हम सभी के घरों में दाल से लेकर सब्जी तक तड़का का उपयोग किया जाता है। बहुत से घरों में लोगों को बिना तड़का के दाल खाने की आदत नहीं होती है। भारत में खासकर यूपी-बिहार में सरसों के तेल में लहसुन, जीरा और लाल मिर्च का तड़का लगाया जाता है। वहीं बहुत से जगहों में हींग का तड़का मशहूर है। उत्तर और मध्य भारत के अलावा दक्षिण भारत की बात करें तो उनकी सांभर से लेकर चटनी और उपमा तक, सभी व्यंजनों में राई, उड़द दाल, चना दाल और करी पत्ते का तड़का जरूरी होता है। देश के सभी राज्य और क्षेत्र में अलग-अलग तरह का तड़का मशहूर है, ऐसे में आज हम आपको तड़का लगाने का एक बहुत यूनिक तरीका बताएंगे।
आज तक आप सभी ने तड़का लगाने का एक ही तरीका देखा होगा, जिसमें कड़ाही या तड़का लगाने वाले बर्तन को गैस या चूल्हे की आंच में तपाया जाता है। जब बर्तन तप जाता है, फिर उसमें तेल, राई, हिंग और करी पत्ता समेत तमाम तरह की चीजों को रखकर गर्म किया जाता है। लेकिन महाराष्ट्र के ट्राइबल क्षेत्र में बर्तन या तेल को गर्म करने के बजाए पत्तथर को गर्म किया जाता है। तमाम तरह के तड़का में बर्तन गर्म होने के बाद उसमें सारी चीजों को डालकर पकाया जाता है, लेकिन स्टोन तड़का में पत्थर को अच्छे से गर्म कर उसमें सभी चीजों को डालकर चटकाया जाता है।
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