लिएकिया जाता है।
6. स्टेल चेक(Stale Cheque)
बासी चेक वह चेक होता है, जिसे तीन महीने के अंदर बैंक में जमा नहीं किया गया हो। यह चेक समय सीमा खत्म होने के बाद अमान्य हो जाता है। यह चेक जारी करने की तारीख से 3 महीने तक ही वैध रहता है। इस चेक से धोखाधड़ी को रोकने में मदद मिलती है। अगर चेक बासी हो जाता है, तो जारीकर्ता को नया चेक जारी करना पड़ता है।
7. ट्रैवलर चेक(Traveller’s Cheque)
ट्रैवलर चेक उन लोगों के लिए होता है, जो विदेश यात्रा के दौरान नकद पैसे ले जाने से बचना चाहते हैं। इसे बैंक द्वारा जारी किया जाता है और दूसरे देश के बैंक में आसानी से नकद में बदलाया जा सकता है। इस चेक की वजह से चोरी का खतरा कम हो जाता है। इस इंटरनेशनल स्तर पर मान्यता मिली हुई है।
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8. सेल्फ चेक(Self Cheque)
इस चेक में Drawee के स्थान पर Self लिखा होता है। यह केवल उसी बैंक की ब्रांच से निकाला जा सकता है, जहां जारीकर्ता का अकाउंट खुला होता है। इसे केवल खुद जारीकर्ता द्वारा ही बैंक जाकर भुनाया जा सकता है।
9. बैंकर चेक(Banker’s Cheque)
बैंकर चेक वह चेक होता है, जिसे बैंक खुद जारी करता है, न कि किसी कस्टमर द्वारा जारी किया जाता है। यह आमतौर पर उसी शहर में किसी अन्य इंसान को सुरक्षित तरीके से भुगतान करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। बैंक पहले अकाउंट होल्डर के खाते से अमाउंट कट कर लेता है और फिर चेक दिया जाता है। बैंक इस चेक को रिजेक्ट नहीं कर सकता है। यह चेक आमतौर पर 3 महीने तक वैध रहता है।
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