दिल्ली में सुबह उस दिन बहुत तेज बारिश हो रही थी। श्रेया, मोनिका और आंचल तीनों सहेलियों दिल्ली से बिहार की ट्रेन लेने के लिए एक साथ निकल गई थी। प्लेटफार्म नंबर 6 पर उनकी ट्रेन आने वाली थी और बारिश के वजह से दिल्ली में ट्रैफिक बहुत था। राखी के त्यौहार की वजह से रेलवे स्टेशन पर भी भीड़ ज्यादा थी। उनकी ट्रेन सुबह 6 बजे की थी और वह अभी भी ट्रैफिक में ही फंसी थी। जब उन्हें लगा कि इस तरह वह स्टेशन नहीं पहुंच पाएंगी तो वह समान लेकर जैसे तैसे भागते हुए स्टेशन पहुंची। उस दिन भले ही बारिश हो रही थी लेकिन ट्रेन भी लेट थी। 6 बजे की ट्रेन अभी रेलवे स्टेशन पर आई ही नहीं थी। इंतजार करते करते 2 घंटे बाद 9 बजे स्टेशन पर ट्रेन आ गई। उनकी टिकट स्लीपर कोच में थी।।भीड़ बहुत ज्यादा थी, वह बड़ी मशक्कत के बाद अपनी सीट पर पहुंच पाई।
तीनों दोस्तों ने सीट के नीचे अपना समान रखा और नीचे की खिड़की वाली सीट पर बैठ का नजारा देखने लगी। सब कुछ ठीक चल रहा था। पूरा दिन बहुत ही सुकून से बीता था। तभी उनकी नजर एक आदमी पर पड़ी। ट्रेन में एक काले कोट वाला आदमी दूर खड़ा, उनकी ओर ध्यान से देख रहा था। श्रेया उसे घूरते हुए देखा था, फिर भी वह अपनी नजर नहीं हटा रहा था। तभी श्रेया ने मोनिका को इशारा करते हुए कहा- तुम देख रही हो? मोनिका ने मुडकर झांका, लेकिन आदमी गायब था। श्रेया ने कहा छोड़ो एक आदमी था, मुझे लगा वो हमे घूर रहा है।
कुछ समय बाद ट्रेन एक रेलवे स्टेशन पर रूकी। एक आदमी ट्रेन में सामान लेकर अंदर आया, वह उन्ही की कोच में सामने वाली सीट पर आया था। उसके हाथ में वैसा ही कोट था, जिसे श्रेया ने देखा था। उसने मोनिका से कहा, सुन मैंने इसे ही शायद घूरते हुए देखा था। तभी आदमी ने कहा- बेटा थोड़ा अपना सामान साइड कर लोगे। मेरा सामान भी सीट के नीचे आ जाएगा। श्रेया एक दम शांत हो गई, लेकिन मोनिका और आंचल ने मुस्कुराते हुए कहा, जी जरूर, आप यहां अपना सामान रख सकते हैं, हम अपना सामान साइड कर देते हैं। इसमें हमारा खाना है, हम इसे अलग जगह रख देते हैं। आदमी ने अपना सामान रखा और दूसरी तरफ मुंह करके अपनी सीट पर बैठ गया। श्रेया ने उसे इस तरह देखकर मन ही मन सोचा कि लगता है यह वह आदमी नहीं है। बारिश का मौसम है, सबके पास इस तरह का रेनकोट हो सकता है। यह सोचकर उसने आदमी को इग्नोर किया और अपनी सहेलियों के साथ बातों में लग गई। ट्रेन में तीनों सहेलियां पुराने कॉलेज के किस्सों में खोई थी।
रात के 10 बज गए थे। मोनिका ने कहा, यार बहुत रात हो गई है और मुझे भूख लग रही है। खाना खा लेते हैं और सो जाते हैं। इस बात पर श्रेया और आंचल भी सहमत हुई और तीनों खाना खाकर अपनी-अपनी सीट पर जाने की तैयारी कर रही थी। तभी मोनिका ने श्रेया को चिढ़ाते हुए कहा, अरे इस बार तुझे तैरा भाई क्या देने वाला है। पिछली बार तो उसने तुझे एक 200 रुपये के टीशर्ट में निपटा दिया था। यह बोलते हुए आंचल और मोनिका दोनों हंसने लगे। श्रेया को ऐसे बाहरी लोगों के सामने उसके भाई का मजाक बनाना अच्छा नहीं लगा था। उसने गुस्से में चिढ़ते हुए कहा, तुझे क्या दिक्कत है, मेरा भाई मुझे कुछ भी गिफ्ट दे। मोनिका ने कहा- मुझे क्या दिक्कत होगी, लेकिन तेरे भाई को कुछ तो तेरी इज्जत रखनी चाहिए। 200 रुपये का गिफ्ट कौन देता है भई।
