समय बदल चुका है और समय के साथ बदल चुकी है महिलाओं की सोच। घर की चारदीवारी और रसोई के काम के अवाला भी अब महिलाएं कई क्षेत्रों में अपनी सफलताओं के झंडे गाड़ रही हैं। भारत में ऐसी महिलाओं के नाम कि लिस्ट काफी लंबी है जो अपने बहतर काम की बदौलत आज अपनी अलग पहचान बना चुकी हैं। मगर इस लिस्ट में भी कुछ ऐसी महिलाओं के नाम शामिल हैं जो अब दूसरी महिलाओं के लिए मिसाल बन चुकी हैं। ऐसी ही कुछ महिलों की मौजूदगी में दिल्ली के फिक्की फ्लो ने थर्सडे को अपने 34 वें एनुअल सेशन के तहत 'वुमन ट्रांसफॉमिंग इंडिया' कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में फिक्की फ्लों की कई महिला मेंबर्स उपस्थित थीं। जागरण समूह की सखी मैंगजीन की एडिटर प्रगती गुप्ता भी इस ईवेंट में मौजूद थीं ।
कार्यक्रम की शुरुआत देश के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की स्पीच से हुई। अपनी स्पीच में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा, ' हमारे देश की आधी आबादी महिलाओं से ही है। आज महिलाएं न केवल घर बल्कि कार्यक्षेत्र में भी अपना योगदान दे रही हैं, बावजूद उसके जितनी पहचान समाज पुरुषों को देता है उतनी महिलाओं को नहीं मिल पाती है। यही वजह है कि हर क्षेत्र में महिलाएं अपनी मौजूदगी तो दर्ज करा रही हैं मगर उनकी संख्या पुरुषों से कम है। हमें अपनी बहन और बेटियों के लिए कार्यक्षेत्र में एक ऐसा माहौल बनाना चाहिए कि उनके लिए काम करना आसान हो। वो खुद को सुरक्षित महसूस कर सकेंगी तब ही घर से बाहर निकलेंगी। इसके साथ ही हमें महिलाओं को कार्यक्षेत्र में आने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए क्योंकि जितना महिलाएं कार्यक्षेत्र से जुड़ेंगी उतनी ही हाउसहोल्ड इनकम बढ़ेगी और देश की जीडीपी में भी ग्रोथ आएगी।'
इस एनुअल सेशन में महिला आंत्रप्रेन्योर्स को फ्लो आइकन अवॉर्ड्स देकर सम्मानित भी किया गया। ये अवॉर्ड्स उन्हें फिक्की फ्लो की प्रेसिडेंट वासवी भारत राम ने दिए। इन अवॉर्ड विनिंग महिलाओं में से कुछ से हर जिंदगी टीम ने 'वुमन एम्पावरमेंट' पर बातचीत की। बातचीत के कुछ अंश पेश हैं।
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ट्विंकल खन्ना, फिल्म प्रोड्यूसर, ऑथर, आंत्रप्रेन्योर
ट्विंकल खन्ना को कौन नहीं जानता। भले ही वह अब फिल्म इंडस्ट्री में न हों मगर अपनी प्रेजेंस को हमेशा बरकरार रखती हैं। बीते दिनों उन्हें फिल्म पैडमैन के यूनीक प्रमोशनल आइडिया को लेकर काफी लोकप्रियता मिली थी। एक अच्छी एक्ट्रेस, प्रोड्यूसर और आंत्रप्रेन्योर होने के साथ ही ट्विंकल एक बहुत अच्छी राइटर भी हैं, मगर उनके द्वारा लिखी बातों के लिए उन्हें हमेशा ट्रोल किया जाता है। मगर ट्रोलिंग से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता वह कहती हैं, ' मेरी मां कहती हैं, कि जब आप कुछ अलग काम करते हैं तो सभी आपको क्रिटिसाइज करते हैं। इसका मतलब यह नहीं कि आप अलग काम करना छोड़ दें। बल्कि तब यह समझने की जरूरत है कि आप सही दिशा में काम कर रहे हैं। महिलाओं को भी किसी की बात पर डिसकरेज होने की जरूरत नहीं है बल्कि उन्हें आगे बढ़ना चाहिए और प्रूव करना चाहिए कि वे किसी से कम नहीं है। '
