तीन सहेलियां गरबा खेलकर आधी रात को घर लौट रही थीं। रंग-बिरंगे कपड़ों के साथ, कानों में झुमके, पैरों में घुंघरू, उनके चेहरे पर थकान भी थी और मजे की चमक भी। लेकिन जैसे ही वह इवेंट से बाहर आई, उन्हें समझ आया कि अब असली टेंशन शुरू होने वाली है। एक भी ऑटो या कैब नजर नहीं आ रहे थे। आधी रात में वह वापस कैसे घर जाएंगी उन्हें समझ नहीं आ रहा था। उन्होंने मोबाइल निकाला और सोचा जो भी हो लेकिन कैब ऑनलाइन बुक कर लेना ही उनके लिए बेस्ट होगा। भले ही यह उन्हें थोड़ा महंगा पड़ेगा, लेकिन आधी रात वह सड़कों पर नहीं बिता सकतीं।
तभी महिमा ने कहा, यार मैं कब से कैब बुक करने की कोशिश कर रही हूं, ये बार-बार लोड हो रहा है लेकिन बुक नहीं हो रहा। महिमा का दिमाग खराब हो रहा था, उसने गुस्से में कहा- अरे यार, ये कैबवाले भी न… सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है तो बुक ही नहीं होती।
कोमल ने हंसते हुए कहा- लगता है हमें आज रात भर यही डांडिया मैदान में रहना पड़ेगा। ये सुनकर अंजलि को अच्छा नहीं लगा था। उसने परेशान होते हुए कहा- अरे रात में 1 बजे तक ही गरबा डांडिया यहां खेली जाएगी। फिर सभी को यहां से बाहर निकाल दिया जाएगा। फिर भी हम सड़क पर ही रहेंगे, तुम्हें यह मजाक लग रहा है क्या। महिमा ने कहा- अरे तुम लोग शांत हो जाओ, कुछ न कुछ मिल ही जाएगा।
रात के 12 बज चुके थे, चारों तरफ सन्नाटा था, लेकिन बस उसी मैदान से गाने की आवाज सुनाई दे रही थी, जिसमें इवेंट हो रहा है। उन्होंने कैब और ऑटो दोनों बुक करने की कोशिश की, लेकिन वहां भी ‘नो राइड अवेलेबल’ दिखा। कोमल ने कहा- चलो रोड पर चलते हैं, शायद कोई खाली ऑटो या रिक्शा मिल जाए। ये थोड़ा अंदर है और अलग बना हुआ है, इसलिए यहां ऑटो और कैब बुक नहीं हो रहे। थोड़ा आगे चलेंगे तो शायद मिल जाए। हम ऐसे ही खड़े रहेंगे, तो कुछ नहीं होने वाला।
कोमल की बात पर महिमा और अंजलि भी सहमत हो गई थीं। तीनों धीरे-धीरे सड़क की तरफ बढ़ीं। सड़क पर हल्की-हल्की स्ट्रीट लाइट जल रही थी, लेकिन दूर-दूर तक न ऑटो, न रिक्शा… बस कभी-कभी हवा के झोंके से पेड़ जरूर हिल रहे थे।
अचानक उन्होंने देखा, सड़क के कोने पर एक पुराना सा ऑटो खड़ा था। वह भाग कर खुश होते हुए उसके पास गई। तीनों ने सोचा कि अगर पैसे ज्यादा भी लेगा, तो भी दे देंगे। कमसेकम घर तो पहुंच जाएंगे। जैसे ही वह ऑटो के पास पहुंची , उन्होंने देखा कि अंदर कोई था ही नहीं। वह आस पास ऑटो वाले भैया को आवाज लगाने लगीं। उन्हें लगा कि शायद वह आस-पास ही कहीं होगा, लेकिन उन्हें ऑटो वाला कहीं नजर नहीं आया। सड़क पर कोई नहीं था, लेकिन ऑटो जहां खड़ा था वहां साइड में एक छोटा सा पुराना घर था। घर में हल्की लाइट भी जल रही थी। महिमा की नजर पड़ी और उसने तुरंत कहा- अरे देखो मुझे लगता है ऑटो वाला घर के अंदर ही होगा, हमें अंदर जाकर देखना चाहिए। अंजलि को महिमा की बात ठीक नहीं लग रही थी। उसने कहा- नहीं हम ऐसे किसी के घर का आधी रात का दरवाजा नहीं खटखटाने वाले।
महिमा को अंजली की बात अजीब लग रही थी, उसने मन ही मन कहा- यहां हमें ऑटो नहीं मिल रहा और इसे संस्कारों की पड़ी है। उसने फिर गुस्से में दांत दबाते हुए कहा- बहन अगर ये ऑटो वाला नहीं मिला न, पता नहीं हमें कब तक चलना पड़ेगा। वह घर की तरफ बढ़ रही थी, तभी उन्हें घर के अंदर से कुछ लड़कों के तेज-तेज हंसने की आवाज सुनाई देती है। अंजली पीछे से कहती है- प्लीज हम आगे चलकर देखते हैं, मुझे दरवाजा खटखटाना ठीक नहीं लग रहा। देखो अंदर से बहुत सारे लड़कों के हंसने की आवाज सुनाई दे रही है।
महिमा और कोमल, अंजली की बात सुनने को तैयार नहीं थीं। अंजली बोली – तुम लोग जाओ, मैं यहीं खड़ी हूं। दोनों दरवाजा खटखटाने गईं। अंदर से लड़कों की आवाजें बहुत तेज आ रही थीं। ऐसा लग रहा था मानो वहां पार्टी चल रही हो। महिमा ने पहली बार दरवाजा खटखटाया तो किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। उसने दोबारा और जोर से खटखटाया। यह देख अंजली ने फिर कहा – मैं कह रही हूं, वापस आ जाओ दोनों। मुझे अच्छा नहीं लग रहा। लेकिन महिमा जिद पर अड़ी रही।अंजली यह देखकर घबरा गई और जाकर ऑटो में बैठ गई। तभी अंदर से शोर अचानक थम गया, मानो कोई दरवाजा खोलने आ रहा हो। महिमा और कोमल थोड़ी दूर खड़ी हो गईं। दरवाजा खुला – चार लड़के बाहर निकले। सबके चेहरे से साफ लग रहा था कि वे नशे में हैं। एक ने हंसते हुए पूछा – क्या चाहिए?
