हमारे देश की महिलाएं किसी भी फील्ड में पुरुषों से कम नहीं हैं। चाहे बात हो शिक्षा की या फिर नौकरी और व्यवसाय की, महिलाओं का परचम हमेशा बुलंद ही रहता है। एक ऐसा ही उदाहरण प्रस्तुत किया है झारखंड की रहने वाली माधवी पाल ने।
जी हां, माधवी पाल पिछले कई वर्षों में देवी और देवताओं की मूर्तियां बनाती आ रही है। आज वो किसी भी पूजा-पाठ में शामिल होने वाली मूर्तियों को बड़े आराम और आसानी से बना देती हैं। पति की मौत के बाद इस व्यवसाय को आगे बढ़ना उनके लिए कठिन कार्य था लेकिन, हिम्मत और लगन ने उन्हें इस कदर आगे पहुंचा दिया है कि आज वो झारखंड की पहली महिला मूर्ति निर्माता बन चुकी हैं, आइए जानते हैं उनके बारे में।
माधवी पाल के बारे में
मूल रूप से झारखंड की रहने वाली माधवी पाल की संघर्षपूर्ण कहानी प्रेरणादायक है। वो मूर्तियां बनाकर न सिर्फ अपने पति का सपना पूरा कर रही हैं बल्कि, इसके साथ-साथ परिवार की रोजी रोटी भी चला रही है। यहीं नहीं, इस व्यवसाय से घर का खर्चा चलाने के साथ-साथ वो 7 से 8 लोगों को भी रोजगार दे रही हैं। इस व्यवसाय से आज उनके बच्चे से भी पढ़ रहे हैं।
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मूर्ति बनाना कब सिखा?
Ranchi: Madhvi Pal, reportedly the first woman idol maker of Jharkhand, continues her journey & carries forward her late husband's idol-making business
— ANI (@ANI) October 11, 2021
She says, "I started this in 2012 after my husband died. It was his business. I'll continue doing this as long as I am alive." pic.twitter.com/TqrejUYRX3
माधवी 2012 से पहले अपने माधवी पति के साथ छोटे-मोटे काम करती थी लेकिन, साल 2012 में पति की मौत के बाद धीरे-धीरे मूर्ति बनाना उन्होंने अपना मुख्य व्यसाय बना लिया। एक मीडिया हाउस से बात करते हुए माधवी पाल कहती हैं कि 'पति की मौत के बाद परिवार को पालने की जिम्मेदारी मेरी थी और घर का माहौल बेहद ही बुरा था क्योंकि, घर में पति के अलावा कमाने वाला कोई नहीं था और बेटी और बेटा को पढ़ना भी था, ऐसे में मुझ पर ये जिम्मेदारी आ गई और मैंने इस व्यसाय को आगे बढ़ाने का फैला लिया'।(महिला जिसने डिजाइन किया भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान)
इन देवी और देवताओं की बनाती हैं मूर्तियां
मीडिया हाउस से बात करते हुए माधवी कहती है कि 'मैंने कोकर इलाके में दुकान किया है। यहां देवी दुर्गा, गणेश, लक्ष्मी, सरस्वती आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाती हूं। मेरे साथ 7-8 लोगों की टीम है जो मिलकर इस काम को करते हैं'। आगे वो कहती हैं कि 'इन मूर्तियों को आसपास के गांव जैसे-टीपू दाना, रामगढ़ आदि जगहों के लोग ले जाते हैं'।
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माधवी के परिवार के सदस्यों के बारे में
My husband's work was very famous and people knew him very well. I am doing as much as I can. Many workers had left us after he died, they doubted if I would be able to pay them. But I am working with whatever number of workers I have with me: Madhvi Pal pic.twitter.com/br7tguxMly
— ANI (@ANI) October 11, 2021
माधवी राज्य की पहली मूर्तिकार के तौर पर सम्मान पा चुकी हैं। लेकिन आपको बता दें कि माधवी का बेटा इंजीनियर है और उनकी बेटी बेंगलुरु में सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल है। माधवी के पति को स्थानीय लोग दा के नाम से बुलाते थे और वो झारखंड के बेहतरीन मूर्तिकार माने जाते थे। उनकी कला की तारीफ झारखंड के लगभग हर शहर में थी।
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Image Credit:(@twitter)
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