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फाल्गुनी नायर, फाउंडर ऑफ नायका
आज महिलाओं के बीच नायका ई-कॉमर्स कंपनी काफी फेमस हो चुकी है। इस ई-कॉमर्स कंपनी को शुरु करने के पीछे जो महिला है उनका नाम है फाल्गुनी नायर। फाल्गुनी ने 19 साल तक इन्वेस्टमेंट बैंकर के तौर पर काम किया। मगर यह उनकी ड्रीम जॉब नहीं थी। अपने सपनों को पूरा करने के लिए फाल्गुनी नायर ने 2012 में नायका नाम से ई-कॉमर्स कंपनी शुरू की। इसमें वह ब्यूटी, मेकअप, पर्सनल केयर और वेलनेस से जुडे प्रोडक्ट बेचती हैं। आज फाल्गुनी फैशन और ब्यूटी के क्षेत्र में जाना-माना नाम बन चुकी हैं। वह कहती हैं, ' महिलाओं को अपने बारे में जरूर सोचना चाहिए और सपने देखने चाहिए और फिर उन सपनों को पूरा करने के लिए महनत भी करनी चाहिए।'
डॉक्टर आरती विज, एम्स
मेडिकल के क्षेत्र में जो महिलाएं अपना फ्यूचर देख रही हैं, आरती विज उनके लिए एक मिसाल हैं। वह न केवल एम्स के कार्डियोथॉरेसिस और न्योरोसाइंसेस डिपार्टमेंट में प्रोफेसर हैं बल्कि ऑर्गेन रीट्राइवल बैंकिंग ऑर्गेनाइजेशन की हेड भी हैं। मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड वेलफेयर की एक्सपर्ट कमेटी में भी आरती का नाम शामिल है।
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एकता कपूर, प्रोड्यूसर
एकता कपूर, किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। भारत में उन्हें इंडियन टेलिविजन की क्वीन कहा जाता है। महिलाओं के लिए दर्जनों टीवी सीरियल्स बना चुकीं एकता कहती हैं, ' हमारे देश में महिलाएं ही महिलाओं को आगे नहीं बढ़ने दे रहीं। सबसे पहले जरूरत है कि महिलाएं अपनी सोच बदलें और दूसरी महिलाओं को सपोर्ट करें। जिस दिन ऐसा होगा प्रॉब्लम्स अपने आप सॉल्व हो जाएंगी। '
भारती चतुर्वेदी, चिंतन, डिरेक्टर
भारती पेशे से एंवायरमेंटलिस्ट और राइटर हैं। वह चिंतन एंवायरमेंटल रिसर्च और एक्शन ग्रुप की डायरेक्टर भी हैं। एवॉर्ड फंक्शन में दी अपनी स्पीच में भारती ने बताया, 'महिलाओं को घरेलू जिम्मेदारियों से आजाद होने की जरूरत है। भारत में महिलाएं दोहरी जिम्मेदारी उठा रही हैं। यह बेहद दुख की बात है कि महिलाएं इन जिम्मेदारियों को उठाते-उठाते अपनी खुद की देखभाल नहीं कर पातीं।'
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नमिता गोखले, ऑथर
नमिता भारत की जानीमानी लेखक हैं। उन्होंने कई फेमस फिक्शन और नॉन फिक्शन नॉवल लिखे हैं। वह कहती हैं, ' हम हमेशा महिलाओं की तुलना पुरुषों से क्यों करते हैं। हर पुरुष में कुछ हिस्सा महिलाओं का होता है और हर महिला में कुछ हिस्सा पुरुषों का होता है। '