पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना एक आम समस्या है। कभी यह गलत तरह से बैठने, तो कभी गलत तरह से सोने की वजह से छिड़ जाता है। लेकिन, जब यह दर्द हद से बढ़ जाए तो यह किसी बड़ी समस्या का लक्षण हो सकता है। जी हां, कमर दर्द के ऐसे तो कई कारण होते हैं। लेकिन, यहां हम कमर दर्द के मुख्य रूप से दो कारणों के बारे में बात करने जा रहे हैं।
डॉ.परमजीत सिंह हमें इस आर्टिकल में कमर दर्द के दो मुख्य कारणों के बारे में बता रहे हैं। डॉ. परमजीत सिंह चहल, मणिपाल अस्पताल पटियाला में हड्डी रोग और ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी के सीनियर डॉक्टर हैं। डॉक्टर के मुताबिक, जब दर्द आपकी टांगों तक फैल जाए , खासकर बैठने, चलने और सोने के समय तो इसे कमर की नसों की समस्या माना जाता है। कमर की नसों की समस्या को आमतौर पर साइटिका या स्लिप डिस्क के रूप में क्लासीफाई किया जाता है।
ऐसे तो साइटिका और स्लिप डिस्क एक दूसरे से अलग हैं लेकिन, कई तरह से जुड़े हुए भी हैं। लेकिन, आपकी कमर के दर्द के पीछे क्या वजह है यह जानने के लिए पहले समझ लें कि साइटिका और स्लिप डिस्क क्या हैं और इसके लक्षण क्या-क्या हैं।
साइटिका क्या है?
साइटिका एक तरह का दर्द है जो साइटिका नाम की नस से शुरू होता है। यह नस आपकी कमर के निचले से शुरू होकर हिप्स, बटोक्स और दोनों टांगों में जाती है। जब इस नस पर दबाव पड़ता है या इसमें जलन होती है, तो दर्द होता है। दर्द के आम कारण हैं: डिस्क का खिसक जाना, रीढ़ की हड्डी का सिकुड़ जाना, हड्डी का बढ़ना।
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साइटिका के लक्षण क्या हैं?
- पैरों में जलन जैसा या तेज दर्द होना
- निचले पैरे में झुनझुनी, सुन्नपन या कमजोरी महसूस होना
- लंबे समय तक बैठने, खांसने या अचानक हिलने पर दर्द बढ़ना
स्लिप डिस्क क्या होता है?
स्लिप डिस्क तब होता है जब रीढ़ की हड्डी के बीच मौजूद डिस्क अपनी जगह से खिसक जाती है या बाहर की तरफ निकल जाती है। जब यह निकला हुआ हिस्सा आस-पास की नसों खासकर साइटिका नस पर प्रेशर बनाता है तो साइटिका जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
क्या हैं स्लिप डिस्क के लक्षण?
- कमर में दर्द होना, जो बढ़कर पैर तक जाता है।
- झुकने, मुड़ने या वजन उठाने पर दर्द का बढ़ना
- जिस पैर में दर्द है उसमें सुन्नपन आना, कमजोरी या झुनझुनी का महसूस होना
दर्द से बचाव और कम करने के उपाय
फिजिकली एक्टिव रहें
कमर दर्द की परेशानी में पूरी तरह बेड रेस्ट करने की सलाह दी जाती है। हालांकि, दर्द कम होने पर सैर और थोड़ी स्विमिंग करने से जल्दी हीलिंग होती है और मांसपेशियां भी एक्टिव रहती हैं।
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पोश्चर सही रखें
अपनी स्पाइन का पोश्चर सही रखना चाहिए। बैठते, खड़े रहते या वजन उठाते समय कभी भी पीठ पर प्रेशर न आने दें और अपनी पीठ को ज्यादा से ज्यादा सीधा रखने की कोशिश करें।
गर्म और ठंडी थेरेपी
कमर दर्द की परेशानी होने पर पहले 48 घंटों में आइस पैक लगाना फायदेमंद हो सकता है। इसके बाद गर्म सिकाई करने से मांसपेशियों को आराम मिलता है और ब्लड फ्लो भी ठीक होता है।
रोजाना करें स्ट्रेचिंग
हैमस्ट्रिंग्स, हिप्स और लोअर बैक की हल्की-फुल्की स्ट्रेचिंग रोजाना करें। ऐसा करने से मांसपेशियों पर अचानक बनने वाला दबाव कम होता है और फ्लेक्सिब्लिटी आती है।
वजन कम करें
पीठ के दर्द की समस्या कम करने के लिए सबसे ज्यादा अपने वजन पर ध्यान देने की जरूरत होती है। क्योंकि, जितना ज्यादा स्पाइन पर वजन होता है, उतनी ही मांसपेशियों की समस्या बढ़ती है। वजन कम करने के लिए रोजाना एक्सरसाइज करें और बैलेंस्ड डाइट लें।
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Image Credit: Freepik
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