मां बनना बेशक किसी भी महिला की जिंदगी का एक सुखद एहसास होता है। लेकिन, आजकल कई कारणों से महिलाओं के लिए कंसीव करना मुश्किल होता जा रहा है और इनफर्टिलिटी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। महिलाओं में इनफर्टिलिटी क्यों बढ़ रही है और फर्टिलिटी को सुधारने के लिए क्या करना चाहिए, इस बारे में हमने एक्सपर्ट से बात की। यह जानकारी डॉक्टर सोनू खोखर, एमबीबीएस डॉक्टर, हेल्थ एंड वेलनेस एक्सपर्ट (Dr. Sonu Khokhar, MBBS Doctor, Health and Wellness Expert) दे रही हैं।
महिलाओं में इनफर्टिलिटी के कारण
- आजकल कई कारणों से महिलाएं देर से कंसीव करने की प्लानिंग कर रही हैं। इसका असर भी फर्टिलिटी पर होता है। 30 की उम्र के बाद धीरे-धीरे फर्टिलिटी कम होती है और 35 के बाद कंसीव करना काफी मुश्किल हो जाता है।
- पीसीओएस की वजह से शरीर में हार्मोनल इंबैलेंस पैदा होता है। इसकी वजह से ओव्युलेशन पर असर होता है और कंसीव करना मुश्किल हो जाता है।
- एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं की कंसीव करने की क्षमता पर असर डालता है। इसमें यूट्रस के बाहर यूट्राइन लाइनिंग जैसे टिश्यूज विकसित होने लगते हैं। इसकी वजह से फैलोपियन ट्यूब, ओवरीज, यूट्रस और फर्टिलिटी पर असर होता है।
- हाइपोथायराइड और हाइपरथायराइड का असर भी महिलाओं की मेंस्ट्रुअल साइकिल और ओव्युलेशन पर होता है।
- अनहेल्दी डाइट, मोटापे और अनियमित जीवनशैली का असर भी फर्टिलिटी पर होचा है। स्मोकिंग, एल्कोहल और अतिरिक्त कैफीन लेने की वजह से भी फर्टिलिटी कम हो जाती है।
- लंबे समय तक स्ट्रेस में रहने के कारण भी हार्मोनल लेवल और ओव्युलेशन प्रभावित होता है।
- कई सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज के कारण पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज का खतरा बढ़ता है। इसकी वजह से ट्यूब ब्लॉक हो जाती हैं।
- खराब वातावरण, प्लास्टिक की बोतलों और कंटेनर्स में खाना रखने और प्रदूषण के कारण एंडोक्राइन सिस्टम पर असर होता है और हार्मोन्स प्रभावित होते हैं।
- कई बार उम्र और अनुवांशिक कारणों के चलते एग की संख्या और गुणवत्ता पर असर होता है।
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फर्टिलिटी सुधारने के लिए क्या करें?
- अगर आप लेट कंसीव करने की प्लानिंग कर रही हैं, तो अपनी बायोलॉजिकल क्लॉक पर ध्यान दें और बीच-बीच में फर्टिलिटी चेकअप भी जरूर करवाएं।
- नियमित व्यायाम, लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली डाइट और हेल्दी लाइफस्टाइल से पीसीओएस और हार्मोनल हेल्थ को मैनेज करें।
- हेल्दी वेट मेंटेन करें। वजन का बहुत कम या बहुत अधिक होना, दोनों ही फर्टिलिटी पर असर डालते हैं।
- एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर बैलेंस डाइट लें। डाइट में फल, सब्जियां, हेल्दी फैट्स और साबुत अनाज को शामिल करें। फॉलिक एसिड, विटामिन-डी और ओमेगा-3 से भरपूर चीजें खाएं।
- साल में 1 बार गायनेकोलॉजिस्ट से जांच जरूर करवाएं ताकि फ्राइबॉइड या अन्य किसी इंफेक्शन के होने पर उसका जल्दी पता चल सके।
यह है एक्सपर्ट की राय
- प्लास्टिक की जगह कांच या स्टेनलेस स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल करें।
- स्मोकिंग और एल्कोहल को अवॉइड करें। इसके अलावा, योगा, मेडिटेशन और थेरेपी के जरिए स्ट्रेस को कम करने की कोशिश करें ताकि हार्मोनल लेवल में सुधार हो सके।
- एप्स, ओव्युलेशन किट और बेसल बॉडी टेम्परेचर की मदद से अपनी साइकिल को समझें और ओव्युलेशन डेज का पता करें।
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महिलाओं को कंसीव करने के लिए, एक्सपर्ट की सलाह पर जरूर ध्यान देना चाहिए। अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो हमें आर्टिकल के ऊपर दिए गए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपकी समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे।
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Image Credit:Freepik, Shutterstock
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