बार-बार मोनिका एक बात दोहरा रही थी और श्रेया को बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था। आंचल ने मोनिका को शांत होने के लिए भी कहा, लेकिन फिर भी उसे समझ नहीं आ रहा था। वह बार-बार श्रेया को चिढ़ा रही थी। श्रेया ने गुस्से में कहा, बस हो गया मोनिका अब तुमने मुझे और गुस्सा दिलाया तो मैं ट्रेन से उतर जाउंगी।मोनिका ने आंचल से कहा,, बहन मैं इससे बस मजाक कर रही हूं, ये इतना चिढ़ क्यों रही है। ट्रेन से जाना है तो जाए..हिम्मत है क्या इसके पास। मुझे ट्रेन से उतरने की धमकी मत दे। अभी ट्रेन चलने ही वाली थी और श्रेया गुस्से में ट्रेन से उतर गई। आंचल ने श्रेया को समझाने का बहुत प्रयास किया, लेकिन उसने उसकी भी बात नहीं मानी। रात के 12 बज रहे थे और वह एक ऐसा स्टेशन पर उतर गई, जो बहुत सुनसान था।
श्रेया का ऐसे अकेले उतरना आंचल को परेशान कर रहा था। उसने गुस्से में मोनिका को बहुत सुनाया और कहा, अगर उसे कुछ हुआ तो तुम उसकी जिम्मेदार होगी। मैं उसके भाई को सब बता दूंगी कि तुम्हारी वजह से उसने ऐसा स्टेप उठाया है। इस बात से मोनिका घबरा गई और घबरा कर बोली। यार मैं क्या करूं अब, मेरी गलती है प्लीज यार कुछ बता, अब क्या करें। आंचल कुछ समय सोचा और फिर कहा- अगला जो भी स्टेशन आएगा, हम वहां उतर जाएंगे और ऑटो या कैब लेकर उस स्टेशन पहुंच जाएंगे, जहां श्रेया उतरी थी। मोनिका ने कहा- हां ठीक है। ऐसा ही करते हैं। उधर मोनिका ने देखा, वह आदमी अपनी सीट पर नहीं था। आंचल ने मोनिका से कहा- यार वो आदमी कहां है? बहुत देर से मुझे दिखाई नहीं दे रहा। आंचल ने कहा, होगा कहीं , बाथरूम में होगा। उसका सामान भी तो यहीं पड़ा है। अपना सामान छोड़कर कहां जाएगा वो।
उधर दूसरी तरफ श्रेया अकेले स्टेशन पर बैठी सोच रही थी कि अब क्या करे। वह गुस्से में ट्रेन से उतर तो गई थी, लेकिन स्टेशन भी पूरा सुनसान पड़ा था। लगभग 20 मिनट हो चुके थे और वह स्टेशन पर अकेली बैठी थी। तभी एक आदमी, उसके पास आया। आदमी नशे में लग रहा था। उसने श्रेया से कहा- बेटा कहां जाना है, यहां अकेले क्यों बैठी हो। उसने उसकी बात का जवाब नहीं दिया और इग्नोर कर दिया।उसने फिर श्रेया से कहा- अरे मैं कुछ कह रहा हूं, मेरी बात सुनाई नहीं दे रही है क्या। उधर श्रेया को अब उससे डर लगने लगा था। वह सोच रही थी कि स्टेशन से उठकर वह बाहर निकल जाए। दूसरी तरफ आंचल और मोनिका भी अपनी दोस्त को ढूंढने के लिए अगले स्टेशन पर उतर गए थे। उन्हें स्टेशन के बाहर ऑटो मिला और वह बैठकर श्रेया के पास आने की तैयारी कर रही थी। श्रेया को उसका भाई बार-बार फोन कर रहा था, लेकिन उसका फोन ट्रेन में ही रह गया था। आंचल और मोनिका उसका फोन साथ लेकर आ रही थी। भाई का बार-बार फोन आता देख वह और भी ज्यादा घबरा रही थी। क्योंकि, वह उसे क्या जवाब देती। उन्होंने फोन साइलेंट करके बैग में रख लिया।
