Hormonal Imbalance: हमारे शरीर में मौजूद हार्मोन्स, शरीर को सही तरह से फंक्शन करने में मदद करते हैं। हार्मोनल इंबैलेंस होने पर शरीर में इसके कई लक्षण नजर आने लगते हैं। खासतौर पर हार्मोन्स का महिलाओं की सेहत पर असर पड़ता है। महिलाओं के पीरियड्स, सेक्स और फर्टिलिटी वगरैह का सीधा संबंध हार्मोन्स से होता है। एस्ट्रोजन एक सेक्स हार्मोन है, जो महिलाओं की फर्टिलिटी को प्रभावित करता है। पीरियड्स के दौरान, मेनोपॉज में इसके लेवल में बदलाव होता है। एस्ट्रोजन हार्मोन के लेवल के बढ़ने के लक्षण महिलाओं के शरीर में साफ दिखाई देने लगते हैं। एस्ट्रोजन हार्मोन क्या होता है और इसके बढ़ने पर महिलाओं के शरीर में क्या लक्षण नजर आते हैं, इस बारे में एक्सपर्ट से जानते हैं। इस बारे में डाइटीशियन रिध्दिमा बत्रा जानकारी दे रही हैं। रिध्दिमा बत्रा सर्टिफाइड डायबिटीज एजुकेटर, स्पोर्ट्स न्यूट्रिशनिस्ट स्पेशलिस्ट और न्यूट्रिशन डिफाइंड की फाउंडर हैं।
क्या होता है एस्ट्रोजन हार्मोन (Know about Female Sex Hormone Estrogen)
एस्ट्रोजन महिलाओं के शरीर में पाया जाने वाला एक सेक्स हार्मोन है। वैसे यह हार्मोन पुरुषों में भी होता है। इस हार्मोन के कई फंक्शन्स होते हैं। ज्यादातर महिलाओं को लगता है कि एस्ट्रोजन सेक्स हार्मोन है, तो इसका असर सिर्फ फर्टाइल हेल्थ पर होता है लेकिन आपको बता दें ऐसा नहीं है। पीरियड्स, रिप्रोडक्टिव हेल्थ के अलावा इसके लेवल के कम-ज्यादा होने का असर, हड्डियों, हार्ट, पेल्विक मसल्स, ब्रेस्ट, यूरिनरी ट्रैक्ट और ब्रेन पर भी होता है। जब एस्ट्रोजन के लेवल में उतार-चढ़ाव होता है, तो इसका असर शरीर के कई फंक्शन्स पर होने लगता है। महिलाओं की ओवरीज में सबसे अधिक एस्ट्रोजन हार्मोन का निर्माण होता है। हालांकि एड्रेनल ग्लैंड्स और फैट सेल्स भी कम मात्रा में इस हार्मोन बनाती हैं।
एस्ट्रोजन हार्मोन के बढ़ने के संकेत (Symptoms of Estrogen Imbalance in Females)
- पीरियड्स के दौरान खून के धक्के आना
- दर्द अधिक होना
- पीरियड्स का अनियमित होना
- मूड स्विंग्स
- वजन का बढ़ना
- सेक्स ड्राइव में कमी
- सिरदर्द
- थकान
- एक्ने
- सोने में परेशानी
- फोकस करने में मुश्किल
- चिड़चिड़ापन
- वजाइना का अधिक ड्राई होना
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एस्ट्रोजन इंबैलेंस के कारण (Reasons of Estrogen Imbalance)
महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का सही लेवल में होना बहुत जरूरी है। जहां इसके बढ़ने पर कई मुश्किले आ सकती हैं। वहीं, इसका बहुत अधिक कम होना भी महिलाओं की सेहत पर असर डालता है। ओव्यूलेशन, पीरियड्स, मेनोपॉज और पीरियड्स की शुरुआत में इसके लेवल में अंतर आता है। इसकी वजह से महिलाओं के ब्रेस्ट और यूट्रस में सिस्ट भी बन जाती हैं। डाइट का सही न होना, वजन में बदलाव, कैफीन ड्रिंक्स का सेवन, स्ट्रेस, नींद में कमी (अच्छी नींद के नुस्खे) या लाइफस्टाइल का बिगड़ा हुआ होना, एस्ट्रोजन हार्मोन के लेवल पर असर डाल सकता है।
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