कोमल झिझकते हुए बोली – भैया, बस थोड़ा पानी लेना था। महिमा ने उसे चुप कराते हुए सीधे पूछा – बाहर जो ऑटो खड़ा है, वो आपका है क्या? एक लड़के ने तिरछी मुस्कान के साथ कहा – ऑटो? कौन सा ऑटो? फिर दूसरे ने बोला – हां, हां, वो हमारा ही है। तुम लोग अंदर आकर बैठो, ऑटो वाला खाना खा रहा है, उसे अभी भेजते हैं। कोमल बोली – नहीं भैया, हम बाहर ही खड़े हैं। आप उन्हें बाहर भेज दीजिए। लड़कों ने फिर जोर देकर कहा – अरे आ जाओ न अंदर, यहां बैठ जाओ। अब महिमा को भी अजीब लगने लगा। वह और कोमल पीछे हटने लगीं। लेकिन लड़के धीरे-धीरे उनकी तरफ बढ़ रहे थे। तभी एक ने कोमल का हाथ पकड़ लिया और बोला – घर छोड़ देंगे तुम्हें, पर पहले पानी तो पी लो। महिमा गुस्से से बोली – उसका हाथ छोड़ो। तभी दूसरे ने उसका हाथ भी पकड़ लिया और कहा – तुम क्यों नाराज हो रही हो, तुम्हारा हाथ हम पकड़ लेते हैं। दोनों लड़कियां जान बचाने के लिए हाथ छुड़ाकर भागीं। उनकी नजर ऑटो पर पड़ी, जो चालू हो चुका था। उन्हें लगा शायद अंजली को ऑटो वाला मिल गया है। दोनों तुरंत जाकर उसमें बैठ गईं। पीछे से वे चारों लड़के लड़खड़ाते हुए भागते आए, लेकिन ऑटो झटके से चल पड़ा।
अंजली पहले से ही उसमें बैठी थी, पर उसकी हालत अजीब थी। वह सदमे में थी, क्योंकि ऑटो में कोई चालक नहीं था, फिर भी ऑटो तेजी से आगे बढ़ रहा था। महिमा और कोमल ने पहले ध्यान नहीं दिया, लेकिन कुछ देर बाद उन्हें भी अहसास हुआ। तीनों चिल्ला पड़ीं – ये कैसे चल रहा है?
अंजली कांपती आवाज में बोली – मुझे नहीं पता। मैं तो उतर ही नहीं पाई, जैसे किसी ने मुझे पकड़ लिया हो। तुम लोग बैठीं और ये अपने आप चल पड़ा।
आधे रास्ते में उन्हें ऑटो के शीशे पर एक परछाई दिखी। एक लड़की दिखाई दी, जो ऑटो चला रही थी। तीनों की नजरें उसी पर टिकी रह गईं। ऑटो बिना रुके सीधा उनके घर के सामने आकर थम गया।
सन्नाटा छा गया। महिमा हिम्मत जुटाकर बोली – तुम कौन हो? आज तुमने हमारी जान बचाई, लेकिन तुम कौन हो?
लड़की ने शीशे में नजर डालते हुए कहा – जिनसे तुम मदद मांग रही थी, उन्हीं से मैंने भी मदद मांगी थी। पांच साल पहले मैं भी यहां गरबा खेलने आई थी, पर कभी घर नहीं लौट पाई। उन्होंने मुझे मारकर मेरा शरीर इसी घर में छिपा दिया। यह सुनकर तीनों सहम गईं। अंजली बोली – तुमने हमारी जान बचाई है, अब हम तुम्हें इंसाफ दिलाएंगे।
वे तुरंत ऑटो से उतरीं और पुलिस को फोन लगाया। पूरी बात बताई और कहा कि उस घर में एक लड़की की लाश भी है। पुलिस तुरंत वहां पहुंची। चारों लड़कों को गिरफ्तार कर लिया गया। घर की तलाशी लेने पर बाथरूम की टाइल्स के नीचे से वही शव बरामद हुआ।
तीनों सहेलियां एक-दूसरे को देखती रहीं। उन्हें समझ आ गया था कि यह माता रानी का ही चमत्कार था, जिन्होंने मृत लड़की की आत्मा को भेजकर उनकी रक्षा की और उस निर्दयी सच को सामने लाया।
यह कहानी पूरी तरह से कल्पना पर आधारित है और इसका वास्तविक जीवन से कोई संबंध नहीं है। यह केवल कहानी के उद्देश्य से लिखी गई है। हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। ऐसी ही कहानी को पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
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