उधर श्रेया ने स्टेशन से बाहर निकलने की सोची। उसने सोचा कि इस आदमी से छुटकारा पाने का यही तरीका है। वह बाहर जा रही थी, लेकिन उस आदमी ने उसका पीछा करना नहीं छोड़ा। वह उसके पीछे-पीछे आने लगा। रेलवे स्टेशन के बाहर का नजारा भी सुनसान था। एक आदमी उसे स्टेशन के बाहर नजर नहीं आ रहा था। तभी उसे दूर से एक ऑटो आता नजर आया। ऑटो देखकर वह मदद मांगने के लिए हाथ उठाने ही वाली थी, तभी आदमी ने पीछे से उसका मुंह दबा दिया। श्रेया छटपटा रही थी और उससे खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी। आदमी उसे पकड़कर दीवार के पीछे लेकर छिप गया। उसने अपने जेब से चाकू निकाला और उसके गले पर लगा दिया। आदमी ने गुस्से में कहा, थोड़ी भी चालाकी दिखाई तो तुम्हारा यहीं गला रेत दूंगा।
तभी ऑटो रूका, आंचल और मोनिका ऑटो में से सामान लेकर उतरीं। उन्हें देखकर श्रेया को खुशी तो रही थी, लेकिन वह मदद के लिए आवाज नहीं उठा पा रही थी। आंचल और मोनिका, तेज-तेज श्रेया को आवाज लगा रहे थे। लेकिन उन्हें श्रेया कहीं नजर नहीं आ रही थी। तभी उन्हें वही ट्रेन वाला आदमी दिखा। मोनिका गुस्से में उसके पास गई और बोली। श्रेया कहां है, तुमने उसके साथ क्या किया। आदमी ने कहा, अरे मैं भी उसे ही ढूंढ रहा हूं। थोड़ी देर पहले वो यहीं बैठी थी। मैं बाथरूम गया था, वापस आया तो वो यहां नहीं दिखी। मैं भी उसे ही ढूंढ रहा हूं। मोनिका को उसकी बातों पर भरोसा नहीं हो रहा था। वह गुस्से में उसे घूर रही थी। तभी आंचल ने कहा- आप क्यों ट्रेन से उतरे? आपको क्या जरूरत थी। आदमी ने कहा- मैं श्रेया को जानता हूं। वो मेरे दोस्त की बहन है। उसने अपने फोन में श्रेया का भाई के साथ की फोटो भी दिखाई थी। उसने कहा कि मैंने उसके भाई को खबर दे दी है। वह फोन भी कर रहा होगा।
मोनिका ने सोचा, इसलिए वह बार-बार उसे फोन कर रहा था। अब तीनों लोग श्रेया को ढूंढने में लगे थे। उधर श्रेया को जिस आदमी ने पकड़ा था, वह उसे दूसरे रास्ते से छिपकर ले जाने की कोशिश कर रहा था। उसने अपनी पूरी कोशिश की थी, लेकिन मोनिका और आंचल ने उसे श्रेया को ले जाते हुए देख लिया। उसने चिल्ला कर कहा, श्रेया…श्रेया..भईया श्रेया मिल गई। वह दोड़ते हुए उस आदमी के पास गई और श्रेया को छोड़ने के लिए कहने लगे। लेकिन उस आदमी ने श्रेया के गले पर चाकू लगा रखा था। उसने कहा कि कोई भी उसके करीब आएगा, तो वह उसे मार देगा।
आंचल और मोनिका घबरा गए और उसे प्यार से समझाने की कोशिश करने लगे। तभी पीछे से ट्रेन वाले आदमी ने उस शराबी का हाथ पकड़ा और उसके हाथ से चाकू छीन लिया। श्रेया तुरंत आंचल और मोनिका के पास भाग कर चली गई और उनके साथ गले लगकर रोने लगी। उधर उस आदमी ने शराबी को खूब पीटा, तभी पुलिस वहां आ गई। पुलिस ने आदमी को हिरासत में ले लिया और इस तरह एक आदमी जिससे श्रेया घबरा रही थी, उसी ने उसकी जान बचा ली।
यह कहानी पूरी तरह से कल्पना पर आधारित है और इसका वास्तविक जीवन से कोई संबंध नहीं है। यह केवल कहानी के उद्देश्य से लिखी गई है। हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। ऐसी ही कहानी को पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
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